सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा सरकारी प्राप्तियों को सरकारी खाते में देरी से जमा देने के लिए ब्याज की वसूली - आरबीआई - Reserve Bank of India
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा सरकारी प्राप्तियों को सरकारी खाते में देरी से जमा देने के लिए ब्याज की वसूली
भारिबै /2008-09/463 28 अप्रैल 2009
महोदय, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा सरकारी प्राप्तियों को सरकारी राजस्व को जमा करने की अनुमत समय-सीमा के संबंध में दिनांक 24 जनवरी 2007 एवं 13 मार्च 2007 के हमारे परिपत्र भारिबै /2007/235 एवं 286 तथा 10 अक्तूबर 2006 के परिपत्र भारिबै /150 का संदर्भ लें । 2. भारत सरकार द्वारा गठित समिति ने सरकार के सभी प्रकार के राजस्व की इसके राजकोष में शीघ्रगामी गतिविधि और अन्य संबंधित मामलों की समीक्षा की है । इस समिति की अनुशंसा के आधार पर व्यय विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से, सरकारी खातों में सरकारी राजस्व को देरी से जमा करने हेतु ब्याज की वसूली की प्रक्रिया निम्नानुसार संशोधित की है | i) 1 मई 2005 से 31 दिसम्बर 2006 के मध्य किए गए उन सौदों, जिनके लिए दांडिक ब्याज भुगतान कर दिया गया है, सौदे को पूर्ण करने की तिथि के लिए (Put Through Date) अपवर्जन का लागू होना । प्रभावी निर्देशों के अनुसार, सौदे को पूर्ण करने की तिथि (Put Through Date) को, सरकारी राजस्व को जमा करने में हुई देरी के लिए विहित धनप्रेषण मानकों, से मुक्त रखा गया था और इन निर्देशों को, उन लंबित विलंब अवधि ब्याज प्रकरणों पर लागू किया गया था, जिनके लिए बैंकों ने ब्याज का भुगतान नही किया है । महालेखा नियंत्रक ने निर्णय लिया है कि उन बैंकों , जिन्होंने 1 मई 2005 से 31 दिसम्बर 2006 की अवधि के लिए उस समय प्रभावी निर्देशों के अनुसार दांडिक ब्याज का भुगतान कर दिया था , को भी सरकारी प्राप्तियों के लिए धनप्रेषण की अवधि की गणना करते समय सौदे को पूर्ण करने की तिथि के लिए (Put Through Date) के अपवर्जन का लाभ दिया जाए । बैंकों द्वारा दांडिक ब्याज के किए अधिक भुगतान को भविष्य मे होनेवाले दांडिक ब्याज के दावों के साथ समायोजित किया जाएगा । ii) उत्पाद एवं सेवा शुल्क के लिए इलेक्ट्रानिक लेखा प्रणाली (EASIEST) के अंतर्गत बाहरी स्थानों के सौदों हेतु सरकारी राजस्व के सरकारी खाते में धनप्रेषण के लिए अनुमत अवधि । EASIEST की वर्तमान प्रक्रिया के अनुसार स्थानीय एवं अन्य केद्रों के लेनदेन के लिए टी+3 कार्य दिवस की समय सीमा है । EASIEST की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हूए यह निणय लिया गया है कि बाहरी केद्रों के लेनदेन के लिए अधिकतम अवधि टी + 5 कार्य दिवस (पूर्ण करने की तिथि को छोड़कर) होगी । यह व्यवस्था ई-भुगतान (इंटरनेट के द्वारा किए गए भुगतान ) पर लागू नही होगी, जिसके लिए हमारे दिनांक 18 जुलाई 2008 के परिपत्र क्र.भारिबै/2008/09/97 के द्वारा अलग से निर्देश जारी किए गए है । iii) सरकारी प्राप्तियों के विलंब से धन प्रेषण के लिए छोटी राशियों पर दांडिक ब्याज आरोपित करना यह निर्णय लिया गया है कि रुपए 500/- या कम के दांडिक ब्याज के छोटे दावों पर ध्यान नही दिया जाएगा एवं 1 जनवरी 2008 से ये दावें दांडिक ब्याज के कार्यक्षेत्र से बाहर होंगे । iv) OLTAS की प्रारंभिक अवधि में व्यवहार करने वाली शाखाओं की शुरुवाती समस्याओं के लिए दांडिक ब्याज को माफ करना । OLTAS के कार्यान्वयन की प्रारंभिक अवधि में आनेवाली विभिन्न समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि प्रणाली के स्थिर होने तक, छह तिमाही (अर्थात 1 अप्रैल 2005 से 30 सितम्बर 2006) तक, इसे दांडिक ब्याज की परिधि से मुक्त रखा जाएगा । 3. हमें यह भी सूचित किया गया है कि वित्त मंत्रालय की पीपीएफ /एससीएसएस आदि जमा योजनाओं के अंतर्गत धन प्रेषण पर ये निर्देश लागू नहीं होंगे । 4. अतः आप तदनुसार सरकारी राजस्व धनप्रेषण करने की व्यवस्था करें । भवदीय
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