बैंक दर - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंक दर
आरबीआई/2011-12/445 15 मार्च 2012 अध्यक्ष / मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय, बैंक दर भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 49 के अनुसार रिज़र्व बैंक को उस मानक दर की (समय-समय पर) सार्वजनिक जानकारी देनी होती है जिस दर पर वह विनिमय बिलों (बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज) या इस अधिनियम के तहत खरीदे जाने योग्य अन्य वाणिज्यिक पत्र (कमर्शियल पेपर) खरीदने या फिर से भुनाने (रि-डिस्काउंट करने) को तैयार है। 2. डिस्काउंट दर होने के कारण, तकनीकी रूप से बैंक दर को नीतिगत रिपो दर से अधिक होना चाहिए। तथापि, अप्रैल 2003 से बैंक दर 6 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रही है। इसका मुख्य कारण यह था कि मौद्रिक नीति संकेत देने का कार्य चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत (3 मई 2011 तक) रिवर्स रिपो व रिपो दर में उतार- चढ़ाव और मौद्रिक नीति की संशोधित कार्य पद्धति के तहत (3 मई 2011 से ) नीतिगत रिपो दर के माध्यम से किया जा रहा था। इसके अलावा, संशोधित कार्य पद्धति के अंतर्गत नीतिगत रिपो दर से 100 आधार अंक अधिक पर सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) परिचालन में है जिससे कई मायनों में बैंक दर का उद्देश्य पूरा हो जाता है। 3. एक ओर जहाँ, नीतिगत रिपो दर और एमएसएफ दर परिचालन में आ गयी हैं, वहीं बैंक दर 6 प्रतिशत पर बनी हुई है। वर्तमान में, बैंक दर आरक्षित निधि संबंधी आवश्यकताओं (आरक्षित नकदी निधि अनुपात और सांविधिक चलनिधि अनुपात) को पूरा करने में आई कमी के लिए बैंकों पर दंड के रूप में लगाए जाने वाली दर होती है। कई दूसरे संगठनों में बैंक दर का प्रयोग सूचीकरण (इन्डेक्सेशन) के प्रयोजन के लिए संदर्भ दर (रेफ़रेंस रेट) के रूप में भी किया जाता है। 4. संदर्भ दर के रूप में बैंक दर पर निर्भर रहनेवाले विभिन्न संगठनों / हितधारकों से रिज़र्व बैंक ने चर्चा की है। प्राप्त फीडबैक के आधार पर यह तय किया गया है कि बैंक दर को सामान्यत: एमएसएफ दर के अनुरूप रखा जाना चाहिए। तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि 13 फरवरी 2012 को कारोबार की समाप्ति से बैंक दर को 350 आधार अंक बढ़ा दिया जाए अर्थात् 6.00 प्रतिशत प्रतिवर्ष से 9.50 प्रतिशत प्रतिवर्ष कर दिया जाए। इसे बैंक दर को एमएसएफ के अनुरूप करने हेतु एकबारगी किए गए तकनीकी समायोजन (एडजस्टमेंट) के रूप में देखा जाए न कि मौद्रिक नीति के रुख़ में परिवर्तन के रूप में। 5. आरक्षित निधि संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में आनेवाली कमी के लिए दंड के रूप में बैंकों पर लगाई जाने वाली निर्दिष्ट रूप से बैंक दर से जुड़ी हुई सभी दंडात्मक ब्याज दरें भी बदल गई हैं जैसा कि संलग्नक में दर्शाया गया है। 6. कृपया इस पत्र की प्राप्ति सूचना संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को दें । भवदीय (सी. डी. श्रीनिवासन) अनुलग्नक: यथोक्त बैंक दर से जुड़ी दंडात्मक ब्याज दरें
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