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विवेकपूर्ण मानदंडों की समीक्षा - मानक आस्तियों के लिए प्रावधानीकरण तथा कार्पोरेट, वाणिज्यिक स्थावर संपदा तथा प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार न करनेवाली गैर- बैंकिंग वित्तीय कंप्

आरबीआइ/2008-09/282
बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 83/21.01.002/2008-09

15 नवंबर 2008
24 कार्तिक 1930 (शक)

सभी वाणिज्य बैंक

(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर)

महोदय

विवेकपूर्ण मानदंडों की समीक्षा - मानक आस्तियों के लिए प्रावधानीकरण तथा कार्पोरेट, वाणिज्यिक स्थावर संपदा तथा प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार न करनेवाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी -एनडी -एसआइ) के प्रति एक्सपोज़र के लिए जोखिम भार

कृपया आय-निर्धारण और आस्ति- वर्गीकरण (आइआरएसी) मानदंडों पर 1 जुलाई 2008 के हमारे मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 20/21.04.048/2008-09 का पैरा 5.5 देखें जिसमें विभिन्न प्रकार की मानक आस्तियों के संबंध में मौजूदा सामान्य प्रावधानीकरण अपेक्षाएँ निर्दिष्ट की गयी हैं। कृपया नये पूंजी पर्याप्तता ढाँचे पर हमारे मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 11/21.06.001//2008-09 का पैरा 5.8.1, 5.11.2 और 5.13.5 भी देखें जिनमें क्रमश: कार्पोरेट पर दावे, वाणिज्यिक स्थावर संपदा की जमानत वाले दावे तथा आस्ति वित्त कंपनियों को छोड़कर प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार न करनेवाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के दावों के संबंध में जोखिम भार निर्दिष्ट किये गये हैं।

2. उपर्युक्त विवेकपूर्ण अपेक्षाओं का निर्धारण विनिर्दिष्ट क्षेत्रों में लगातार उच्च ऋण वृद्धि को देखते हुए किया गया था। समीक्षा करने पर अब यह निर्णय लिया गया है कि एक प्रति-चक्रीय उपाय के रूप में उपर्युक्त विवेकपूर्ण मानदंडों में तुंत प्रभाव से निम्नानुसार परिवर्तन किये जाएँ -

क) प्रावधानीकरण मानदंड : सभी प्रकार की मानक आस्तियों के संबंध में प्रावधानीकरण अपेक्षाएँ घटाकर 0.40 प्रतिशत के एक समान स्तर पर लायी गयी है । केवल कृषि और एसएमई क्षेत्रों को दिए गए प्रत्यक्ष अग्रिम के मामले में अब तक की तरह 0.25 प्रतिशत का प्रावधानीकरण जारी रहेगा।

संशोधित मानदंड भविष्यलक्षी प्रभाव से लागू होंगे लेकिन वर्तमान में जो प्रावधान रखे जा रहे हैं उन्हें वापस नहीं किया जाए। तथापि, भविष्य में यदि संशोधित प्रावधानीकरण मानदंड लागू करने के बाद मानक संवर्ग की आस्तियों के लिए वर्तमान में रखे गए प्रावधानों के अलावा और प्रावधानों की अपेक्षा हो तो उनका विधिवत् प्रावधान किया जाना चाहिए।

ख) जोखिम भार : कार्पोरेट पर दावों, वाणिज्यिक स्थावर संपदा की जमानत वाले दावों और एनबीएफसी -एनडी-एसआई पर दावों के लिए जोखिम भार में निम्नानुसार संशोधन किया गया है :

(i) कार्पोरेट पर दावे : जिन कार्पोरेट की रेटिंग नहीं की गयी है ,उनसे संबंधित दीर्घावधि और अल्पावधि दावों पर 100 प्रतिशत का समरूप जोखिम भार लगेगा चाहे उनकी राशि कुछ भी क्यों न हो।

(ii) वाणिज्यिक स्थावर संपदा की जमानत वाले दावे : ऐसे दावों पर 100 प्रतिशत का जोखिम भार लगेगा, जबकि मौजूदा जोखिम भार 150 प्रतिशत का ह।

(iii) एनबीएफसी-एनडी-एसआइ पर दावे : एनबीएफसी-एनडी-एसआइ (एएफसी को छोड़कर) पर दावों पर 100 प्रतिशत का एक समान जोखिम भार लगेगा चाहे उनकी रेटिंग हुई हो या न हुई हो।

जहां तक एएफसी पर दावों का संबंध है, उनके जोखिम भार में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है तथा एएफसी की क्रेडिट रेटिंग के अनुसार उनपर जोखिम भार लगाना जारी रहेगा । केवल नयी पूंजी पर्याप्तता ढांचे के अंतर्गत जिन दावों पर 150 प्रतिशत का जोखिम भार लगता था उसे घटाकर 100 प्रतिशत के स्तर पर लाया जाएगा ।

3. उपर्युक्त संशोधन बासल I ढांचे के अंतर्गत आनेवाले बैंकों पर भी लागू होगा ।

भवदीय

(विनय बैजल)
मुख्य महाप्रबंधक

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