50 करोड़ रुपये और अधिक की जनता की जमाराशियों/ जमाराशियों वाली कंपनियों के सांविधिक लेखापरीक्षकों की लेखापरीक्षा फर्म के भागीदारों का आवर्तन - आरबीआई - Reserve Bank of India
50 करोड़ रुपये और अधिक की जनता की जमाराशियों/ जमाराशियों वाली कंपनियों के सांविधिक लेखापरीक्षकों की लेखापरीक्षा फर्म के भागीदारों का आवर्तन
भारिबैं./2005-2006/232
गैबैंपवि. (नीति प्रभाग)कंपरि.सं./61/02.82/2005-2006
12 दिसंबर 2005
प्रबंध निदेशक
[50 करोड़ रुपये और अधिक की जनता की जमाराशियों/ जमाराशियों वाली
सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ जिनमें अवशिष्ट गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ शामिल हैं]
प्रिय महोदय
50 करोड़ रुपये और अधिक की जनता की जमाराशियों/ जमाराशियों वाली कंपनियों के सांविधिक लेखापरीक्षकों की लेखापरीक्षा फर्म के भागीदारों का आवर्तन
विगत कुछ वर्षोंं में अच्छे कंपनी नियंत्रण (गुड कारपोरेट गवर्नेंस) पर जोर दिया जा रहा है । विश्व में कंपनियाँ निवेशकों तथा अन्य शेयर-धारकों का विश्वास अपने में दृढ़ करने के लिए उत्तम कंपनी व्यवहार अपना रही हैं। आवधिक आधार पर आवर्तित लेखापरीक्षकों द्वारा बही खातों की जांच होने से कंपनी नियंत्रण के मजबूत होने को और बल मिलेगा।
2. इस संबंध में यह वांंछित होगा कि 50 करोड़ रुपये और अधिक की जनता की जमाराशियों/जमाराशियों वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँं(जिनमें अवशिष्ट गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ शामिल हैं) अपनी कंपनी की लेखापरीक्षा करने के लिए नियुक्त लेखापरीक्षा-फर्म के भागीदारों के आवर्तन/अदल-बदल को विहित / निश्चित करें। लेखापरीक्षा करनेवाली सनदी लेखापरीक्षा फर्म के भागीदार / भागीदारों को हर तीसरे साल आवर्तित किया जाए ताकि एक ही/वही भागीदार लगातार तीन साल से अधिक लेखापरीक्षा न करे। इस प्रकार आवर्तित भागीदार तीन साल के अंतराल के बाद गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी/अवशिष्ट गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी की लेखापरीक्षा करने के लिए फिर से पात्र होगा, अगर कंपनी ऐसा निर्णय ले तो। कंपनियाँ लेखापरीक्षा फर्म के नियुक्ति पत्र में इस आशय की शर्त शामिल करे और इसका अनुपालन सुनिश्चित करे।
भवदीय
(पी. कृष्णामूर्ति)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक