मुद्रा प्रचलन समाहित योजनाओं के लिए विप्रेषण - आरबीआई - Reserve Bank of India
मुद्रा प्रचलन समाहित योजनाओं के लिए विप्रेषण
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं. 22 दिसंबर 7, 2000 प्रति प्रिय महोदय, मुद्रा प्रचलन समाहित योजनाओं के लिए विप्रेषण वेबसाइटों की खरीद की ओर विदेशी करेन्सी में विप्रेषण करने के लिए अनुमोदन/स्पष्टीकरण प्राप्त करने हेतु व्यक्तिगतों / प्राधिकृत व्यापारियों से हालही में रिज़र्व बैंक में संदर्भ प्राप्त हुए है । इस प्रकार की कतिपय योजनाएं नये ग्राहकों की संख्या /श्रृंखला के साथ जोड़े गये ग्राहकों पर निर्भर करते हुए उसके द्वारा मुद्रा प्रचलन के लिए ऐसे सदृश्य योजनाओं के परिचालन हेतु वर्धमान आधार पर अमेरिकी डालर में और/अथवा अन्य विदेशी करेन्सी में अर्जन का प्रस्ताव करता है । यह स्पष्ट किया जाता है कि प्राधिकृत व्यापारियों को इस प्रकार की योजनाओं के परिचालकों और /अथवा कोई अन्य विदेशी कंपनी जो इस प्रकार की गतिविधियाँ चलाती है, को विप्रेषणों की अनुमति नहीं देनी चाहिए । 2. तथापि, प्राधिकृत व्यापारी विप्रेषण की अनुमति दे सकते है यदि वे इस बात से संतुष्ट है कि वेबसाईट बिना किसी शर्तों पर बेची गयी है और विप्रेषणकर्ताने उसे उसके वर्तमान/आगामी कारोबार के लिए उसका विकास करने हेतु खरीदा है और न कि श्रृंखला की ओर और सदस्यों को जोड़ने हेतु । इसके प्रयोजनार्थ प्राधिकृत व्यापारियों को स्वयं को विदेशी कंपनी और /अथवा परिचालकों और योजना की प्रामाणिकता के बारे में, उचित दस्तावेजों के जरिए, संतुष्ट करना चाहिए । 3. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत कराये । 4. इस परिपत्र में अंतर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किये गये है और इसका किसी भी तरह से उल्लंघन किया जाना अथवा अनुपालन न किया जाना अधिनियम के अधीन निर्धारित जुर्माने से दंडनीय है । भवदीय, |