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बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 24 और धारा 56 - सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखना

आरबीआई/2018-19/86
बैंविवि.सं.आरईटी.बीसी.10/12.02.001/2018-19

05 दिसंबर 2018

सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित)
स्थानीय क्षेत्र बैंक, लघु वित्त बैंक, भुगतान बैंक
प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)
राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंक (एसटीसीबी/सीसीबी)

महोदय/महोदया

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 24 और धारा 56 -
सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखना

कृपया उक्त विषय पर हमारे दिनांक 04 अक्तूबर 2017 के परिपत्र बैंविवि.सं.आरईटी.बीसी.90/12.02.001/2017-18 का संदर्भ लें।

2. जैसा कि 05 दिसंबर 2018 को विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य, 2018-19 में घोषित किया गया है, यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों की एसएलआर अपेक्षाओं को उनकी निवल मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) के 19.50 प्रतिशत से प्रत्येक तिमाही में 25 आधार अंक घटाकर निम्नलिखित किया जाएगा:

(i) 5 जनवरी 2019 से 19.25 प्रतिशत
(ii) 13 अप्रैल 2019 से 19.00 प्रतिशत
(iii) 6 जुलाई 2019 से 18.75 प्रतिशत
(iv) 12 अक्तूबर 2019 से 18.50 प्रतिशत
(v) 4 जनवरी 2020 से 18.25 प्रतिशत
(vi) 11 अप्रैल 2020 से 18.00 प्रतिशत।

3. दिनांक 05 दिसंबर 2018 की संबंधित अधिसूचना बैंविवि.सं.आरईटी.बीसी.11/12.02.001/2018-19 की प्रति संलग्न है।

4. कृपया पावती दें।

भवदीय,

(डॉ. एस के कर)
मुख्य महाप्रबंधक


बैंविवि.सं.आरईटी.बीसी.11/12.02.001/2018-19

05 दिसंबर 2018

अधिसूचना

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 51 और धारा 56 के साथ पठित, धारा 24 की उप धारा 2ए, द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और दिनांक 13 अक्तूबर 2016 की अधिसूचना बैंविवि.सं.आरईटी.14/12.02.001/2016-17 और दिनांक 04 अक्तूबर 2017 की अधिसूचना बैंविवि.सं.आरईटी.91/12.02.001/2017-18 को अधिक्रमित करते हुए, रिज़र्व बैंक एतदद्वारा विनिर्दिष्ट करता है कि:

(i) निम्नलिखित तिथियों से प्रभावी होकर, सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (आरआरबी सहित), स्थानीय क्षेत्र बैंक, लघु वित्त बैंक, भुगतान बैंक, प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक, राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंक भारत में आस्तियां (एसएलआर आस्तियों के रूप में संदर्भित) बनाए रखेंगे, जिनका मूल्य किसी भी दिन कारोबार की समाप्ति पर, दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार की कुल निवल मांग और मीयादी देयताओं के, निम्नलिखित प्रतिशत से कम नहीं होगा:

(क) 5 जनवरी 2019 से 19.25 प्रतिशत
(ख) 13 अप्रैल 2019 से 19.00 प्रतिशत
(ग) 6 जुलाई 2019 से 18.75 प्रतिशत
(घ) 12 अक्तूबर 2019 से 18.50 प्रतिशत
(ङ) 4 जनवरी 2020 से 18.25 प्रतिशत
(च) 11 अप्रैल 2020 से 18.00 प्रतिशत।

इसका मूल्यांकन समय समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट मूल्य निर्धारण पद्धति के अनुसार किया जाएगा; और

(ii) ऐसी एसएलआर आस्तियां निम्नलिखित द्वारा बनाए रखी जाएंगी:

अ. अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित), स्‍थानीय क्षेत्र बैंक, लघु वित्त बैंक और भुगतान बैंक द्वारा निम्न रूप में-

(क) नकद; अथवा

(ख) बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 5(छ) में यथापरिभाषित स्वर्ण, जिसका मूल्य-निर्धारण वर्तमान बाजार मूल्य से अधिक न किया गया हो: अथवा

(ग) निम्नलिखित लिखतों [जिसे इसके बाद सांविधिक चलनिधि अनुपात प्रतिभूतियाँ (“एसएलआर प्रतिभूतियाँ”) कहा गया है] में से किसी में भाररहित निवेश, नामतः:-

(1) बाजार उधार कार्यक्रम और बाजार स्थिरीकरण योजना के अंतर्गत समय-समय पर जारी भारत सरकार की दिनांकित प्रतिभूतियाँ, या

(2) भारत सरकार के खजाना बिल; या

(3) बाजार उधार कार्यक्रम के अंतर्गत समय-समय पर जारी राज्य सरकारों के राज्य विकास ऋण (एसडीएल);

घ) भारत से बाहर निगमित बैंकिंग कंपनी द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 11 की उपधारा (2) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक में बनाए रखे जाने के लिए अपेक्षित जमा और भाररहित अनुमोदित प्रतिभूतियाँ;

(ङ) भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 42 के अंतर्गत किसी अनुसूचित बैंक द्वारा बनाए रखे जाने के लिए अपेक्षित जमाशेष के अतिरिक्त भारतीय रिज़र्व बैंक में उसके द्वारा रखा गया कोई अन्य जमाशेष;

उपर्युक्त मद संख्या (ग)(1) से (3) तक में बताई गई लिखतें, जो रिवर्स रेपो के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक से अर्जित किए गए हैं, को एसएलआर आस्तियां बनाए रखने के प्रयोजन से एसएलआर प्रतिभूतियों के रूप में शामिल किया जाएगा।

एसएलआर आस्तियां बनाए रखने के प्रयोजन से निम्नलिखित प्रतिभूतियों को भार-सहित नहीं माना जाएगा, नामतः-

(क) किसी अन्य संस्था में किसी अग्रिम या किसी अन्य ऋण व्यवस्था के लिए रखी गई प्रतिभूतियों का वह अंश जिस पर ऋण नहीं लिया गया है या आहरण नहीं किया गया है;

(ख) संबंधित बैंक के अपेक्षित एसएलआर पोर्टफोलियो में से निकाली गई (कार्व आउट की गई) प्रतिभूतियां, जो भारत में कुल एनडीटीएल के अनुमत प्रतिशत तक सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) से चलनिधि सहायता प्राप्त करने के लिए रिज़र्व बैंक को सम्पार्श्विक के रूप में दी गई हैं, और

(ग) चलनिधि कवरेज अनुपात के लिए चलनिधि प्राप्त करने की सुविधा (एफएएलएलसीआर) के अंतर्गत चलनिधि सहायता प्राप्त करने के लिए सम्पार्श्विक के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत प्रतिभूतियां।

आ. प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों और केंद्रीय सहकारी बैंकों द्वारा

(क) नकद; अथवा
(ख) बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 5(छ) में यथापरिभाषित स्वर्ण, जिसका मूल्य निर्धारण वर्तमान बाजार मूल्य से अधिक न किया गया हो: अथवा
(ग) बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 56 के साथ पठित धारा 5 (क) में यथापरिभाषित अनुमोदित प्रतिभूतियों में भाररहित निवेश:

जो लिखत प्रतिवर्ती रेपो के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक से अर्जित किए गए हैं, वे एसएलआर आस्तियां बनाए रखने के प्रयोजन से एसएलआर प्रतिभूतियों के रूप में शामिल किए जाएंगे।

एसएलआर आस्तियां बनाए रखने के प्रयोजन से निम्नलिखित प्रतिभूतियों को भार-सहित नहीं माना जाएगा, नामतः-

(क) किसी अन्य संस्था में किसी अग्रिम या किसी अन्य ऋण व्यवस्था के लिए रखी गई प्रतिभूतियों का वह अंश जिसके विरुद्ध ऋण नहीं लिया गया है;

(ख) चलनिधि कवरेज अनुपात के लिए चलनिधि प्राप्त करने की सुविधा (एफएएलएलसीआर) के अंतर्गत चलनिधि सहायता प्राप्त करने के लिए सम्पार्श्विक के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक को प्रस्तुत प्रतिभूतियां।

स्पष्टीकरण: इसमें प्रयुक्त और अनुबंध में पारिभाषित शब्द और अभिव्यक्तियों का क्रमशः वही अर्थ होगा, जो उन्हें अनुबंध में दिया गया है।

2. दिनांक 13 अक्तूबर 2016 की अधिसूचना बैंविवि.सं.आरईटी.14/12.02.001/2016-17 और दिनांक 04 अक्तूबर 2017 की अधिसूचना बैंविवि.सं.आरईटी.91/12.02.001/2017-18 का अधिक्रमण, किसी भी प्रकार रिज़र्व बैंक के इस अधिकार पर प्रभाव नहीं डालता है, जो उसे उक्त अधिसूचनाओं के प्रभावी होने के समय उनका उल्लंघन करने या अनुपालन में चूक होने पर बैंककारी विनियमन अधिनियम,1949 (1949 का 10) के तहत कार्रवाई करने के लिए प्राप्त हैं।

(सुदर्शन सेन)
कार्यपालक निदेशक


अनुबंध

इस अधिसूचना के प्रयोजन से,

(क) निम्‍नलिखित द्वारा रखे जाने वाले “नकद”

i) अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, लघु‍ वित्‍त बैंकों, भुगतान बैंकों और स्‍थानीय क्षेत्र के बैंकों द्वारा

  • हाथ में नकद,

  • भारत के अन्‍य अनुसूचित वाणिज्‍यिक बैंकों के पास चालू खाते में निवल शेष;

  • भारत से बाहर निगमित बैंकिंग कंपनी द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 11 की उपधारा (2) के अंतर्गत भारतीय रिजर्व बैंक में बनाए रखे जाने के लिए अपेक्षित जमा;

  • भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 42 के अंतर्गत किसी अनुसूचित बैंक द्वारा बनाए रखने के लिए अपेक्षित जमाशेष के अतिरिक्त भारतीय रिजर्व बैंक में उसके द्वारा बनाकर रखा गया कोई अन्य जमाशेष;

ii) प्राथमिक(शहरी) सहकारी बैंक/राज्‍य सहकारी बैंक/ केंद्रीय सहकारी बैंक में निम्‍नलिखित शामिल हैः

  • सहकारी बैंक,जो एक अनुसूचित बैंक है, द्वारा रखी जाने वाली हाथ में नकद

  • ऐसा सहकारी बैंक, जो एक अनुसूचित बैंक न हो, के द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 18 के साथ पठित धारा 56 के अंतर्गत बनाए रखने के लिए अपेक्षित नकद अथवा जमाशेष के अतिरिक्त उसके द्वारा रखी गयी हाथ में नकद; तथा

  • ऐसे सहकारी बैंक, जो एक अनुसूचित बैंक हों, के द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 42 के अंतर्गत बनाए रखने के लिए अपेक्षित जमाशेष के अतिरिक्त भारतीय रिजर्व बैंक में उसके द्वारा बनाकर रखा गया कोई अन्य जमाशेष;

  • ऐसे सहकारी बैंक, जो अनुसूचित बैंक नहीं हैं, के द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 56 के साथ पठित धारा 18 के अंतर्गत बनाए रखने के लिए अपेक्षित जमाशेष के अतिरिक्त भारतीय रिजर्व बैंक में उसके द्वारा रखा गया कोई अन्य जमाशेष; तथा

  • बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 56 के साथ पठित धारा 18 की उपधारा (1) के स्पष्टीकरण में यथापरिभाषित "चालू खातों में निवल शेष", जो उक्त धारा के अंतर्गत उनके द्वारा बनाए रखने के लिए अपेक्षित जमाशेष के अतिरिक्त होगा।

(ख) “वाणिज्‍यिक बैंक” का आशय बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा (5ग) में निर्दिष्‍ट बैंकिंग कंपनी और जिसमें भारतीय स्‍टेट बैंक, संबंधित नया बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक शामिल हैं, से है।

(ग) "चलनिधि कवरेज अनुपात के लिए चलनिधि प्राप्त करने की सुविधा (एफएएलएलसीआर)" का आशय ऐसी सुविधा से है, जिसके द्वारा बैंकों को अपने चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर) की गणना के प्रयोजन से उनके द्वारा धारित सरकारी प्रतिभूतियों को स्तर 1 उच्च गुणवत्ता वाली चलनिधि आस्तियों (एचक्यूएलए) के रूप में एसएलआर की अनिवार्य अपेक्षाओं के भीतर एनडीटीएल के एक निश्चित प्रतिशत तक मान्यता देने की अनुमति दी जाएगी।

(घ) "चलनिधि समायोजन सुविधा" का आशय होगा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा संचालित रेपो नीलामियां (चलनिधि अंत: क्षेपण के लिए) तथा रिवर्स रेपो नीलामियां (चलनिधि अवशोषण के लिए)।

(च) "सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ)" का आशय उस सुविधा से होगा, जिसके अंतर्गत पात्र संस्थाएं अपनी एसएलआर प्रतिभूतियों के विरुद्ध दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार को उनके संबंधित एनडीटीएल के एक निश्चित प्रतिशत तक भारतीय रिज़र्व बैंक से चलनिधि सहायता प्राप्त कर सकती हैं।

(छ) "बाजार उधार कार्यक्रम" का आशय ऐसे घरेलू रुपया ऋण से होगा, जिसे भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा जनता से जुटाया गया हो और जिसका प्रबंधन नीलामी अथवा इस संबंध में जारी अधिसूचना में यथा-विनिर्दिष्ट अन्य तरीके से सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006, लोक ऋण अधिनियम, 1944 तथा उन अधिनियमों के अंतर्गत बनाए गए विनियमों के प्रावधानों द्वारा अभिशासित बाजार योग्य प्रतिभूतियां जारी करके भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किया जाएगा।

(ज) "अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक" का आशय होगा भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की द्वितीय अनुसूची में शामिल बैंकिंग कंपनी, जिसमें भारतीय स्टेट बैंक, अनुषंगी बैंक, तदनुरूप नए बैंक तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक शामिल हैं।

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