परियोजना ऋणों हेतु पुनर्वित्त प्रदान किया जाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
परियोजना ऋणों हेतु पुनर्वित्त प्रदान किया जाना
आरबीआई/2014-15/167 7 अगस्त 2014 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक महोदय परियोजना ऋणों हेतु पुनर्वित्त प्रदान किया जाना कृपया ‘बुनियादी संरचना क्षेत्र और महत्वपूर्ण उद्योगों के लिए दीर्घावधि परियोजना ऋणों की लचीली संरचना’ पर जारी 15 जुलाई 2014 का हमारा परिपत्र बैंपविवि.सं.बीपी.बीसी.24/21.04.132/2014-15 देखें, जिसके द्वारा बैंकों को बुनियादी संरचना क्षेत्र और महत्वपूर्ण उद्योगों को नए दीर्घावधि परियोजना ऋणों के लिए लचीली संरचना की अनुमति दी गई है। 2. तथापि, मौजूदा बुनियादी संरचना और अन्य परियोजना ऋणों के संबंध में 'अर्थव्यवस्था में दबावग्रस्त आस्तियों को सशक्त करने के लिए ढांचा–परियोजना ऋणों को पुनर्वित्त प्रदान करना, एनपीए का विक्रय तथा अन्य विनियामक उपाय' पर 26 फरवरी 2014 के हमारे परिपत्र बैंपविवि.सं.बीपी.बीसी.98/21.04.132/2013-14 के पैराग्राफ 2 के अनुसार बैंकों को अन्य बैंकों/वित्तीय संस्थानों के साथ पूर्व-निर्धारित करार के बिना ही, टेक-आउट वित्तपोषण के जरिए पुनर्वित्त प्रदान करने तथा पुनर्रचना न मानते हुए दीर्घतर चुकौती अवधि का निर्धारण करने की अनुमति दी गई है, यदि निम्नलिखित शर्तें पूरी होती हों -
3. बैंकों से मिलने वाला फीडबैक यह दर्शाता है कि ऋणों के बड़े अंश के अधिग्रहण, अर्थात मौजूदा वित्तपोषण करने वाले बैंकों/वित्तीय संस्थानों से मूल्य के आधार पर बकाया ऋण के 50% से अधिक अंश के अधिग्रहण की शर्त को पूरा कर पाना सामान्यतया कठिन है क्योंकि ऐसे परियोजना ऋणों की बैंक संघीय / बहु बैंकिंग व्यवस्था में अनेक बैँक पहले से ही शामिल रहते हैं। 4. अत:, मौजूदा परियोजना ऋणों के संबंध में, यह निर्णय लिया गया है कि बैंक अन्य बैंकों/वित्तीय संस्थानों के साथ पूर्व-निर्धारित करार के बिना ही, ऐसे ऋणों के लिए पूर्णत: अथवा अंशत: टेक-आउट वित्तपोषण के जरिए पुनर्वित्त प्रदान कर सकते हैँ तथा दीर्घतर चुकौती अवधि निर्धारित कर सकते हैँ तथा इसे निम्नलिखित शर्तों की पूर्ति के अधीन मौजूदा तथा अधिग्राही ऋणदाताओं की लेखा-बहियों में पुनर्रचना नहीं समझा जाएगा :
5. उपर्युक्त सुविधा मौजूदा परियोजना ऋणों के जीवनकाल में केवल एक बार ही मिलेगी। उपर्युक्त पैरा 4 में दी गई शर्तों को पूरा नहीं करने वाले मौजूदा परियोजना ऋणों के पुनर्वित्तीयन पर 26 फरवरी 2014 के हमारे संदर्भित परिपत्र के पैराग्राफ 2 में दिए गए अनुदेश यथावत लागू होंगे। भवदीय (सुदर्शन सेन) |