प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण मानदंडों की समीक्षा - लघु वित्त बैंक
भारिबैं/2025-26/61 20 जून 2025 सभी लघु वित्त बैंक प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण मानदंडों की समीक्षा - लघु वित्त बैंक कृपया दिनांक 27 नवंबर 2014 के ‘निजी क्षेत्र में लघु वित्त बैंकों के लाइसेंस के लिए दिशानिर्देश’ और 05 दिसंबर 2019 को रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘निजी क्षेत्र में लघु वित्त बैंकों के ‘ऑन-टैप’ (‘on-tap’) लाइसेंस के लिए दिशानिर्देश’ देखें। उपर्युक्त लाइसेंसिंग दिशानिर्देशों के पैराग्राफ II (9) के अनुसार, लघु वित्त बैंक (एसएफबी) को अपने समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) का 75 प्रतिशत रिज़र्व बैंक द्वारा प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार (पीएसएल) के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र क्षेत्रों को देना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, जबकि बैंक को अपने एएनबीसी का 40 प्रतिशत मौजूदा पीएसएल नियमों के अनुसार पीएसएल के तहत विभिन्न उप-क्षेत्रों को आवंटित करना चाहिए, बैंक शेष 35 प्रतिशत को पीएसएल के तहत किसी एक अथवा अधिक उप-क्षेत्रों को आवंटित कर सकता है, जहां उसे प्रतिस्पर्धात्मक लाभ हो। संशोधित प्रावधान 2. समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 से पीएसएल के अतिरिक्त घटक (35 प्रतिशत) को घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया जाएगा, जिससे समग्र पीएसएल लक्ष्य एएनबीसी अथवा तुलन-पत्रेतर एक्सपोजर (सीईओबीई) के समतुल्य क्रेडिट का 60 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो, हो जाएगा। एसएफबी अपने एएनबीसी अथवा सीईओबीई का 40 प्रतिशत में से जो भी अधिक हो, मौजूदा पीएसएल नियमों के अनुसार पीएसएल के तहत विभिन्न उप-क्षेत्रों को आवंटित करना जारी रखेगा, जबकि शेष 20 प्रतिशत पीएसएल के तहत किसी एक अथवा अधिक उप-क्षेत्रों को आवंटित किया जाएगा, जहां बैंक को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ है। 3. ये अनुदेश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 22(1) के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किए गए हैं। भवदीय, (मनोरंजन पाढ़ी) |