विपत्तिग्रस्त किसानों की सहायता के लिए राहत उपाय - आरबीआई - Reserve Bank of India
विपत्तिग्रस्त किसानों की सहायता के लिए राहत उपाय
भारिबैं / 2006-07 / 174
ग्राआऋवि.पीएलएफएस.बीसी.सं. 32 / 05.04.02/2006-07
13 नवंबर 2006
अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
महोदय,
विपत्तिग्रस्त किसानों की सहायता के लिए राहत उपाय
कृपया वर्ष 2006-07 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य की मध्यावधि समीक्षा के पैरा 119 के संदर्भ में देखें । (प्रति संलग्न)
2. वर्तमान में एकबारगी निपटान सुविधा के लाभ उन किसानों के लिए उपलब्ध नहीं हैं, जिनके खाते प्राकृतिक आपदाओं के कारण पहले ही पुन: निर्धारित / परिवर्तित किए गए हैं क्योंकि वे खाते चालू देय के रुप में माने जा रहे हैं । तथापि वास्तविकता यह है कि इन किसानों की स्थिति इन योजनाओं में कवर किए गए किसानों से बहुत भिन्न नहीं है ।
3. अत:, ऐसे विपत्तिग्रस्त किसानों के साथ-साथ अपने नियंत्रण से परे परिस्थितियों के कारण अपने ऋणों के संबंध में चूक करने वाले किसानों को सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से बैंक अपने बोर्डों के अनुमोदन से ऐसे किसानों के लिए पारदर्शी एकबारगी निपटान योजना तैयार कर सकते हैं ।
4. कृपया पावती दें ।
भवदीय
( सी.एस.मूर्ति )
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
अनुबंध
वर्ष 2006-07 के लिए वार्षिक नीति की मध्यावधि समीक्षा का पैरा 119 :
119. विपत्तिग्रस्त किसानों की सहायता के लिए तथा साथ ही वित्तीय परामर्श सेवाओं का प्रावधान करने एवं ऐसे किसानों के लिए निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम के अंतर्गत विशेष ऋण गारंटी योजना प्रारंभ करने हेतु उपाय सुझाने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा गठित कार्यदल ( अध्यक्ष : प्रो. एस.एस.जोहल ) ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट अक्तूबर 2006 में प्रस्तुत की । इस दल की सिफारिशों के अनुसरण में तथा एकबारगी समझौता योजना के कार्यान्वयन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दृष्टि से यह प्रस्ताव है कि :
- बैंक, अपने निदेशकमण्डलों के अनुमोदन से उन किसानों को एकबारगी निपटान सुविधा प्रदान करने के लिए पारदर्शी नीति बना सकते हैं जिनके खातों की अवधि का प्राकृतिक आपदा के कारण पुनर्निर्धारण किया गया है तथा जिन्होंने अपने नियंत्रण से परे की परिस्थितियों के कारण चूक की है ।