रिसर्जेंट इंडिया बांड - वायदा संविदा - स्पष्टीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिसर्जेंट इंडिया बांड - वायदा संविदा - स्पष्टीकरण
ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र क्र.6 जुलाई 23, 2003 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय, रिसर्जेंट इंडिया बांड - वायदा संविदा - स्पष्टीकरण प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 25/आरबी-2000 की अनुसूची II के पैराग्राफ 2 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसमें उन जोखिमों की सूची दी गई है जिनके लिए प्राधिकृत व्यापारी अनिवासी भारतीयों /समुद्रपारीय निगमित निकायें को वायदा संविदा का प्रस्ताव दे सकते हैं। 2. चूंकि रिसर्जेंट इंडिया बांडो में निवेश उक्त प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आते हैं और चूंकि रिसर्जेंट इंडिया बांड निर्गम की मूल नियम और शर्ते प्रस्ताव दस्तावेज में निर्धारित नहीं हैं, परिपक्व होने वाले बांडों के लिए वायदा रक्षा की उपलब्धता की व्यवस्थ्ां नहीं की गई है, इसलिए बैंकों को सूचित किया जाता है कि अनिवासी भारतीयों ङ समुद्रपारीय निगमित निकायों को जिनके पास रिसर्जेंट इंडिया बांड है, उन्हें वायदा रक्षा न दी जाए। 3. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें। 4. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं। भवदीय, (ग्रेस कोशी) |