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वित्त संस्थाओं को ऋण (एक्सपोजर) के लिए जोखिम भार

भारिबैं/2004/247
संदर्भ बैंपर्यवि.एफआइडी.सं.सी-15 / 01.02.00/2003-04

15 जून 2004

मुख्य कार्यपालक अधिकारी
अखिल भारतीय मीयादी ऋणदात्री एवं पुनर्वित्त संस्थाएं
(एलक्जॅम बैंक, भाऔविबैं, आइडीएफसी लि., आइएफसीआइ लि., आइआइबीआइ लि., नाबाड़, एनएचबी, सिडबी और टीएफसीआइ लि.)

महोदय,

वित्त संस्थाओं को ऋण (एक्सपोजर) के लिए जोखिम भार

वफ्पया 3 दिसंबर 1998 के परिपत्र डीबीएस.एफआइडी.सं.सी.35/01.02.00/1998-99 का पैरा 2 (सी) देखें जिसमें वित्तीय संस्थाओं को सूचित किया गया था कि कतिपय लोक वित्त संस्थाओं के बांडों/डिबेंचरों में उनके निवेश पर 20 प्रतिशत का एकसमान जोखिम भार लगेगा।

2. इस संबंध में 18 मई 2004 को गवर्नर महोदय द्वारा घोषित वार्षिक नीतिगत वक्तव्य के पैरा 118 (अनुबंध में पैरा उद्धफ्त है) की ओर ध्यान आकर्षित किया जाता है । इस नीति का पूरा पाठ आरबीआइ वेब साइट पर उपलब्ध है ।

3. तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि 1 अप्रैल 2005 से सभी लोक वित्त संस्थाओं में किए गए ऋण निवेशों (एक्सपोजर) पर शत प्रतिशत जोखिम भार लगेगा ।

4. वफ्पया प्रालप्त सूचना दें ।

भवदीय

(एस.एस. गंगोपाध्याय)
मुख्य महाप्रबंधक

अनुलग्नक : 1


 

वार्षिक नीतिगत वक्तव्य 2004-05 से उद्धफ्त अंश लोक वित्त संस्थाओं को ऋण के लिए जोखिम भार

  1. वर्तमान में, निर्दिष्ट लोक वित्त संस्थाओं को बैंकों/वित्तीय संस्थाओं द्वारा दिये गये ऋण पर पूंजी पर्याप्तता

प्रयोजनों के लिए 20 प्रतिशत का जोखिम भार निर्धारित है। लोक वित्त संस्थाओं की वित्तीय स्थितियां अलग-अलग होती हैं । अत: पूंजी पर्याप्तता प्रयोजनों के लिए लोक वित्त संस्थाओं को विशेषाधिकार के आधार पर व्यवहार में प्राथमिकता देना औचित्यपूर्ण नहीं लगता । तदनुसार, यह प्रस्ताव किया जाता है कि :

  • 1 अप्रैल 2005 से सभी लोक वित्त संस्थाओं के निवेशों पर शत-प्रतिशत का जोखिम भार लगेगा ।

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