उत्तराधिकार / विरासत / विदेशी राष्ट्रिकों के माध्यम से भारत में अभिगृहित परिसंपत्तियों का प्रेषण - आरबीआई - Reserve Bank of India
उत्तराधिकार / विरासत / विदेशी राष्ट्रिकों के माध्यम से भारत में अभिगृहित परिसंपत्तियों का प्रेषण
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआइआर.सिरीज) परिपत्र क्र. 19 सितम्बर 12, 2002 सेवा में महोदया / महोदय उत्तराधिकार / विरासत / विदेशी राष्ट्रिकों के प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 3 मई 2000 की रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं. फेमा. 13/2000-आरबी के विनियम 4 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार प्राधिकृत व्यापारियों को भारत में स्थित परिसंपत्तियों में से विदेशी राष्ट्रियों द्वारा, सेवा निवृत्त कर्मचारी अथवा भारतीय नागरिकों की अनिवासी विधवाओं समेत, 20 लाख रुपये प्रति कैलेंडर वर्ष प्रेषित करने के लिए अनुमति दी गई है । रिज़र्व बैंक द्वारा 13 मई 2002 को अधिसूचना सं. फेमा 62/आरबी-2000 (प्रतिलिपि संलग्न) जारी की गई है जिसके द्वारा 20 लाख रुपये की वर्तमान सीमा को बढ़ाकर 100,000 लाख अमरीकी डॉलर प्रति कैलेंडर वर्ष कर दी गई है ओर वह प्रेषण सुविधा अनिवासी भारतीयों और भारतीय मूल के व्यक्तियों (एनआरआई / पीआईओ ) को भी 100,000 अमरीकी डॉलर से अनधिक प्रति वर्ष, उत्तराधिकार / विरासत के माध्यम से भारत में अभिगृहित परिसंपत्तियों में से प्रेषित करने के लिए बढ़ा दी गई है । 2. तदनुसार, प्राधिकृत व्यापारी विदेशी देश के किसी नागरिक अथवा भारतीय मूल का कोई व्यक्ति (पीआईओ), नेपाल और भूटान का नागरिक न हो, द्वारा 100,000 अमरीकी डॉलर (एक लाख अमरीकी डॉलर) मुद्रा से अनधिक प्रति कैलेंडर वर्ष भारत में स्थित परिसंपत्तियों में से, निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत करने पर प्रेषण की अनुमति देग सकते हैं : i) प्रेषक द्वारा परिसंपत्ति अभिग्रहण के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य, ii) प्रेषण के लिए आयकर प्राधिकारी से कर भुगतान / अनापत्ति प्रमाण पत्र । 3. प्राधिकृत व्यापारी अनिवासी भारतीय अथवा भारतीय मूल के व्यक्ति द्वारा उत्तराधिकार / विरासत में प्राप्त भारत में अभिगृहित परिसंपत्तियों में से 100,000 अमरीकी डॉलर प्रति कैलेंडर वर्ष भेजने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ प्रस्तुत करने पर अनुमति दे सकते हैं : i) यह निर्धारित करने के लिए कि परिसंपत्ति उत्तराधिकार / विरासत में प्राप्त हुई है उसके लिए दस्तावेज़ी साक्ष्य, ii) प्रेषण के लिए आयकर प्राधिकारी से कर भुगतान / अनापत्ति प्रमाण पत्र । 4. यदि प्रेषण एक से ज्यादा किश्तों में भेजा जाना है तो प्रेषण की सभी किश्तें उसी प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से भेजी जाए । 5. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय वस्तु की जानकारी अपने सभी ग्राहकों दे दें । 6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं । भवदीया ग्रेस कोशी |