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निवासी विदेशी मुद्रा (घरेलू) खाते - निवासी व्यक्तियों के लिए सुविधाएं

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई 400 001

ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं. 37

नवंबर 1, 2002

सेवा में

विदेशी मुद्रा के समस्त प्राधिकृत व्यापारी

महोदया/महोदय,

निवासी विदेशी मुद्रा (घरेलू) खाते - निवासी व्यक्तियों के लिए सुविधाएं

प्राधिकृत व्यापारी जानते हैं कि मई 03, 2000 की आरबीआई अधिसूचना सं. फेमा 11/2000-आरबी के विनियम 3(III) के अनुसार निवासियों को नकद और अथवा यात्री चेकों के रूप में कुल 2000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य रकम रखने की अनुमति है बशर्ते कि वह निम्नलिखित प्रकार से प्राप्त हुई हो :-

क) भारत से बाहर किसी भी साानि की यात्रा के दौरान सेवा प्रदान करने के लिए प्राप्त भुतान हो परंतु जो भारत में किए गए किसी कारोबार के लिए भुगतान न हो; अथवा

ख) भारत में न निवास करने वाले भारत की यात्रा पर किसी भी व्यक्ति से मानदेय अथवा उपहार अथवा दी गई सेवा अथवा किसी कानूनी देश्ता के भुगतान स्वरूप हो; अथवा

ग) भारत से बाहर किसी स्थान की यात्रा के दौरान प्राप्त मानदेय अथवा उपहार; अथवा

घ) विदेश यात्रा के लिए किसी प्राधिकृत व्यापारी से अभिगृहीत विदेशी मुद्रा में से बची हुई रकम ।

2. और अधिक उदारीकरण के विचार से महत्वपूर्ण उपाय के रूप में निर्णय किया गया है कि भारत में निवासी कोई व्यक्ति भारत में किसी लाइसेंशुदा बैंक (जो प्राधिकृत व्यापारी भी है) के पास उक्त (क) से (घ) तक में निर्दिष्ट ॉााटतों से प्राप्त करेंसी नोट, बैंक नोट और यात्री चेकों के रूप में अभिगृहीत विदेशी मुद्रा से विदेशी मुद्रा खाता खोल सकता है, धारित कर सकता है और अनुरक्षित कर सकता है । खाते में से व्यय मौजूदा विदेश्ां मुद्रा विनियमावली के अनुसार चालू/पूँजी खाता लेनदेन के लिए किया जाएगा । खाता चालू खाते के रूप होगा और उस पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा । चेक की सुविधा रहेगी । खाते में जमा रकम की कोई सीमा नहीं होगी ।

3. यह स्पष्ट किया जाता है कि (i) निवासी विदेशी मुद्रा (घरेलू) खाता खोलने की नई सविधा मई 03, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 10/ 2000-आरबी के विनियम 5 के अनुसार मौजूदा आरएफसी खाते की सुविधा के अतिरिक्त है और (ii) खाते में 2000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य रकम नकद और अथवा यात्री चेकों के रूप में रखने की सुविधा मई 3, 2000 की आरबीआई अधिसूचना सं.फेमा.11/2000-आरबी के विनियम 3 (iii) के अनुसार उपलब्ध है ।

4. मई 03, 2000 की आरबीआई अधिसूचना सं. फेमा 10/2000-आरबी के संगत उपबंधों में आशोधन के लिए आवश्यक अधिसूचना अलग से जारी की जा रही है ।

5. भारत सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करने तक, प्राधिकृत व्यापारी निवासी विदेशी मुद्रा (घरेलू) खाते खोलने के लिए प्राप्त अनुरोधों को अपनी सिफारिश के साथ रिज़र्व बेंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को अग्रेषित करें । परंतु, प्राधिकृत व्यापारी खाता खोलते समय ‘अपने ग्राहक को जानिए’ मार्गदर्शी निदेशों समेत वही प्रक्रिया अपनाएँ जो अन्य घरेलू खाते खोलने के लिए अपनाई जाती है ।

6. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु की जानकारी अपने सभी ग्राहकों को दे दें ।

7. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11 (1) के अंतर्गत जारी किए गए है ।

भवदीया

(ग्रेस कोशी)
मुख्य महाप्रबंधक

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