अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) / धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक / आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) / धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व – अनुसूचित वाणिज्य बैंकों द्वारा सहकारी बैंकों / क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को 'सममूल्य पर' चेक - आरबीआई - Reserve Bank of India
अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) / धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक / आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) / धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व – अनुसूचित वाणिज्य बैंकों द्वारा सहकारी बैंकों / क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को 'सममूल्य पर' चेक सुविधा प्रदान करना
आरबीआई/2013-14/344 29 अक्तूबर 2013 अध्यक्ष महोदय, अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) / धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक / आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) / धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व – अनुसूचित वाणिज्य बैंकों द्वारा सहकारी बैंकों / क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को 'सममूल्य पर' चेक सुविधा प्रदान करना यह पाया गया है कि कुछ बैंक अनुसूचित वाणिज्य बैंकों द्वारा दी गई 'सममूल्य पर' चेक सुविधा का प्रयोग केवल अपने उपयोग के लिए ही नहीं बल्कि अपने विप्रेषण और भुगतानों का सुगम कराने के लिए तात्कालिक ग्राहकों (वॉक-इन) सहित अपने ग्राहकों के लिए भी करते हैं। 2. ऐसी व्यवस्था से उत्पन्न होनेवाली प्रणालीगत और पर्यवेक्षी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए आरआरबी/एसटीसीबी/सीसीबी को सूचित किया जाता है कि वे 'सममूल्य पर' चेक सुविधा का उपयोग केवल निम्नलिखित के लिये ही करें।
3. उपर्युक्त तरीके से 'सममूल्य पर' चेक सुविधा का उपयोग करने के लिये आरआरबी/ एसटीसीबी/ सीसीबी निम्नलिखित का पालन करें :
आरआरबी/ एसटीसीबी/ सीसीबी को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि उनके द्वारा जारी सभी 'सममूल्य पर' चेक रेखित (क्रास्ड) 'खाता आदाता' (एकाउंट पेई) के हैं भले ही उसमें निहित राशि कुछ भी क्यों न हो। 4. आरआरबी/ एसटीसीबी/ सीसीबी को सूचित किया जाता है कि वे ग्राहकों के लिये विप्रेषण के अधिक प्रभावी साधन जैसे एनईएफटी अथवा आरटीजीएस का उपयोग करें और ऐसी सेवाएं सीधे अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा इस संबंध में समय-समय पर जारी विनियमों के अनुसार ऐसी सेवाएं प्रदान करने वाले बैंकों के उप सदस्य बनते हुए प्रदान करें। भवदीय (ए. जी. रे) |