चेक संग्रहण हेतु सेवा प्रभारों की समीक्षा – स्थानीय, बाहरी (Outstation) और स्पीड क्लियरिंग - आरबीआई - Reserve Bank of India
चेक संग्रहण हेतु सेवा प्रभारों की समीक्षा – स्थानीय, बाहरी (Outstation) और स्पीड क्लियरिंग
भारिबैं/2010-11/377 19 जनवरी, 2011 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यकारी अधिकारी महोदया / महोदय, चेक संग्रहण हेतु सेवा प्रभारों की समीक्षा – स्थानीय, बाहरी (Outstation) और स्पीड क्लियरिंग इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के प्रयोग से भुगतान करने के लाभ को देखते हुए, विशेष रूप से बड़ी राशि के लेनदेनों के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक इलेक्ट्रॉनिक लेनदेनों की स्वीकार्यता, पहुंच तथा क्षमता बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम उठाता रहा है। इसके पश्चात भी, कागज आधारित लिखत का प्रयोग देश में भुगतान के लिए बड़ी मात्रा में किया जा रहा है। इसलिए रिज़र्व बैंक समाशोधन चक्र तथा स्थानीय और बाहरी दोनों चेकों के प्रचलन को कम करने के लिए बैंकिंग प्रणाली की प्रौद्योगिकी तथा कोर बैंकिंग के बुनियादी ढांचे के प्रयोग को प्रोत्साहित करता रहा है। 2. इस संबंध में, हमारे परिपत्रों DPSS.CO.No.611 / 03.01.03(P) / 2008-09 दिनांक 08 अक्टूबर, 2008 तथा DPSS.CO.No.829 / 03.01.03(SC) / 2008-09 दिनांक 17 नवंबर, 2008 की ओर बैंकों का ध्यान आकर्षित किया जाता है जिनमें बाहरी चेकों के संग्रहण तथा स्पीड क्लियरिंग व्यवस्था के अंतर्गत संग्रहित चेकों के प्रभार भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विभिन्न मूल्य सीमाओं (Value Bands) के लिए निर्धारित किए गए थे। 3. इस संबंध में गतिविधियों की समीक्षा करने पर, प्रभार संरचना को संशोधित करने का निर्णय लिया गया है। हालांकि रिज़र्व बैंक बचत खाता ग्राहकों से संबंधित छोटे मूल्य के लेनदेनों के लिए प्रभारों का निर्धारण करना जारी रखेगा, बड़े मूल्य के लेनदेनों के प्रभारों के निर्धारण हेतु बैंकों को उनके द्वारा ऐसे प्रभारों को उचित और पारदर्शी तरीके से निर्धारित करने की स्वतंत्रता दी जा रही है। इन उपायों से लेनदेनों का इलेक्ट्रानिक माध्यम में स्थानांतरण तेज होने की अपेक्षा है। 4. तदनुसार, निम्नलिखित सेवा प्रभार संरचना 01 अप्रैल, 2011 से प्रभाव में आ जाएगी। (क) स्थानीय समाशोधन के लिए सेवा (प्रोसेसिंग) प्रभार (समाशोधन गृहों द्वारा सदस्य बैंकों से)-
(ख) बाहरी चेकों के संग्रहण के लिए सेवा प्रभार –
(ग) स्पीड क्लियरिंग के अंतर्गत चेक संग्रहण के लिए सेवा प्रभार (संग्रहकर्ता बैंकों द्वारा ग्राहकों से) –
5. अन्य प्रकार के खातों में राशि जमा करने हेतु लिखत के संग्रहण के प्रभार निर्धारित करने के लिए बैंक स्वतंत्र हैं। 6. यहां पर निर्धारित न किए गए सेवा प्रभारों को निर्धारित करते समय बैंकों को निम्नलिखित बातें ध्यान में रखें - (क) बैंक द्वारा निर्धारित सेवा प्रभार संरचना को बैंक के निदेशक मंडल का अनुमोदन होना चाहिए। (ख) निर्धारित किए गए प्रभार उचित तथा लागत जमा आधार (cost-plus-basis) पर संगणित होने चाहिए और लिखत के मूल्य के मनमाने प्रतिशत के रूप में नहीं होने चाहिए। सेवा प्रभार संरचना ओपेन एंडेड (open ended) नहीं होनी चाहिए और ग्राहकों पर लगाए जाने वाले अधिकतम प्रभार, अन्य बैंकों को देय प्रभारों सहित, यदि कोई हैं, का स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए। (ग) सेवा प्रभारों को साझा (Share) करते समय, बैंक भारतीय बैंक संघ द्वारा जारी परिपत्र CIR / RB-I / CCP / 64 दिनांक 08 अप्रैल, 2010 के प्रावधानों से दिशा-निर्देश प्राप्त कर सकते हैं। (घ) स्पीड क्लियरिंग के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए बैंकों को यह सुनिश्चित करने हेतु ध्यान देना चाहिए कि किसी भी मूल्य के लिखत के लिए निर्धारित संग्रहण प्रभार स्पीड क्लियरिंग के अंतर्गत बाहरी चेक संग्रहण की तुलना में कम हो। (च) बैंकों द्वारा निर्धारित सेवा प्रभार, सेवा कर को छोडकर अन्य सभी प्रभारों (डाक, कूरियर, हैंडलिंग, आदि) सहित हैं। 7. बाहरी चेक संग्रहण सुविधा लेने वाली संग्रहकर्ता बैंक शाखाओं को समाशोधन राशि प्रेषित करने के लिए बैंक आरटीजीएस / एनईएफटी जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का प्रयोग करें। 8. भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ये निर्देश जारी किए जाते हैं। भवदीय, (जी पद्मनाभन) |