भारतीय रिज़ॅर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(1) - प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात बनाये रखना - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़ॅर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(1) - प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात बनाये रखना
संदर्भ :बैंपविवि.बीसी. 103/12.01.001/2000-2001
19 अप्रैल 2001
29 चैत्र 1923(शक)
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
प्रिय महोदय,
भारतीय रिज़ॅर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(1) - प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात बनाये रखना
कृपया आप प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात बनाये रखने और उस पर ब्याज के भुगतान के संबंध में वर्ष 2001-2002 के लिए मौद्रिक और ऋण नीति संबंधी गवर्नर महोदय के वक्तव्य के पैराग्राफ 75, 76 और 77 (19 अप्रैल 2001 का परिपत्र एमपीडी.बीसी. 206/07.01.279/2000-01) देखें । इस संबंध में हम निम्नप्रकार सूचित करते हैं :
2(क) न्यूनतम दैनिक प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात बनाये रखने के संबंध में छूटवर्तमान अनुदेशों के अनुसार अनुसूचित वाणिज्य बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) से अपेक्षा की जाती है कि वे रिपोर्टिंग पखवाड़े के पहले कार्य दिवस से 13वें दिन तक प्रतिदिन अपेक्षित प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात के 65.0 प्रतिशत का न्यूनतम स्तर बनाये रखें और रिपोर्टिंग पखवाड़े के 14वें दिन बैंकों को अपेक्षित नकदी शेष के 65 प्रतिशत से कम रखने की अनुमति है, ताकि वे दैनिक शेष के औसत को अपेक्षित स्तर तक लाकर समायोजन कर सकें ।
बैंकों को और अधिक लचीलापन प्रदान करने और अवधि के बीच में नकदी प्रवाहों के अनुसार प्रारक्षित निधि रखने के लिए सर्वोत्तम कार्य-नीति चुन सकने की दृष्टि से यह निर्णय किया गया है कि अपेक्षित प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात शेष के 65.0 प्रतिशत की न्यूनतम दैनिक अपेक्षा को घटाकर रिपोर्टिंग पखवाड़े के पहले सात दिन के लिए 50 प्रतिशत कर दिया जाये । पखवाड़े के शेष दिनों के लिए 65.0 प्रतिशत की न्यूनतम मौजूदा अपेक्षा रिपोर्टिंग शुक्रवार सहित सभी सात दिनों के लिए बिना किसी अपवाद के लागू रहेगी । यह उपाय 11 अगस्त 2001 को प्रारंभ होने वाले पखवाड़े से लागू होगा ।
2(ख) प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक के पास रखी गयी नकद शेषराशियों पर ब्याजवर्तमान में सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (1ख) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक के पास रखी गयी पात्र नकद शेष राशियों पर 4.0 प्रतिशत वार्षिक की दर पर ब्याज अदा किया जाता है । अब यह निर्णय लिया गया है कि 21 अप्रैल 2001 से प्रारंभ होने वाले पखवाड़े से सभी वाणिज्य बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (1) के परंतुक तथा 42 (1क) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक के पास रखी गयी पात्र नकद शेष राशियों पर 6.0 प्रतिशत वार्षिक की दर पर ब्याज की अदायगी की जायेगी । बैंकों को जून 2001 को समाप्त तिमाही के ब्याज दावे के संबंध में प्रस्तुत किये जाने के लिए अपेक्षित फार्मेट के बारे में अलग से सूचित किया जायेगा ।
2 (ग) 15 दिनों से अधिक की अवधिपूर्णता वाली अंतर-बैंक मियादी देयताओं को न्यूनतम प्रारक्षित नकदी निधि अपेक्षा से छूट प्रदान करनाइस समय, सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) को 25 अप्रैल 1997 से प्रारंभ होनेवाले पखवाड़े से सभी अंतर-बैंक देयताओं पर औसत प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात बनाये रखने से इस शर्त पर छूट प्राप्त है कि वे भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप धारा (2) में उल्लिखित विवरणी में दर्शायी गयी कुल मांग और मीयादी देयताओं के 3.00 प्रतिशत का न्यूनतम प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात बनाये रखेंगे । अब यह निर्णय किया गया है कि 15 दिन और अधिक की अवधिपूर्णता वाली अंतर-बैंक मीयादी देयताओं को 3.00 प्रतिशत का न्यूनतम सांविधिक प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात बनाये रखने की अपेक्षा से छूट दी जाये । यह उपाय 11 अगस्त 2001 से प्रारंभ होनेवाले पखवाड़े से लागू होगा । 19 अप्रैल 2001 की संबंधित अधिसूचना बैंपविवि. सं. बीसी. 102/ 12. 01. 001/2000-2001 की प्रति संलग्न है ।
3. कुछ देयताओं पर शून्य प्रारक्षित निधि अपेक्षा के निर्धारण सहित देयताओं की विभिन्न श्रेणियों के बहुविध निर्धारणों को, जैसा कि कानून में विनिर्दिष्ट है, देखते हुए 15 दिन और अधिक की अवधिपूर्णता वाली अंतर-बैंक देयताओं को छोड़कर, कुल मांग और मीयादी देयताओं पर अनुसूचित वाणिज्य बैंकों द्वारा बनाये रखा जानेवाला प्रभावी प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात 3.00 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए ।
4. कृपया प्राप्ति-सूचना दें ।
भवदीय
आर. सी. मित्तल
महा प्रबंधक
संलग्नक : 1
उक्त दिनांक का परांकन बैंपविवि.सं. 1511/12.01.001/2000-2001
प्रतिलिपि निम्नलिखित को सूचना एवं आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रेषित :
1. उप महा प्रबंधक, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, सभी क्षेत्रीय कार्यालय
2. महा प्रबंधक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, सभी क्षेत्रीय कार्यालय
3. मुख्य महा प्रबंधक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई
4. प्रभारी परामर्शदाता, सांख्यिकीय विश्लेषण और कंप्यूटर सेवा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, बांद्रा (पूर्व), मुंबई
5. प्रभारी परामर्शदाता, आर्थिक विश्लेषण और नीति विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई
6. प्रभारी परामर्शदाता, मौद्रिक नीति विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई - 400 001 को 19 अप्रैल 2001 के उनके पत्र सं. एमपीडी.बीसी.206/07.01.279/2000-2001 के संदर्भ में ।
सुदर्शन ओरम
उप महा प्रबंधक