बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 24 - सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाये रखने में कमी - चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत अतिरिक्त चलनिधि सहायता - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 24 - सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाये रखने में कमी - चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत अतिरिक्त चलनिधि सहायता
आरबीआइ/2008-09/260 3 नवंबर 2008 सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक महोदय बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 24 - कृपया उपर्युक्त विषय पर 16 सितंबर 2008 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 43/12.02.001/ 2008-09 देखें जिसमें सूचित किया गया है कि एक अस्थायी तथा तदर्थ उपाय के रूप में अनुसूचित बैंक चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत अपनी निवल मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) के एक प्रतिशत तक अतिरिक्त चलनिधि सहायता प्राप्त कर सकते हैं और दंडात्मक ब्याज से छूट प्राप्त करने की मांग कर सकते हैं। 1 नवंबर 2008 की रिज़र्व बैंक की प्रेस प्रकाशनी 2008-09/603 में सूचित किए गए अनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि यह कटौती 8 नवंबर 2008 से प्रारंभ होनेवाले पखवाड़े से स्थायी कर दी जाए, और तदनुसार, यह लचीलापन 7 नवंबर 2008 तक उपलब्ध रहेगा, जिसके बाद सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) घटकर निवल माँग और मीयादी देयताओं का 24 प्रतिशत रह जाएगा। अत: जैसा कि 16 सितंबर 2008 के उपर्युक्त 2. रिज़र्व बैंक ने 15 अक्तूबर 2008 को अपने परिपत्र बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 62/12.02.001/ 2008-09 द्वारा उपर्युक्त के अलावा पूर्णतया अस्थायी उपाय के रूप में यह घोषित किया कि बैंक म्युच्युअल फंड (एमएफ) की चलनिधि अपेक्षाओं को पूर्ण करने के अनन्य प्रयोजन के लिए अपनी मांग और मीयादी देयताओं के 0.5 प्रतिशत तक की अतिरिक्त चलनिधि सहायता प्राप्त कर सकते हैं। जैसा कि उक्त भारिबैं प्रेस प्रकाशनी में दिया गया है, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए भी चलनिधि सहायता की इसी प्रकार की सुविधा आवश्यक पायी गई है ताकि वे अपनी निधिक अपेक्षाओं का प्रबंधन कर सकें। तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि यह सुविधा अब पूर्णतया अस्थायी तथा तदर्थ आधार पर, समीक्षा के अधीन प्रदान की जाए और 3 नवंबर 2008 के हमारे परिपत्र एफएमडी. एमओएजी. सं. 29/01.01.01/ 2008-09 में दिए गए अनुसार सांविधिक चलनिधि अनुपात के बनाए रखने में बैंकों की निवल मांग और मीयादी देयताओं के 1.5 प्रतिशत तक की छूट के माध्यम से बैंकों को चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत चलनिधि सहायता प्राप्त करने की अनुमति दी जाए। सांविधिक चलनिधि अनुपात में दी गई उपर्युक्त छूट का अनन्य रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों तथा म्युच्युअल फंडों की निधिक अपेक्षाओं को पूरा करने के प्रयोजन के लिए उपयोग किया जाए। बैंक उपर्युक्त अनुमत छूट को उनकी व्यावसायिक आवश्यकताओं के अनुसार लचीलेपन से म्युच्युअल फंडों तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के बीच विभाजित कर सकते हैं। तदनुसार, बैंक चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत उक्त अतिरिक्त चलनिधि सहायता लिए जाने के कारण सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखने में होनेवाली निवल मांग और मीयादी देयताओं के 1.50 प्रतिशत तक की कमी के लिए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 24 की भवदीय (विनय बैजल) |