बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 23 - शाखा प्राधिकरण नीति - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 23 - शाखा प्राधिकरण नीति
भारिबैं/2005-06/280
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 55/22.01.001/2005-06
23 जनवरी 2006
3 माघ 1927 (शक)
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों के अध्यक्ष एवं
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय,
बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 23 - शाखा प्राधिकरण नीति
कृपया शाखा प्राधिकरण पर 8 सितंबर 2005 का हमारा मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 36/ 22.01.001/2005 देखें।
2. विद्यमान अनुदेशों के अनुसरण में मास्टर परिपत्र के पैराग्राफ 3 में दिए गए अनुसार बैंकों को शाखाएं खोलने के लिए प्रस्ताव के साथ बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, केंद्रीय कार्यालय से संपर्क करना होता है। नयी शाखा प्राधिकरण नीति के अनुसार, बैंकों को ‘लाइसेंस’ केलिए भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालयों से संपर्क करना आवश्यक नहीं होगा। बैंकों को सूचित किया जाता है कि बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 49 की आवश्यकताओं का अनुपालन करने के लिए वे नीचे दी गयी क्रियाविधि का कड़ाई से पालन करें।
3. बैंकों चाहिए कि वे सभी प्रकार की शाखाएं जिनमें अनुषंगी (सेटेलाइट) कार्यालय शामिल हैं, खोलने के प्रस्तावों को फॉर्म ङघ् के साथ प्रस्तुत करें। तथापि, ऑफ-साईट एटीएम, प्रशासनिक/नियंत्रण कार्यालय, क्रेडिट कार्ड केंद्र तथा बैक ऑफिस /प्रोसेसिंग सेंटर खोलने के लिए फॉर्म ङघ् प्रस्तुत करना आवश्यक नहीं है। बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, केंद्रीय कार्यालय, प्राधिकरण/अनुमति का एक समेकित पत्र जारी करेगा जिसमें उन सभी केंद्रों/इलाकों आदि के नाम होंगे जहां शाखाएं खोलना प्रस्तावित है।
4. इस संबंध में बैंकों को जारी किए गए प्राधिकरण/अनुमति के समेकित पत्र में जिन केंद्रों के लिए अनुमति प्रदान की गयी है उन पर वे ‘शाखा’, जिसमें सभी प्रकार के कार्यालय तथा ऑफ-साईट एटीएम शामिल हैं, खोल सकते हैं। शाखा में ही खोले गये ऑन-साईट एटीएम के लिए अलग अनुमति आवश्यक नहीं है। शाखा खोलने के बाद, बैंकों को चाहिए कि वे रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को शाखा खोलने की तारीख तथा उसका संपूर्ण पता तत्काल रिपोर्ट करें।
5. बैंक 20 मई 2005 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 92/22.06.001/2004-05 की अपेक्षानुसार खोली गयी /बंद/स्थानांतरित आदि शाखाओं के ब्यौरे सांख्यिकीय विश्लेषण और कंप्यूटर सेवा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक , मुंबई तथा संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों को प्रोफॉर्मा I तथा II में तिमाही आधार पर प्रस्तुत करें। साथ ही, यह निर्णय लिया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी (एडी) शाखाओं से संबंधित आंकड़े/जानकारी निरंतर आधार पर संकलित की जाए। अत: बैंक प्रोफॉर्मा घ् तथा घ्घ् में एडी शाखाओं से संबंधित विवरणियां सांविकंसेवि (डिसाक्स) तथा क्षेत्रीय कार्यालयों को निरंतर आधार पर प्रस्तुत करें।
6. बैंकों को जारी किए गए प्राधिकरण/अनुमति के समेकित पत्र को जारी करने की तारीख से एक वर्ष की अवधि तक प्रदान किया गया प्राधिकरण वैध होगा । निर्धारित अवधि के भीतर शाखाएं खोलने के लिए बैंक आवश्यक कदम उठाएं। किसी वास्तविक कारण से बैंक यदि कोई विशिष्ट शाखा खोलने में असमर्थ हो, तो वह भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से समय बढ़ाने, जो कि तीन महीनों से अधिक नहीं होगा, के लिए संपर्क कर सकता है । तथापि, ऐसे मामलों में बैंकों को प्रस्तावित शाखा का संपूर्ण पता तथा विलंब के कारण प्रस्तुत करने होंगे । जिन केंद्रों पर बैंक एक वर्ष की वैधता अवधि (अथवा 3 महीनों की पायी गयी अवधि, जैसी भी स्थिति हो) के भीतर ‘शाखा’ नहीं खोलता है तो प्रदान की गयी अनुमति अपने आप रद्द हो जाएगी और कोई अतिरिक्त समय बढ़ाया नहीं जाएगा । यदि बैंक उस केंद्र पर फिर भी शाखा खोलना चाहता है तो वह उसे अगली वार्षिक योजना में शामिल करे ।
7. शाखा प्राधिकरण नीति संबंधी हमारे मास्टर परिपत्र के पैराग्राफ 4 तथा 6 के अनुसार रिज़र्व बैंक को वार्षिक योजना प्रस्तुत करते समय सभी श्रेणियों की शाखाओं, जिनमें ऑफ-साईट एटीएम शामिल हैं, को खोलने, बंद करने तथा स्थानांतरण से संबंधित सभी विशिष्ट प्रस्तावों को अनुबंध घ्घ् में शामिल करना आवश्यक है । यह स्पष्ट किया जाता है कि समेकित प्राधिकरण/अनुमति पत्र केवल नयी शाखाएं खोलने के लिए जारी किया जाएगा । वर्तमान शाखाओं को स्थानांतरित (शिफ्टिंग) करने, किसी एक प्रकार से दूसरे प्रकार में परिवर्तित करने तथा विलयन करने के संबंध में नीचे दर्शाई गई प्रक्रिया अपनायी जानी चाहिए ।
7.1 शाखाओं का स्थानांतरण (शिफ्टिंग)
(i) 8 सितंबर 2005 के मास्टर परिपत्र के पैरा 9 के अनुसार रिज़र्व बैंक से पूर्व अनुमति प्राप्त किए गए बगैर बैंकों को केंद्र के भीतर किसी भी स्थान पर स्थानांतरित करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है । नए स्थान/पते पर शाखा प्रारंभ हो जाने पर बैंक को चाहिए कि वह संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को नए पते की सूचना देना सुनिश्चित करे । ऐसे मामलों में लाइसेंस में संशोधन की आवश्यकता नहीं है । संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय नए पते/स्थान को अभिलेखित कर एक सप्ताह के भीतर लिखित रूप से इसकी पुष्टि करेंगे ।
(ii) उक्त मास्टर परिपत्र के पैरा 9.2 में कुछ शर्तों के साथ, बैंकों को राज्य के भीतर किसी भी केंद्र में शाखा स्थानांतरित करने की स्वतंत्रता दी गई है । बैंक यह सुनिश्चित करें कि किसी मौजूदा शाखा को एक केंद्र से दूसरे केंद्र में स्थानांतरित करने या वार्षिक योजना में आबंटित केंद्र से दूसरे केंद्र में स्थानांतरित करने से पहले बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, केंद्रीय कार्यालय से संशोधन पत्र प्राप्त किया जाता है । यदि पूर्ववर्ती नीति के अनुसार उस शाखा के लिए बैंक को लाइसेंस जारी किया गया है तो उसे स्थानांतरित करने से पहले संबंधिंत क्षेत्रीय कार्यालय से संशोधन करवा लेना चाहिए ।
7.2 विशेषीकृत शाखा का परिवर्तन
उक्त मास्टर परिपत्र के पैरा 11.2 के अनुसार बैंक अपनी विशेषीकृत शाखा को किसी अन्य श्रेणी की विशेषीकृत शाखा या सामान्य बैंकिंग शाखा के रूप में अपने विवेकानुसार परिवर्तन कर सकते हैं । किंतु यह सुनिश्चित किया जाए कि परिवर्तन के पश्चात् संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को तुरंत सूचित किया जाता है । ‘लाइसेंस’ में संशोधन की आवश्यकता नहीं होगी । संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा नए नाम-पते को अभिलेखित कर लेने की पुष्टि एक सप्ताह में कर दी जाएगी ।
7.3 एक्सटेंशन काउंटर को पूर्ण शाखा में परिवर्तित करना
उक्त मास्टर परिपत्र के पैरा 11.1 के अनुसार बैंकों को अपने वर्तमान एक्सटेंशन काउंटरों को पूर्ण शाखाओं में परिवर्तित करने तथा उसी केंद्र के अंतर्गत पुन: स्थापित करने की पूरी स्वतंत्रता दी गई है । इस संबंध में यद्यपि रिज़र्व बैंक की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है, फिर भी बैंक यह सुनिश्चित करें कि एक्सटेंशन काउंटरों के लाइसेंस संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों में जमा कर उपयुक्त संशोधित करवा लिए जाएं ।
7.4 ग्रामीण शाखा का अनुषंगी कार्यालय में परिवर्तन
सामान्यत: ग्रामीण शाखा का अनुषंगी (सेटेलाइट) कार्यालय में परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए । किंतु अपवाद स्वरूप मामलों में, जिला परामर्शदात्री समिति से अनुमोदन प्राप्त कर, ग्रामीण शाखाओं को अनुषंगी कार्यालयों में परिवर्तित करने के प्रस्तावों को वार्षिक योजना के साथ प्रस्तुत किया जाए । रिज़र्व बैंक से अनुमोदन प्राप्त हो जाने के बाद, यदि लाइसेंस हो तो उसे उपयुक्त संशोधन हेतु संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय में जमा कर देना चाहिए ।
7.5 ग्रामीण शाखा का विलयन
ग्रामीण शाखाओं के विलयन के प्रस्ताव जिला परमर्शदात्री समिति से अनुमोदन प्राप्त कर वार्षिक योजना के साथ प्रस्तुत किए जाएं । यदि प्रस्ताव हमारे द्वारा अनुमोदित किया जाता है तो क्षेत्रीय कार्यालय को विलयन की तारीख सूचित की जानी चाहिए तथा शाखा का लाइसेंस रद्द करने के लिए जमा कर देना चाहिए ।
8. उपर्युक्त के बावजूद, शाखाएं, विशेषकर ग्रामीण/कम बैंक सुविधावाले क्षेत्रों में शाखाएं खोलने के संबंध में बैंक किसी भी अत्यावश्यक प्रस्ताव के लिए वार्षिक योजना के अंतर्गत दिए गए अनुमोदनों के अतिरिक्त, वर्ष में किसी भी समय, भारतीय रिज़र्व बैंक से संपर्क कर सकते हैं ।
9. हमारे उपर्युक्त मास्टर परिपत्र के माध्यम से घोषित की गई शाखा प्राधिकरण नीति के कुछ प्रावधानों के स्पष्टीकरण के संबंध में, बैंक हम से संपर्क कर रहे हैं । इससे संबंधित सभी स्पष्टीकरण मेल बॉक्स (www.rbi.org.in/dbodmailbox) में डाल दिए गए हैं ।
भवदीय
(पी. विजय भास्कर)
मुख्य महाप्रबंधव