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स्वर्ण की खरीद के लिए बैंक वित्त

भारिबैं / 2012-13/317
ग्राआऋवि.केका.बीसी. 50/03.05.33/2012-13

5 दिसंबर 2012

सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक

प्रिय महोदय / महोदया,

स्वर्ण की खरीद के लिए बैंक वित्त

कृपया आप 30 अक्तूबर 2012 को घोषित मौद्रिक नीति 2012-13 की दूसरी तिमाही समीक्षा का पैरा 102 और 103 (उद्धरण संलग्न) देखें जिसमें प्रस्तावित था कि बैंकों को कार्यकारी पूंजी वित्त से इतर प्रयोजन के लिए स्वर्ण की किसी भी रूप में खरीद के लिए वित्त प्रदान करने की अनुमति नहीं है।

2. वर्तमान के दिशानिर्देशों के अनुसार बैंकों द्वारा डीलरों / ट्रेडरों को यदि उनके मूल्यांकन में, ऐसे अग्रिमों का उपयोग नीलामियों और / या सट्टेबाजी धारिता के प्रयोजन के लिए स्वर्ण की खरीद के वित्तपोषण के लिए किए जाने की संभावना हो, तो स्वर्ण बुलियन की जमानत पर कोई अग्रिम नहीं दिया जाना चाहिए । इस परिप्रेक्ष्य में हाल के वर्षों में स्वर्ण के आयातों में हुई उल्लेखनीय वृद्धि चिंता का विषय बनी है, क्योंकि स्वर्ण की किसी भी रूप अर्थात् बुलियन / अपरिष्कृत (प्राइमरी) सोना / गहने / सोने के सिक्के आदि, खरीद के लिए बैंक वित्त दिए जाने से सोने की मांग में वृद्धि हो सकती है। तदनुसार, यह सूचित किया जाता है कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा अपरिष्कृत सोना, स्वर्ण बुलियन, सोने के गहने, सोने के सिक्कों विनिमय केंद्र ट्रेडेड फंडों (इटीएफ) के स्वर्ण यूनिटों और स्वर्ण म्युच्युअल फंडों के यूनिटों सहित किसी भी रूप में सोने के खरीद के लिए कोई अग्रिम न दिया जाए। तथापि , क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक ज्वेलरों की वास्तविक कार्यकारी पूंजी आवश्यकताओं के लिए वित्त उपलब्ध करा सकते हैं।

भवदीय

( सी. डी. श्रीनिवासन )
मुख्य महाप्रबंधक

अनुलग्नक : यथोक्त


मौद्रिक नीति 2012-13 की दूसरी तिमाही समीक्षाका उद्धरण
स्वर्ण की खरीद और स्वर्ण के बदले अग्रिमों पर बैंक वित्त (बैंकफाइनैंस)

102. वर्तमान दिशा-निर्देशों के अनुसार, बैंक वे स्वर्ण के डीलर्स/ट्रेडर्स को स्वर्ण बुलियन के बदले कोई अग्रिम न दें यदि उनके आकलन के अनुसार ऐसे अग्रिमों का नीलामियों (आक्शन्स) में सोने की खरीद और/या स्टॉक व बुलियन के सट्टा/अटकल के लिए रखे जाने (स्पेक्यूलेटिव होल्डिंग) की संभावना है। इस संबंध में, हाल के वर्षों में सोने के आयात में आई विशेष बढ़ोतरी चिंता का विषय है क्योंकि सोने की किसी भी रूप में खरीद जैसे बुलियन/ अपरिष्कृत सोना (खान से निकाला हुआ सोना/प्राइमरी गोल्ड)/गहने/सोने के सिक्के की खरीद के लिए बैंक के सीधे वित्तपोषण (डायरेक्ट बैंक फाइनैंसिंग) से सट्टा कार्यों (स्पेक्यूलेटिव पर्पसेज़) के लिए सोने की मांग में जोर पकड़ने की संभावना है। अप्रैल 2012 के मौद्रिक नीति वक्तव्य में एक कार्य दल (संयोजक: श्री के.यू.बी.राव) का गठन करने की घोषणा की गई जो भारत में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा स्वर्ण ऋणों और स्वर्ण आयातों से संबंधित मुद्दों का अध्ययन करेगा । कार्य दल ने अपनी डाफ्ट्र रिपोर्ट अगस्त 2012 में प्रस्तुत की। उनकी सिफारिशों पर निर्णय आने तक प्रस्ताव है कि बैंकों को यह सूचित किया जाए कि:

  • कार्यशील पूंजी वित्त (वर्किंग कैपिटल फ़ाइनैंस) के अलावा, किसी भी रूप में सोने के क्रय को फाइनैंस करने की अनुमति बैंकों को नहीं है ।

103. इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जा रहे हैं ।

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