सुरक्षा मामले और कार्ड नॉट प्रेजेंट (CNP) लेनदेन से संबंधित जोखिम कम करने के उपाय - आरबीआई - Reserve Bank of India
सुरक्षा मामले और कार्ड नॉट प्रेजेंट (CNP) लेनदेन से संबंधित जोखिम कम करने के उपाय
आरबीआई/2014-15/190 22 अगस्त 2014 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय / महोदया, सुरक्षा मामले और कार्ड नॉट प्रेजेंट (CNP) लेनदेन से संबंधित जोखिम कम करने के उपाय कृपया हमारे दिनांक 18 फरवरी 2009 के परिपत्र आरबीआई/डीपीएसएस संख्या 1501 / 02.14.003 / 2008-2009, दिनांक 31 दिसंबर 2010 के परिपत्र आरबीआई/डीपीएसएस संख्या 1503 / 02.14.003 /2010-2011 और दिनांक 04 अगस्त 2011 के आरबीआई/डीपीएसएस संख्या 223/02.14.003/2011-2012 का संदर्भ लें जिनके अंतर्गत सभी ऑनलाइन कार्ड नॉट प्रेजेंट (सीएनपी) लेनदेनों (ई –कॉमर्स/आईवीआर/एमओटीओ/स्थायी अनुदेशों के आधार पर आवर्ती) के संबंध में कार्डों पर न दिखने वाली सूचना के आधार पर अतिरिक्त प्रमाणीकरण/ सत्यापन करने को अनिवार्य बनाने के लिए निर्देश जारी किए गए थे। 2. कृपया उक्त विषय पर हमारे दिनांक 25 अक्तूबर 2010 के परिपत्र आरबीआई/डीपीएसएस सं. 914/02.14.003/2010-2011 का भी संदर्भ लें जिसमें कार्ड नॉट प्रेजेंट लेनदेनों की प्रकृति के संबंध में उपर्युक्त निर्देशों की प्रयोजनीयता को स्पष्ट किया गया था। यह स्पष्ट किया गया था कि, यह अधिदेश ऐसे व्यापारिक स्थानों पर किए गए भुगतनों पर लागू होगा जहां विदेशी मुद्रा का बहिर्वाह नहीं होता है। इसके अतिरिक्त यह भी कहा गया था कि, एक विदेशी वेबसाइट/ पेमेंट गेटवे से संबद्धता, अधिदेश को लागू न करने की छूट प्रदान करने की अनुमति का आधार नहीं हो सकता है। 3. हमारी जानकारी में यह बात आई है कि उपर्युक्त स्पष्टीकरणों के बावजूद ऐसे कई उदाहरण हैं जहां कार्ड नॉट प्रेजेंट लेनदेनों को अधिदेशित अतिरिक्त प्रमाणीकरण/ सत्यापन के बिना किया गया और ऐसा वहाँ भी किया गया जहां किए गए लेनदेन भारत के दो निवासियों के बीच किए गए हैं (भारत में जारी किया गया कार्ड जिसका उपयोग भारत में स्थित व्यापारी/सेवा प्रदाता द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले माल की खरीद एवं प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए किया जाता है)। यह भी पाया गया कि ये संस्थाएं इस तरह के कारोबारी/भुगतान मॉडलों का उपयोग करती हैं जिसके फलस्वरूप विदेशी मुद्रा बहिर्वाह होता है और ये अतिरिक्त प्रमाणीकरण/ सत्यापन के अधिदेश का पालन नहीं कर रही हैं। कार्ड सुरक्षा के संबंध में मौजूदा अनुदेशों से इस प्रकार से बचना एवं उनका उल्लंघन करना, जो कि विदेशों में स्थित बैंकों द्वारा अधिग्रहीत व्यावसायिक लेनदेनों (भारत में माल एवं सेवाओं की बिक्री हेतु) के कारण संभव हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप इन लेनदेनों के निपटान में विदेशी मुद्रा का बहिर्वाह होता है, स्वीकार्य नहीं है क्योंकि यह विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के अंतर्गत अपेक्षाओं के अलावा भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत जारी किए गए निर्देशों का उल्लंघन है। 4. उपर्युक्त को ध्यान में रखते हुए यह सूचित किया जाता है कि ऐसी संस्थाएं, जो इस तरह के व्यवहार को अपनाती हैं जिसके कारण मौजूदा निर्देशों की जानबूझकर अवहेलना और उल्लंघन होता है, वे इस प्रकार की व्यवस्थाओं को तत्काल बंद करें। 5. इसके अतिरिक्त यह भी सूचित किया जाता है कि, जहां भारत में बैंकों द्वारा जारी किए गए कार्डों का उपयोग देश के अंदर माल एवं सेवाओं की खरीद के लिए कार्ड नॉट प्रेजेंट भुगतान के लिए किया जाता है, वहाँ कार्ड भुगतान सुरक्षा के संबंध में मौजूदा अनुदेशों के अनुपालन की दृष्टि से, इस प्रकार के लेनदेनों का अधिग्रहण भारत में स्थित बैंक द्वारा किया जाना चाहिए एवं इस लेनदेन का निपटान अनिवार्य रूप से केवल भारतीय मुद्रा में होना चाहिए। 6. यह निर्देश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के साथ पठित धारा 10 (2), के तहत जारी किया गया है। 7. यह निर्देश इस परिपत्र के जारी होने की तारीख से तुरंत प्रभावी होगा। तथापि, मौजूदा व्यवस्थाओं, यदि कोई हों, को हमारे अनुदेशों का पालन करने के लिए 31 अक्तूबर 2014 तक का समय दिया जाएगा ताकि, भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम / विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम के मौजूदा प्रावधानों के उल्लंघन के संबंध में आगे की कार्रवाई पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, यदि कोई हों, किसी भी कारोबार संबंधी व्यवधान को टाला जा सके। 8. कृपया, इस परिपत्र की प्राप्ति की सूचना दें। भवदीय (विजय चुग) |