विदेशी करेन्सी में बीमा दावों का निपटान - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी करेन्सी में बीमा दावों का निपटान
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 8 13 अक्तूबर 2001 प्रति विदेशी मुद्रा के समस्त प्रिय महोदय/महोदया, विदेशी करेन्सी में बीमा दावों का निपटान जीआइएम के पैरा बी.3 के अनुसार जीआइएम के प्रावधानों से कवर किये गये उन्हें छोड़कर अन्य के लिए विदेशी करेन्सी में सामान्य बीमा पालिसियों को जारी करने के लिए प्राप्त अनुरोधें को भारतीय रिज़र्व बैंक को भेजना अपेक्षित है। मामले की गुणवत्ता पर भारतीय रिज़र्व बैंक अनुमोदन देता है और बीमा कंपनियों को नामोद्यिष्ट विदेशी करेन्सी में जारी करने और विदेशी करेन्सी में प्रीमियम प्राप्त करने की अनुमति दी गई है । पालिसियों के बारे में विदेशी करेन्सी में दावों को निपटान निम्नलिखित शर्तो के अधीन बीमा कंपनियों द्वारा करने के लिए अब अनुमति दे सकते है : i) पॉलिसी - भारतीय रिज़र्व बैंक के विशेष अनुमोदन के साथ विदेशी करेन्सी में जारा की गई है; ii) दावा पालिसी अवधि के दौरान घटित नुकसान के लिए किया गया है; iii) दावा बीमा कंपनी के सक्षम प्राधिकारी ने स्वीकृत किया है; iv) दावा का निपटान सर्वेक्षक के रिपोर्ट और अन्य साबित करनेवाले दस्तावेजों के अनुसार किया गया है; v) दावें पुन: बीमाकर्ताओं के पास पुन: बीमा के लिए दायर करने के कारण उत्पन्न है और पुन: बीमा करार के अनुसार प्राप्त हुए है । vi) विप्रेषण पॉलिसी के अंतर्गत अनिवासी हिताधिकारी को किया जा रहा है । निवासी हिताधिकारियों के लिए दावा का निपटान देय विदेशी करेन्सी के रुपया समकक्षा में किया जाये। किसी भी परिस्थितियों में विदेशी करेन्सी में निवासी हिताधिकारी को भुगतान नही किया जाये, और vii) आर-विवरणियों में लेनदेन रिपोर्ट करते समय पॉलिसी जारी करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक से प्राप्त अनुमोदन का उल्लेख किया जाये । 2. प्राधिकृत व्यापारी भारतीय बीमा कंपनियों द्वारा दावों के निपटान की ओर विप्रेषण करने के लिए तदनुसार अनुमति दे बशर्ते उक्त पैरा 1 में निर्धरित शर्तो का अनुपालन किया गया हो । प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय वस्तु से अपने संबंधित ग्राहाकें को अवगत कराये । 3. इस परिपत्र में अन्नर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11(1)के अधीन जारी किये गये है । भवदीय, ग्रेस कोशी |