एडीआर/जीडीआर आय का विदेश में रखना - आरबीआई - Reserve Bank of India
एडीआर/जीडीआर आय का विदेश में रखना
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिक्रम क्र.69 जनवरी 13, 2003 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय, एडीआर/जीडीआर आय का विदेश में रखना प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान मई 3, 2000 की अधिसूचना फेमा.20/2000-आरबी की अनुसूचि 1 के विनियम 4 के खण्ड(4) की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार भारतीय कंपनियां एडीआर/जीडीआर जारी करने के लिए विदेशी डिपॉज़िटर को जो शेयर जारी करती हैं उन्हें भारत में प्रत्यावर्तन तक अस्थायी अवधि के लिए, उनमें निहित शर्तों के अधीन, विदेश में निधियों के निवेश की अनुमति है। 2. अब यह निर्णय किया गया है कि भारतीय कंपनियाँ भविष्य की अपनी विदेशी मुद्रा की आवश्यकता को पूरा करने के लिए एडीआर/जीडीआर के माध्यम से उगाही गई निधि को विदेश में जब तक चाहें रख सकती हैं। इसके अतिरिक्त, उगाहे गए बकाया प्रत्यावर्तन या जुटाया गया विदेशी संसाधन के प्रत्यावर्तन अथवा उनके उपयोग तक भारतीय कंपनियाँ विदेशी मुद्रा निधि का निम्नप्रकार से निवेश कर सकती हैं- i) बैंको द्वारा प्रस्तावित जमा राशि या जमा प्रमाणपत्र या अन्य उत्पाद जिन्हें कम से कम स्टैंडर्ड ऐंड पूअर / फिश आईबीसीए की AA(-) अथवा मूडीज़ की Aa3 रेटिंग प्राप्त है; ii) भारत के प्राधिकृत व्यापारी की भारत के बाहर की शाखा में जमा राशि, और iii) उक्त (i) में उल्लिखित न्यूनतम रेटिंग के एक साल की परिपक्वता वाले खजाना बिल और अन्य मौद्रिक लिखत। 3. कंपनियों से अपेक्षित है कि वे ऐसी जमा और विदेश में रक्षी निधियों के ब्योरे (फ्लापी पर) निर्गम बंद होने की तारीख से 30 दिन के भीतर मुख्य महाप्रबंधक, विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग,विदेशी निवेश प्रभा, भारतीय रिज़र्व बैंक, केद्रीय कार्यालय, मुंबई 400 001 को प्रस्तुत करें। 5. विदेशी मुद्रा प्रबंध विनियमावली 2000 मे आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं। 6. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत कर दें। 7. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं। भवदीय, (जी पद्मनाभन) |