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निवासी विदेश मुद्रा

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग
केद्रीय कार्यालय
मुंबई

ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र क्र.64

दिसंबर 24, 2002

सेवा में

विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी

महोदया/महोदय,

निवासी विदेश मुद्रा

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान नवंबर 23 , 2002 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं.53 की अधिसूचना सं.फेमा.74/2002-आरबी की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार निवासियों को विनिर्दिष्ट प्रयोजनों के लिए भारत के प्राधिकृत व्यापारी के पास करेंसी नोट, बैंक नोट और यात्री चेकों के रूप में अभिगृहीत विदेशी मुद्रा से विदेशी मुद्रा (घरेलू) खाता खोलने, धारित करने और अनुरक्षित करने की अनुमति है।

2. अब निर्णय किया गया है कि उक्त अधिसूचना में उल्लिखित प्रयोजनों और स्वरूपों के अलावा, निवासी व्यक्ति अपनी अर्जित विदेशी मुद्रा और / अथवा अपने घनिष्ट रिश्तेदारों (जैसा कि कंपनी अधिनियम में परिभाषित) से सामान्य बैंकिंग मार्ग से भारत में प्राप्त उपहारों की विदेशी मुद्रा को अपने निवासी विदेशी मुद्रा (घरेलु) खाते में जमा कर सकते हैं। उससे खाता खोल सकते हैं। विदेशी मुद्रा का अर्जन माल के निर्यात और / अथवा सेवाओं, रॉयल्टी, मानदेय आदि द्वारा हो सकता हैं।

3. नवंबर 1, 2002 की अधिसूचना सं.फेमा.74/2002-आरबी में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं।

4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय वस्तु की जानकारी अपने सभी ग्राहकों को दे दें।

5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं।

भवदीय,

(ग्रेस कोशी)
मुख्य महाप्रबंधक

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