आरबीआई/2008-2009/380 डीपीएसएस.सं.1424/02.10.02/2008-2009 11 फरवरी 2009 अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक – आरआरबी सहित/ शहरी सहकारी बैंक / राज्य सहकारी बैंक / जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक महोदया / प्रिय महोदय एटीएम असफल होने पर संव्यवहारों का समाधान – समय-सीमा नकदी निकालने के लिए देश में स्वचालित टेलर मशीनों (एटीएम) का उपयोग बढ़ता जा रहा है। हालांकि, अभी हाल ही में, हमें बैंकों के ग्राहकों से इस आशय की कई शिकायतें मिलती रही हैं कि यद्यपि एटीएम से विभिन्न कारणों से नकदी नहीं मिली लेकिन खाते में रकम डेबिट हो गई। अधिक महत्त्वपूर्ण यह है कि इस प्रकार के असफल हुए संव्यवहारों में निहित रकम की प्रतिपूर्ति कार्ड धारक को करने में कुछ अधिक ही समय लगा देते हैं। कई मामलों में तो इसमें लगने वाला समय 50 दिन तक रहा है। 2. ऐसी शिकायतों के सत्यापन और समाधान में लगने वाली क्रियापद्धति की जांच करने के बाद रिज़र्व बैंक ने यह निष्कर्ष निकाला है कि ऊपर बताए अनुसार होने वाला अत्यधिक विलम्ब न्यायोचित नहीं है क्योंकि इससे ग्राहकों का कोई दोष नहीं होने पर भी वे अपनी निधियों से वंचित रह जाते हैं। यह देरी ग्राहक को एटीएम का प्रयोग करने में हतोत्साहित कर सकती है। इसलिए यह निर्णय किया गया कि आरंभ इस तरह किया जाए कि बैंकों को चाहिए कि वे गलती से डेबिट की गई रकम की प्रतिपूर्ति ग्राहक को ग्राहक से शिकायत मिलने के 12 दिन के भीतर करें। इस निर्णय की जानकारी बैंकों को 23 अक्तूबर 2008 के हमारे परिपत्र आरबीआई/डीपीएसएस सं.711/02.10.002/2008-09 के माध्यम से दी गई थी। हालांकि यह पाया गया है कि बैंकों ने इन अनुदेशों को अपनी शाखाओं तक प्रसारित करने में पर्याप्त सावधानी नहीं रखी है, इस बारे में लगातार शिकायतें प्राप्त होते रहना इसका प्रमाण है। 3. इसलिए बैंकों को पुन: सूचित किया जाता है कि ऊपर उल्लिखित परिपत्र में बताए गए समयगत-अनुशासन का सख्ती से अनुपालन करें। इस समयगत-अनुशासन का अनुपालन नहीं करने पर भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (सन 2007 का अधिनियम 51) के तहत निर्धारित दंड लगाए जाएंगे। 4. यह निदेश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (सन 2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के तहत जारी किए जा रहे है। 5. कृपया पावती भिजवाएं भवदीय, (जी. पद्मनाभन) मुख्य महाप्रबंधक |