राष्ट्रिक स्वर्ण बॉण्ड - निवेश की अधिकतम सीमा और संपार्श्विक के रूप में स्वीकार किया जाना– स्पष्टीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
राष्ट्रिक स्वर्ण बॉण्ड - निवेश की अधिकतम सीमा और संपार्श्विक के रूप में स्वीकार किया जाना– स्पष्टीकरण
भारिबैं/2016-17/96 20 अक्तूबर 2016 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक महोदया/ महोदय, राष्ट्रिक स्वर्ण बॉण्ड - निवेश की अधिकतम सीमा और संपार्श्विक के रूप में स्वीकार किया जाना– स्पष्टीकरण आपको पता होगा कि सरकारी प्रतिभूति अधिनियम 2006 (2006 का 38) की धारा 3, खंड (iii) के प्रावधानों के अनुसार भारत सरकार ने राष्ट्रिक स्वर्ण बांड योजना को अधिसूचित किया है। योजना यह निर्दिष्ट करता है कि बॉण्ड के लिए सदस्यता की अधिकतम सीमा प्रत्येक वित्तीय वर्ष में प्रति व्यक्ति हेतु 500 ग्राम है। बॉण्ड पर उधार की व्यवहार्यता तथा अभिदान के लिए निर्धारित नियंत्रण का अंतरण के माध्यम से अधिग्रहण पर लागू होना आदि के संदर्भ में हमें बैंकों और अन्य लोगों से पूछताछ प्राप्त हो रहे हैं। इस संबंध में, यह स्पष्ट किया जाता है कि: ए) राष्ट्रिक स्वर्ण बॉण्ड (एसजीबी) सरकारी प्रतिभूति अधिनियम की धारा 3 (iii) के तहत जारी सरकारी प्रतिभूतियाँ हैं। इसलिए एसजीबी के धारक उसे गिरवी रख सकता है, दृष्टिबंधक कर सकता है या प्रतिभूति पर लियन रख सकता है (सरकारी प्रतिभूति अधिनियम 2006/ सरकारी प्रतिभूति विनियमन, 2007 के प्रावधानों के अनुसार) एसजीबी को किसी भी प्रकार के लोन के लिए संपार्श्विक प्रतिभूति के रूप में भी प्रयोग में लाया जा सकता है। बी) बैंक तथा अन्य योग्य धारक प्रत्येक वित्त वर्ष में एसजीबी के अंतर्गत वसूली की कार्रवाई से उत्पन्न अंतरण आदि के माध्यम से 500 ग्राम से ज्यादा अर्जित किया जा सकता है। भवदीय (राजेंद्र कुमार) |