धनशोधन निवारण (लेनदेन के स्वरूप तथा मूल्य के अभिलेखों का रखरखाव, सूचना प्रस्तुत करने की समयसीमा तथा उसके रखरखाव की क्रियाविधि तथा पद्धति तथा बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं तथा मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन तथा रखरखाव) संशोधन नियमावली, 2009 - बैंकों /वित्तीय संस् - आरबीआई - Reserve Bank of India
धनशोधन निवारण (लेनदेन के स्वरूप तथा मूल्य के अभिलेखों का रखरखाव, सूचना प्रस्तुत करने की समयसीमा तथा उसके रखरखाव की क्रियाविधि तथा पद्धति तथा बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं तथा मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन तथा रखरखाव) संशोधन नियमावली, 2009 - बैंकों /वित्तीय संस्थाओं के दायित्व
आरबीआइ/2009-10/293ए 28 जनवरी 2010 अध्यक्ष महोदय धनशोधन निवारण (लेनदेन के स्वरूप तथा मूल्य के अभिलेखों का रखरखाव, सूचना प्रस्तुत करने की समयसीमा तथा उसके रखरखाव की क्रियाविधि तथा पद्धति तथा बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं तथा मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन तथा रखरखाव) संशोधन नियमावली, 2009 - बैंकों /वित्तीय संस्थाओं के दायित्व जैसा कि आप जानते हैं, भारत सरकार ने 12 नवंबर 2009 की अपनी अधिसूचना सं.13/2009/एफ सं.6/8/2009-ईएस द्वारा धनशोधन निवारण (लेनदेन के स्वरूप तथा मूल्य के अभिलेखों का रखरखाव, सूचना प्रस्तुत करने की समयसीमा तथा उसके रखरखाव की क्रियाविधि तथा पद्धति तथा बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं तथा मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन तथा रखरखाव) नियमावली, 2005 में संशोधन किया है । उक्त अधिसूचना की प्रतिलिपि त्वरित संदर्भ के लिए संलग्न है । 2. उक्त संशोधन की कुछ मुख्य विशेषताएँ, जो क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से संबंधित हैं, निम्नानुसार हैं :
3. तदनुसार, उपर्युक्त नियमों में किए गए संशोधनों के परिप्रेक्ष्य में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से अपेक्षित है कि वे : i. गैर-लाभकारी संगठनों के दस लाख रुपये अथवा विदेशी मुद्रा में उसकी समतुल्य राशि से अधिक मूल्य की प्राप्तियों वाले सभी लेनदेन का सही रिकार्ड रखें और प्रत्येक महीने में निर्धारित फॉर्मेट में ऐसे सभी लेनदेन की रिपोर्ट एफआइयू- आइएनडी को परवर्ती महीने की 15 तारीख तक प्रेषित करें । ii. गैर-खाता आधारित ग्राहक अर्थात् वॉक-इन ग्राहक के लेनदेन के मामले में ंयदि लेनदेन की राशि पचास हजार रुपये या उससे अधिक हो, चाहे वह एकल लेनदेन हो या आपस में जुड़े प्रतीत होनेवाले कई लेनदेन हों, तो ग्राहक की पहचान तथा पते का सत्यापन किया जाना चाहिए । इसके अतिरिक्त, यदि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के पास यह विश्वास करने का कारण है कि कोई ग्राहक अपना लेनदेन जानबूझकर 50,000/- रुपये की उच्चतम सीमा से कम के लेनदेनों की श्रृंखला में कर रहा है, तो बैंक को उस ग्राहक की पहचान तथा पते का सत्यापन करना चाहिए तथा एफआइयू-आइएएनडी के पास एक संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) फाइल करने पर भी विचार करना चाहिए । 4. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे पीएमएलए नियमावली के संशोधित प्रावधानों का कड़ाई से पालन करें तथा इन नियमों का अक्षरश: अनुपालन सुनिश्चित करें । भवदीय (ए.के.पांडेय) अनुलग्नक : यथोक्त |