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सरकारी क्षेत्र के बैंकों की बहुत पुरानी अनर्जक आस्तियों के समझौता द्वारा निपटान के लिए संशोधित दिशा-निर्देश

सरकारी क्षेत्र के बैंकों की बहुत पुरानी अनर्जक आस्तियों
के समझौता द्वारा निपटान के लिए संशोधित दिशा-निर्देश

संदर्भ : बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 65/21.04.117/2002-03

29 जनवरी 2003
09 माघ 1924 (शक)

सरकारी क्षेत्र के सभी बैंकों के
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक

प्रिय महोदय,

सरकारी क्षेत्र के बैंकों की बहुत पुरानी अनर्जक आस्तियों
के समझौता द्वारा निपटान के लिए संशोधित दिशा-निर्देश

कृपया 27 जुलाई 2000 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. बीपी. बीसी. 11/21.01.040/99-00 देखें, जिसमें 5.00 करोड़ रुपये तक की बहुत पुरानी अनर्जक आस्तियों के समझौते द्वारा निपटान के लिए दिशा-निर्देश दिये गये हैं ।

2.उपर्युक्त योजना के माध्यम से अनर्जक आस्तियों के समझौते द्वारा निपटान की समीक्षा से यह पता लगा है कि इस तंत्र के माध्यम से अनर्जक आस्तियों की वसूली की प्रगति सामान्य रही है । भारत सरकार के परामर्श से यह निर्णय किया गया है कि ऋणकर्ताओं को अपनी देय बकाया राशि के निपटान के लिए आगे आने का एक और अवसर प्रदान किया जाये । इसलिए अब नये दिशा-निर्देश जारी किये जा रहे हैं जो निर्धारित मूल्य की उच्चतम सीमा से कम की बहुत पुरानी अनर्जक आस्तियों के समझौता द्वारा निपटान के लिए सरल, अविवेकपूर्ण और अभेदमूलक तंत्र प्रदान करेंगे । सरकारी क्षेत्र के सभी बैंकों को इन दिशा-निर्देशों को एकसमान रूप से कार्यान्वित करना चाहिए, ताकि निर्धारित समय के भीतर अनर्जक आस्तियों के स्टॉक से प्राप्य राशियों की अधिकतम वसूली की जा सके ।

3.संशोधित दिशा-निर्देशों में लघु क्षेत्र सहित सभी क्षेत्रों से संबंधित अनर्जक आस्तियां (निर्धारित उच्चतम सीमा से कम) शामिल होंगी । तथापि, दिशा-निर्देशों में जानबूझकर की गयी चूक, कपट और धांधली के मामले शामिल नहीं होंगे । बैंकों को जानबूझकर चूक, कपट और धांधली के मामलों का पता लगाना चाहिए और उनके विरुद्ध तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए । तदनुसार, 27 जुलाई 2000 के हमारे परिपत्र में दिये गये दिशा-निर्देशों को संशोधित करते हुए सरकारी क्षेत्र के बैंकों की सभी क्षेत्रों की अनर्जक आस्तियों से संबंधित प्राप्त राशियों के समझौते द्वारा निपटान के लिए संशोधित दिशा-निर्देश नीचे दिये गये हैं :

(अ) 10.00 करोड़ रुपये तक की बहुत पुरानी अनर्जक आस्तियों
के समझौते द्वारा निपटान के लिए दिशा-निर्देश

[i] व्याप्ति

क) संशोधित दिशा-निर्देशों में सभी क्षेत्रों की, चाहे उनके कारोबार का स्वरूप कुछ भी क्यों न हो, ऐसी सभी अनर्जक आस्तियां शामिल होंगी, जो 31 मार्च 2000 को संदिग्ध या हानिवाली हो गयी हैं और निर्दिष्ट तारीख को जिनकी बकाया जमाराशि 10.00 करोड़ रुपये और उससे कम हो ।

ख) दिशा-निर्देशों में ऐसी अनर्जक आस्तियां भी शामिल होंगी, जिन्हें 31 मार्च 2000 को अवमानक के रूप में वर्गीकृत किया गया हो और जो बाद में संदिग्ध या हानिवाली श्रेणी में आ गयी हों ।

ग) इन दिशा-निर्देशों में वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण तथा प्रतिभूति ब्याज का प्रवर्तन अधिनियम 2002 के अंतर्गत बैंकों द्वारा शुरू की गयी कार्रवाई के मामले तथा न्यायालयों / ऋण वसूली अधिकरणों / औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोड़ के समक्ष लंबित मामले भी शामिल होंगे, बशर्ते न्यायालयों / ऋण वसूली अधिकरणों / औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोड़ से सहमति डिक्री प्राप्त की गयी हो ।

घ) जानबूझकर की गयी चूक, कपट और धांधली के मामले शामिल नहीं होंगे ।

ङ) ऋणकर्ताओं से आवेदनपत्र प्राप्त करने की अंतिम तारीख 30 अप्रैल 2003 को कारोबार समाप्त होने की होगी । संशोधित दिशा-निर्देशों के अंतर्गत जांच कार्य 31 अक्तूबर 2003 तक पूरा कर लिया जाना चाहिए ।

[ii] निपटान फार्मूला - राशि और निर्दिष्ट तारीख

क) 31 मार्च 2000 को संदिग्ध या हानि वाली आस्तियों
के रूप में वर्गीकृत अनर्जक आस्तियां

31 मार्च 2000 को संदिग्ध या हानिवाली आस्तियों के रूप में वर्गीकृत अनर्जक आस्तियों के समझौते द्वारा निपटान के संदर्भ में संशोधित दिशा-निर्देशों के अंतर्गत वसूल की जानेवाली न्यूनतम राशि, प्रतिवादित बिल लेखे में अंतरण की तारीख को खाते में बकाया जमाराशि या संदिग्ध अनर्जक आस्तियों के रूप में खाते को वर्गीकृत किये जाने की तारीख को बकाया राशि, इनमें से जो भी पहले हो, का, यथास्थिति, 100 प्रतिशत होगी ।

ख) 31 मार्च 2000 को अवमानक के रूप में वर्गीकृत ऐसी अनर्जक
आस्तियां जो बाद में संदिग्ध या हानिवाली बन गयी हों

31 मार्च 2000 को अवमानक के रूप में वर्गीकृत जो अनर्जक आस्तियां बाद में संदिग्ध या हानि वाली बन गयी हों, उनके संदर्भ में वसूल की जानेवाली न्यूनतम राशि प्रतिवादित बिल लेखे में अंतरण की तारीख को बकाया जमाराशि या संदिग्ध अनर्जक आस्तियों के रूप में वर्गीकृत किये जाने की तारीख को विद्यमान राशि, इनमें से जो भी पहले हो, का यथास्थिति, 100 प्रतिशत तथा 1 अप्रैल 2000 से अंतिम भुगतान की तारीख तक विद्यमान मूल उधार दर पर ब्याज ।

[iii] अदायगी

उपर्युक्त दोनों ही मामलों में समझौते द्वारा हिसाब लगायी गयी राशि अधिमानत: एकमुश्त अदा की जानी चाहिए । ऐसे मामलों में जहां ऋणकर्ता संपूर्ण राशि एकमुश्त अदा करने में असमर्थ है, वहां निपटान की राशि का कम से कम 25 प्रतिशत उसी समय अदा किया जाना चाहिए और 75 प्रतिशत की शेष राशि, समझौते की तारीख से अंतिम अदायगी की तारीख तक विद्यमान मूल उधार दर पर ब्याज सहित एक वर्ष की अवधि के भीतर किस्तों में वसूल की जानी चाहिए ।

[iv] मंजूर करनेवाले प्राधिकारी

समझौते द्वारा निपटान तथा बाद में माफी या छूट या बट्टे खाते डालने की मंजूरी के संबंध में निर्णय प्रत्यायोजित शक्तियों के अंतर्गत सक्षम प्राधिकारी द्वारा लिया जाना चाहिए ।

[v] भेदभाव रहित व्यवहार

बैंकों को चाहिए कि वे बिना किसी भेदभाव के संशोधित योजना के अंतर्गत आनेवाली सभी अनर्जक आस्तियों के समझौते द्वारा निपटान के लिए उपर्युक्त दिशा-निर्देशों का पालन करें और संबंधित अधिकारी द्वारा निपटान की प्रगति और ब्योरों की मासिक रिपोर्ट अगले उच्च अधिकारी तथा अपने केन्द्रीय कार्यालय को प्रस्तुत की जानी चाहिए । बैंकों को चाहिए कि पात्र चूककर्ता ऋणकर्ताओं को इन दिशा-निर्देशों के अनुसार अपनी बकाया देय राशियों के एक बार में निपटान के अवसर का लाभ उठाने के लिए व्यापक प्रचार करें और 28 फरवरी 2003 तक नोटिस दें । विभिन्न माध्यमों से इन दिशा-निर्देशों के पर्याप्त प्रचार को अवश्य सुनिश्चित किया जाना चाहिए ।

[vi] बोड़ को रिपोर्ट देना

बैंकों को संशोधित दिशा-निर्देशों के अंतर्गत बहुत पुरानी अनर्जक आस्तियों के समझौते द्वारा निपटान की प्रगति के संबंध में रिपोर्ट हर तिमाही में निदेशक बोड़ को प्रस्तुत करनी चाहिए । तिमाही प्रगति रिपोर्ट की एक प्रति हमें भी भेजी जाये ।

(आ) 10.00 करोड़ रुपये से अधिक की बहुत पुरानी अनर्जक आस्तियों के
समझौते द्वारा निपटान के लिए दिशा-निर्देश

जैसा कि हमारे 27 जुलाई 2000 के पहले के परिपत्र में पहले ही सूचित किया गया है, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशकों को बहुत पुरानी अनर्जक आस्तियों के समझौते द्वारा निपटान के प्रत्येक मामले पर व्यक्तिगत रूप से पर्यवेक्षण करना चाहिए और निदेशक बोड़ द्वारा अपनी ऋण वसूली नीति के भाग के रूप में इस परिपत्र के अंतर्गत न आने वाली अनर्जक आस्तियों के एक बार में निपटान के संबंध में नीति संबंधी दिशा-निर्देश तैयार किये जाने चाहिए ।

4. व्यतिक्रम केवल निदेशक बोड़ द्वारा

किसी ऋणकर्ता के लिए निपटान संबंधी उपर्युक्त दिशा-निर्देशों में कोई व्यतिक्रम या इनसे हटकर कार्रवाई का प्रस्ताव हो तो वह केवल निदेशक बोड़ द्वारा किया जाना चाहिए ।

5.कृपया प्राप्ति-सूचना दें ।

भवदीय

(सी. आर. मुरलीधरन )
मुख्य महा प्रबंधक

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