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फसल ऋण के लिए किसानों के लिए सरलीकृत चक्रीय ऋण उत्पाद

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भारिबैं/2008-09/145
ग्राआऋवि.पीएलएफएस.बीसी.सं.23/05..04.02/2008-09

28 अगस्त 2008

अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी
अनुसूचित वाणिज्य़ बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित)

महोदय,

फसल ऋण के लिए किसानों के लिए सरलीकृत चक्रीय ऋण उत्पाद

कृपया वर्ष 2008-09 के वार्षिक नीति वक्तव्य का पैरा 138 और 139 (प्रति संलग्न) देखें।

2. वर्ष 2007-08 के वार्षिक नीति वक्तव्य की मध्यावधि समीक्षा में कृषि कर्मदारी पर राधाकृष्ण विशेषज्ञ दल की उन सिफारिशों की ज़ांच करने के लिए एक आंतरिक कार्य दल गठित करने का प्रस्ताव किया गया था ब्ााट बैंकिंग प्रणाली से सामान्य रुप से और रिज़र्व बैंक से विशेष रुप से संबंधित हैं। राधाकृष्ण विशेषज्ञ दल ने कहा है कि वर्षापोषित क्षेत्रों में किसानों की नकदी संबंधी परेशानियों को, फसली ऋण को वार्षिक लक्षण मानने के बज़ाए मौसम चक्र की दीर्घकालीन बाधा मानते हुए चक्रीय ऋण प्रणाली के ज़रिए दूर किया ज़ाना चाहिए। इसे कुछेक वर्षापोषित ज़िलों में प्रायोगिक आधार पर आरंभ किया ज़ा सकता है। दल ने यह भी कहा है कि बैंकों को ये निर्देश दिए ज़ाएं कि वे ऋण क्रियाविधि को सरल बनाएं तथा छोटे और सीमांत किसानों को समय पर ऋण प्रदान कराने में सहायता करें।

3. इस संबंध में कार्य दल ने, विशेष रुप से देश के वर्षापोषित क्षेत्रों में, किसानों के लिए वर्ष भर नकदी सुनिश्चित करते समय फसल उत्पादन के वित्तपोषण के लिए एक नया सरलीकृत चक्रीय ऋण उत्पाद आरंभ करने की सिफारिश की है।

4. तद्नुसार, प्रत्येक वाणिज्य़ बैंक के साथ-साथ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक भी, प्रायोगिक आधार पर फसल उत्पादन के वित्तपोषण के लिए एक नया उत्पाद आरंभ करने के लिए एक वर्षापोषित ज़िले को चुनें ज़िसके द्वारा (क) प्रत्येक ऋणकर्ता को फसल ऋण का 80 प्रतिशत वर्तमान मानदंडों/व्यवस्था के अनुसार अल्पावधि उत्पाद ऋण के ज़रिए पूरा किया ज़ाएगा और (ख) बकाया 20 प्रतिशत जो मुख्य घटकों (ज़मीन तैयार करना, बुवाई से पहले के कार्यों का खर्च आदि) के लिए होता है, ‘क्लीन क्रेडिट लिमिट’ के रुप में मंाझर किया ज़ाएगा ताकि किसानों के लिए वर्ष भर नकदी की उपलब्धता सुनिश्चत की ज़ा सके।

5. बैंक किसानों को तब तक ज़ब तक वे ब्याज़ अदा करते रहते हैं, नकद ऋण/ओवर ड्राफ्ट में किए ज़ाने वाले परिचालनों की तरह ‘क्लीन क्रेडिट लिमिट’ में से आहरण की अनुमति दे सकते हैं। गैर-कृषि नकदी ऋण/ओवर ड्राफ्ट खातों के लिए यथालागू आस्ति वर्गीकरण संबंधी मानदंड इस ‘क्लीन क्रेडिट लिमिट’ के लिए भी लागू होंगे।

6. इसके अलावा, इन क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं के मामलों में किए ज़ाने वाले राहत उपायों पर वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार ऋणावधि के पुर्नार्निधारण के लिए यह ज़रुरी होगा कि ‘क्लीन क्रेडिट लिमिट’ में बकाया शेष राशि को ऋणावधि पुनर्निर्धारित किए जानेवाले क्लीन ऋण खातों की बकाया राशि में ज़ोड़ दिया ज़ाए और किसान को फिर से एक नई ‘क्लीन क्रेडिट लिमिट’ उपलब्ध कराई ज़ाए।

7. तथापि, यह नोट किया ज़ाए कि सामान्य परिस्थितियों में ऋणकर्तावार आस्ति वर्गीकरण पर वर्तमान दिशानिर्देश इस नए उत्पाद के मामले में भी तब तक लागू होंगे ज़ब तक कि प्राकृतिक आपदाओं के समय ऋणावधि पुनर्निर्धारण के मामले की तरह विशिष्ट रुप से इसे समाप्त नहीं कर दिया ज़ाता। ‘क्लीन क्रेडिट लिमिट’ के मामले में ब्याज़ दर और ब्याज़ लागू होने की अवधि अन्य कृषि अग्रिमों की तरह ही लागू होगी।

8. इस नई प्रणाली को आगामी फसली मौसम से चुनिंदा शाखाओं में आजामाया ज़ाए और उसकी पुष्टि हमारे उस क्षेत्रीय कार्यालय को की ज़ाए ज़िसके क्षेत्राधिकार के अंतर्गत बैंक का प्रधान कार्यालय कार्यरत है। पुष्टि सूचना में उन ज़िलों के ब्योरे दिए ज़ाएं ज़हां इसे आरंभ किया गया है।

भवदीय

(बी. पी. विज़येन्द्र)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

वर्ष 2008-09 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य का पैरा 138 और 139

(घ) फसल ऋणों के लिए उधार-क्रियाविधि का सरलीकरण

138. रिज़र्व बैंक द्वारा नियुक्त कार्य दल (अध्यक्ष: श्री सी.पी. स्वर्णकार) और भारत सरकार द्वारा नियुक्त कृषि कर्ज़दारी संबंधी समिति (अध्यक्ष : डॉ. आर. राधाकृष्णन) ने कृषि कार्यों के लिए पूरे वर्ष के दौरान नकद राशि की उपलब्धता के मुद्दे सहित, किसानों के सामने आने वाली ऋण संबंधी कठिनाइयों को दूर करने के संबंध में अनेक सिफारिशें की हैं। राधाकृष्ण समिति की सिफारिशों की
ज़ांच करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा नियुक्त आंतरिक कार्य दल (अध्यक्ष : श्री वी.एस. दास) की रिपोर्ट व्यापक परामर्श के लिए रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर रख दी गई है।

139. ज़हां प्राप्त अभिमतों/प्रतिक्रियाओं के आधार पर राधाकृष्ण समिति की सिफारिशों पर की ज़ाने वाली कार्रवाई को अंतिम रूप दिया ज़ाएगा, वहीं यह प्रस्ताव है कि :

  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित प्रत्येक घरेलू वाणिज़्य बैंक से यह कहा ज़ाए कि वे किसानों के लिए एक सरलीकृत चक्रीय ऋण उत्पाद को प्रायोगिक आधार पर लागू करने के लिए एक ज़िले का चुनाव करें ताकि वे ऋण सीमा के 20 प्रतिशत का मुख्य घटक निरंतर रूप से इस्तेमाल कर सकें। इस व्यवस्था से ज़ब तक ब्याज़ का शोधन होता है कम से कम न्यूनतम वर्ष भर में चलनिधि सुनिश्चित होनी चाहिए।

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