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वर्ष 2006-07 के लिए वार्षिक नीति विवरण - वाणिज्यिक स्थावर संपदा क्षेत्र तथा उद्यम पूंजी निधियों को दिये ऋणों (एक्सपोजर) पर जोखिम भार

आरबीआई/2005-06/391
बैंपविवि.बीपी. बीसी. 84/21.01.002/2005-06

25 मई 2006

04 ज्येष्ठ 1928 (शक)

सभी वाणिज्य बैंक

(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय

वर्ष 2006-07 के लिए वार्षिक नीति विवरण - वाणिज्यिक स्थावर संपदा क्षेत्र तथा उद्यम पूंजी निधियों को दिये ऋणों (एक्सपोजर) पर जोखिम भार

कृपया 26 जुलाई 2005 का हमारा परिपत्र सं. बैंपविवि. बीपी. बीसी. 20/21.01.002/2005-06 देखें जिसमें वाणिज्यिक स्थावर संपदा क्षेत्र के लिए बैंकों के ऋण आदि जोखिम (एक्सपोजर)पर जोखिम भार 100 प्रतिशत से बढ़ाकर 125 प्रतिशत किया गया था और इसे निरंतर आधार पर लागू किया गया था। इस संबंध में वर्ष 2006-07 के वार्षिक नीति संबंधी पैरा 186 देखें (उद्धरण संलग्न)। जैसा कि उक्त पैरा में उल्लेख किया गया है, यह निर्णय किया गया है कि वाणिज्यिक स्थावर संपदा क्षेत्र के लिए बैंकों के ऋण आदि जोखिम पर जोखिम भार को बढॉकर 150 प्रतिशत कर दिया जाए ।

2. इसके अलावा, उक्त वक्तव्य के पैरा 187 (उद्धरण संलग्न) में उल्लेख किये अनुसार उद्यम पूँजी निधियों के लिए बैंक का कुल ऋण आदि जोखिम उसके पूँजी बाजार के ऋण आदि जोखिम का एक भाग होगा और अब से इन ऋण आदि जोखिमों को 150 प्रतिशत का उच्चतर जोखिम भार नियत किया जाएगा ।

भवदीय

 

(प्रशांत सरन)

प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


अनुलग्नक : 1

वर्ष 2006-07 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य का उद्धरण

(ठ) वाणिज्यिक स्थावर संपदा क्षेत्र को दिये गये ऋणों पर जोखिम भार

186. जुलाई 2005 में रिज़र्व बैंक ने वाणिज्यिक स्थावर संपदा क्षेत्र को दिये गये ऋण आदि जोखिमों पर जोखिम भार 100 प्रतिशत से बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया था। इस संवेदनशील क्षेत्र को दिये जानेवाले ऋणों में त्वरित वृद्धि को दृष्टिगत रखते हुए यह प्रस्तावित किया जाता है कि :

* जोखिम भार बढ़ाकर 150 प्रतिशत कर दिया जाए।

(ड) पूंजी बाजार के लिए शामिल उद्यम पूंजी निधियों को ऋण

187. उद्यमिता को प्रोत्साहित करने में उद्यम पूंजी निधियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उद्यम पूंजी निधियों के कार्यनिष्पादन तथा उनकी आस्तियों की गुणवत्ता के संबंध में जन-साधारण को पर्याप्त सूचना उपलब्ध न होने के कारण, विवेकसम्मत यह होगा कि उद्यम पूंजी निधियों को दिये गये ऋण आदि जोखिमों को ‘उच्च जोखिम’ माना जाए। इसलिए जोखिम की दृष्टि से, उद्यम पूंजी निधियों को दिये गये सभी ऋण आदि जोखिमों को ‘इक्विटी’ के समकक्ष माना जाना चाहिए। जबकि उद्यम पूंजी संबंधी गतिविधियों का महत्व और उद्यम पूंजी निधियों के वित्तपोषण में बैंकों की सहभागिता भलीभांति स्वीकार की गयी है, वहीं ऐसे ऋण आदि जोखिमों में निहित अपेक्षाकृत उच्चतर जोखिमों से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने की भी जरूरत है। तदनुसार, यह प्रस्तावित किया जाता है कि :

* किसी बैंक द्वारा उद्यम-पूंजी निधियों को दिये गये कुल ऋण आदि जोखिम उस बैंक द्वारा पूंजी बाजार को दिये गये ऋण आदि जोखिम का अंग होंगे तथा अब से बैंकों को इन ऋण आदि जोखिमों के लिए 150 प्रतिशत का उच्चतर जोखिम भार नियत करना चाहिए।

इस संबंध में परिचालन संबंधी दिशा-निर्देश अलग से जारी किये जायेंगे।

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