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पण्य व्युत्पन्न संविदा से संबंधित धनप्रेषण गारंटी/समर्थनकारी
साख-पत्र /बैंक गारंटी जारी करना

़ख्र्ख्र्दृ्र॰ख्र्ज्ञ्i/िं2008-09/222 10 ड़ख्र्द्म्ख्र्ह्य्॰्र 2008

भारिबैंक/2008-09/277
ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.35

10 नवंबर 2008

 

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक

महोदय/महोदया

पण्य व्युत्पन्न संविदा से संबंधित धनप्रेषण गारंटी/समर्थनकारी साख-पत्र /बैंक गारंटी जारी करना

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। (एडी श्रेणी-।) बैंकों का ध्यान , विनियमों के अनुरूप किये गये पण्य डेरिवेटिव संविदा के संबंध में विदेशी मुद्रा के धन प्रेषणों से संबंधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.25/2000-आरबी के विनियम 8 अर्थात् समय समय पर यथा संशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदाएं )विनिमय,2000 की ओर आकर्षित किया जाता है ।

2. ग्राहकों द्वारा समुद्रपारीय काउंटरपार्टियों से किये गये पण्य डेरिवेटिव लेनदेनों के कारण उत्पन्न भुगतान-दायित्व के पूरा करने के लिए प्रत्यक्ष धनप्रेषण के बदले बैंक गारंटी/समर्थनकारी साख-पत्र जारी करने हेतु बैंकों से भारतीय रिज़र्व बैंक को अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं । निवासी संस्थाओं को जिन्हें ऐसे पण्य डेरिवेटिव संविदाओं के संबंध में भुगतान दायित्व पूरे करने हैं, अत्यधिक लचीलापन प्रदान करने की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र के अनुबंध में दी गयी शर्तों /दिशा-निर्देशों पर इन विशिष्ट भुगतान दायित्व को निपटाने के लिए गारंटी/समर्थनकारी साख पत्र जारी कर सकते हैं ।

3. एडी श्रेणी -। बैंक गारंटी/आपाती साख-पत्र केवल उन मामलों में जारी कर सकते हैं, जहां धनप्रेषण रिज़र्व बैंक द्वारा प्रत्यायोजित प्राधिकार के तहत अथवा समुद्रपारीय पण्य बचाव के लिए प्रदत्त विशिष्ट अनुमोदन के तहत किया जाता है ।

4. जारीकर्ता बैंक की जोखिम के स्वरूप और सीमा पर बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति होनी चाहिए जो, बैंक ऐसे लेनदेनों के लिए अपना सकें और ग्राहकों पर ऋण जोखिम का भाग होना चाहिए ।ऐसे ऋण को वर्तमान प्रवधानों के अनुसार पूंजी पर्याप्तता प्रयोजनों के लिए जोखिम भारिता भी दी जानी चाहिए ।

5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत करा दें।

6. 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.8/2000-आरबी अर्थात् विदेशी मुद्रा प्रबंध (गारंटी) अधिनियम 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जाएंगे ।

7. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

भवदीय

(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध
[10 नवंबर 2008 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज)
परिपत्र सं.35 का अनुबंध]

पण्य बचाव लेनदेनों के लिए गारंटी/समर्थनकारी साख-पत्र /बैंक गारंटी
जारी करने के लिए शर्तें /दिशा-निर्देश

1. गारंटी/समर्थनकारी साख-पत्र /बैंक गारंटी कंपनी की अनुमोदित पण्य बचाव गतिविधियों के संबंध में मार्जिन राशि के भुगतान के विशिष्ट प्रयोजन के लिए जारी की जाए ।

2. गारंटी/समर्थनकारी साख-पत्र /बैंक गारंटी किसी विशिष्ट प्रतिपक्ष को पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान किये गये मार्जिन भुगतान राशि से कम राशि के लिए जारी की जाए ।

3. गारंटी/समर्थनकारी साख-पत्र /बैंक गारंटी ग्राहक को उपलब्ध गैर-निधि आधार (आपाती साख पत्र/बैंक गारंटी सीमा)सुविधा पर धारणाधिकार को चिन्हित करने के बाद अधिकतम एक वर्ष की अवधि के लिए जारी की जाए ।

4. बैंक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समुद्रपारीय पण्य बचाव के लिए दिशा-निर्देशों का विधिवत् अनुपालन किया गया है ।

5. बैंकयह सुनिश्चित करेंगे कि बिचौलिये की माह के अंत की रिपोर्ट , कंपनी वित्तीय नियंत्रक द्वारा विधिवत् पुष्टि की गई /प्रतिहस्ताक्षरित प्रस्तुत की गयी है ।

6. बैंक द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी अपतटीय स्थितियां वास्तविक जोखिमों द्वारा समर्थित हैं /थीं बिचौलिये की माह के अंत की रिपोर्ट नियमित रूप से सत्यापित की जाएगी ।

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