लॉटरी आदि योजनाओं में सहभाग हेतु विप्रेषण - आरबीआई - Reserve Bank of India
लॉटरी आदि योजनाओं में सहभाग हेतु विप्रेषण
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआइआर सिरीज़ ) परिपत्र सं.49 जून 4, 2002 सेवा में महोदया / महोदय लॉटरी आदि योजनाओं में सहभाग हेतु विप्रेषण प्राधिकृत व्यापारीयों का ध्यान विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अंतर्गत पुरस्कार की मुद्रा / पुरस्कार आदि को सुरक्षित रखने के उद्येश्य के लिए मुद्रा परिचालन योजना अथवा विप्रेषण जैसे पिभिन्न नामों के अधीन चलाने जानेवाले लॉटारी योजनाओं अथवा लॉटरी जैसी योजनाओं से सहभाग की ओर किसी भी रुप में विप्रेषण पर प्रतिबंध से संबंधित 7 दिसम्बर 2000 के ए.पी. (डीआइआर सिरिज ) परिपत्र सं. 22 और दिनांक 27 जुलाई 2001 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज ) परिपत्र सं. 2 की ओर आकृष्ट किया जाता है । 2. यह स्पष्ट किया जाता है कि ऐसे भुगतानाओं पर प्रतिबंध में किसी निवासीय द्वारा उपयोग करनेवाले न केवल नकद / ड्राफ्ट / क्रेडिट कार्ड / डेबिट निवासियों की ओर से अनिवासियों द्वारा किये गये भुगतान शामिल है बल्कि निवासियों की ओर से अनिवासियों द्वारा किये गये भुगतान भी शामिल है । अत: भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा इस प्रकार के प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष रुप से किये गये भुगतान / विप्रेषण के लिए वे स्वयं विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 के उल्लंघन के लिए उनके विरुध्द मुकदमा दायर करने के लिए उत्तरदायी होंगे । 3. अत: जिन सदस्यों को सूचित करने के उद्येश्य से प्राधिकृत व्यापारियों को पुन:श्च सूचित किया जाता है कि वे उक्त उल्लिखित ए.पी(डीआइआर सिरीज) परिपत्रों में अन्तर्विष्ट अनुदेशों का व्यापक प्रचार करें । 4. इस परिपत्र में अन्तर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किए गए है । भवदीया ग्रेस कोशी |