बीआईएफआर/सीडीआर/जेएलएफ मामलो के लिए समाधान अवधि - आरबीआई - Reserve Bank of India
बीआईएफआर/सीडीआर/जेएलएफ मामलो के लिए समाधान अवधि
भारिबैं/2014-2015/588 07 मई 2015 अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/ मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय, बीआईएफआर/सीडीआर/जेएलएफ मामलो के लिए समाधान अवधि कृपया 23 अप्रैल 2003 का “प्रतिभूतिकरण कंपनी और पुनर्निर्माण कंपनी (रिजर्व बैंक) मार्गदर्शी सिद्धांत तथा निदेश, 2003 (इसके बाद इसे निदेश कहा जाएगा) तथा 01 जुलाई 2014 का परिपत्र गैबैंपवि.नीप्र.कंपरि.सं. 39/एससीआरसी/26.03.001/2014-15 का अवलोकन करें। 2. भारतीय रिज़र्व बैंक दिशानिदेश के अनुसार (1 जुलाई 2014 का मास्टर परिपत्र के उप पैरा 7(6)(ii) तथा (iii), एससी/आरसी को उनके द्वारा अर्जित दबावग्रस्त आस्तियों की वसूली के लिए अधिकतम 8 वर्ष समाधान अवधि की अनुमति है। तथापि, अधिकतर मामलों में दबावग्रस्त आस्तियों का पुनर्निर्माण प्रस्ताव, बीआईएफआर/सीडीआर/जेएलएफ द्वारा यथा अनुमोदित, में पुनर्भुगतान अवधि निर्धारित 8 वर्ष की समय से अधिक हो जाती है। ऐसे मामलों में दबावग्रस्त आस्तियां धारण करने वाली एससी/आरसी उक्त विनियामक बाध्यताओं के कारण अन्य उधारदाताओं के साथ 8 वर्ष से अधिक समय अवधि के प्रति अपनी असमर्थता बताते है और 5 अथवा 8 वर्ष की समाप्ति पर इससे बाहर आ जाते है जिससे अधिकतर उधारदाताओं का पुनर्निर्माण प्रयास खतरे में आ जाता है। 3. अत: यह निर्णय लिया गया कि मौजूदा दिशानिदेश में निम्नलिखित संशोधन किया जाए:
4. एससी/आरसी उक्त निदेशों को गहन अनुपालन के लिए नोट करें। 5. “प्रतिभूतिकरण कंपनी और पुनर्निर्माण कंपनी (रिजर्व बैंक) मार्गदर्शी सिद्धांत तथा निदेश, 2003” को संशोधित करने वाली 07 मई 2015 की अधिसूचना गैबैंविवि (नीप्र-एससी/आरसी) सं.02/मुमप्र (सीडीएस) 2014-15 इसके साथ संलग्न है। भवदीय, (सी डी श्रीनिवासन) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना गैबैंविवि(नीप्र-एससी/आरसी)सं.02 /मुमप्र (सीडीएस)/ 2014-2015 07 मई 2015 भारतीय रिजर्व बैंक, जन हित में इसे आवश्यक मानते हुए तथा इस बात से संतुष्ट होकर कि वित्तीय प्रणाली को देश के हित में विनियमित करने हेतु रिजर्व बैंक को समर्थ बनाने के प्रयोजन के लिए और किसी भी प्रतिभूतिकरण कंपनी (एससी) या पुनर्निर्माण कंपनी (आरसी) के निवेशकों के हित के लिए हानिकारक ढंग से चलाए जा रहे कार्यकलापों को या ऐसी प्रतिभूतिकरण कंपनी या पुनर्निर्माण कंपनी के हित में किसी भी प्रकार से पक्षपाती ढंग चलाए जा रहे कार्यकलापों को रोकने के लिए "वित्तीय परिसंपत्तियों के प्रतिभूतिकरण तथा पुनर्निर्माण और प्रतिभूति हित प्रवर्तन अधिनियम, 2002" की धारा 3,9,12 और 13 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 23 अप्रैल 2003 की अधिसूचना सं. डीएनबीएस 2/सीजीएम(सीएसएम)-2003 मे निहित प्रतिभूतिकरण कंपनी और पुनर्निर्माण कंपनी (रिजर्व बैंक) मार्गदर्शी सिद्धांत तथा निदेश, 2003 (जिन्हें इसके बाद निदेश कहा जाएगा) को तत्काल प्रभाव से निम्नानुसार संशोधित करने का निदेश देता है:- 2. मौजूदा पैराग्राफ 22 (i) में मौजूदा उप-पैराग्राफ को उप-पैराग्राफ (1) के रूप में क्रमांकित किया जाए। (ii) उप-पैराग्राफ (1) के बाद निम्नलिखित पैराग्राफ को जोड़ा जाए। (2) जिन पुनर्निर्माण प्रस्ताव को बीआईएफआर/सीडीआर/जेएलएफ द्वारा मंजूरी दी गई हो/ दी जानी हो, उन में एससी/आरसी को अन्य सुरक्षित उधारदाताओं के साथ समाधान अवधि के सह-टर्मिनस को स्वीकार करने की अनुमति दी जाएगी। (3) ऐसे सभी मामलों में, इन आस्तियों के बदले रखे गए प्रतिभूति रसीदों (एसआर) की मोचन अवधि को बीआईएफआर/सीडीआर/जेएलएफ द्वारा मंजूर समाधान अवधि के अनुरूप विस्तारित किया जा सकता है; मामलेवार भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमति के साथ, बशर्ते स्वतंत्र क्रेडिट रेटिंग ऐजेंसी द्वारा इन एसआर को लगातार सकारात्मक रेटिंग दिया गया हो। (4) निदेश के पैराग्राफ 7 के उप पैराग्राफ (6) का खंड (ii) तथा (iii) में निर्धारित वसूली की अवधि उक्त उप पैराग्राफ (2) और (3) के प्रयोजन के लिए लागू नहीं होगा। (सी डी श्रीनिवासन) |