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आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध - विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1967 - बैंकों के दायित्व

आरबीआइ/2009-10/198
ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.एएमएल.बीसी .सं. 34/07.40.00/2009-10

29 अक्तूबर 2009

सभी राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंक

महोदय

आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध - विधिविरुद्ध क्रियाकलाप
(निवारण) अधिनियम, 1967 - बैंकों के दायित्व

कृपया ‘अपने ग्राहक को जानिए’ (केवाइसी) मानदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध सीएफटी पर जारी 28 फरवरी 2008 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि. केंका. आरएफ. एएमएल.बीसी.सं.51/07.40.00/2007-08 देखें।

2. उक्त परिपत्र के पैरा 5 में बैंकों को सूचित किया गया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विभिन्न संकल्पों (यूएनएससीआर) के अनुसरण में स्थापित सुरक्षा परिषद समिति द्वारा अनुमोदित व्यक्तियों तथा संस्थाओं की सूची जब भी भारत सरकार से प्राप्त होती है, रिज़र्व बैंक उसे सभी बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं में परिचालित करता है । बैंकों/वित्तीय संस्थाओं से यह अपेक्षा की जाती है कि वे रिज़र्व बैंक द्वारा परिचालित सूची के अनुसार व्यक्तियों तथा संस्थाओं की समेकित सूची को अद्यतन करें तथा कोई नया खाता खोलने के पहले यह सुनिश्चित करें कि प्रस्तावित ग्राहक का नाम/के नाम उक्त सूची में शामिल नहीं हैं।

इसके साथ ही, बैंकों को सभी मौजूदा खातों की जांच करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो कि ऐसी सूची में शामिल व्यक्तियों अथवा संस्थाओं का कोई भी खाता नहीं है अथवा उनसे संबंधित नहीं है । बैंकों को सूचित किया गया कि सूची में शामिल किसी भी व्यक्ति/संस्था से किसी भी प्रकार की समानता होने वाले खातों के संपूर्ण ब्यौरे भारतीय रिज़र्व बैंक तथा वित्तीय आसूचना इकाई-भारत (एफआइयू -आइएनडी) को तत्काल सूचित किये जाने चाहिए।

3. विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम 1967 (यूएपीए) को विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) संशोधन अधिनियम, 2008 द्वारा संशोधित किया गया है। सरकार ने 27 अगस्त 2009 को एक आदेश जारी किया है जिसमें आतंकवादी गतिविधियों के निवारण तथा उनका प्रतिरोध करने के लिए विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1967 की धारा 51क को लागू करने की प्रक्रिया के ब्यौरे दिये गये हैं। धारा 51क के अनुसार उपर्युक्त आदेश की अनुसूची में सूचीबद्ध व्यक्तियों या संस्थाओं अथवा आतंकवादी गतिविधियों में संलग्न अथवा संदिग्ध रूप से संलग्न किसी अन्य व्यक्ति की ओर से या उनके कहने पर रखी गयी निधियों और अन्य वित्तीय आस्तियों पर रोक लगाने, जब्ती या कुर्की करने के लिए तथा आदेश की अनुसूची में सूचीबद्ध व्यक्तियों या संस्थाओं अथवा आतंकवादी गतिविधियों में संलग्न या संदिग्ध रूप से संलग्न किसी अन्य व्यक्ति के लाभ के लिए कोई निधि, वित्तीय आस्ति या आर्थिक संसाधन या उससे जुड़ी सेवाएँ उपलब्ध कराने से किसी व्यक्ति या संस्था को प्रतिबंधित करने के लिए केद्र सरकार को शक्ति प्रदान की गयी है।

4. बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे 27 अगस्त 2009 के यूएपीए आदेश (प्रतिलिपि संलग्न) में निर्धारित प्रक्रिया का कड़ाई से पालन करें तथा सरकार के आदेश का अक्षरश: अनुपालन सुनिश्चित करें।

5. बैंकों को सूचित किया जाता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक से ऐसे व्यक्तियों और संस्थाओं की सूची (जिसे निर्दिष्ट सूची कहा गया है), जिन पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध लागू हैं, प्राप्त होने पर  उन्हें यूएनएससीआर की सूची में शामिल निर्दिष्ट व्यक्तियों/संस्थाओं की वित्तीय आस्तियों पर, खासकर बैंक खातों के रूप में रखी गयी निधियों, वित्तीय सेवाओं या आर्थिक संसाधनों या आर्थिक सेवाओं पर रोक लगाने/रोक हटाने के संबंध में यूएपीए की धारा 51क के अंतर्गत निर्धारित प्रक्रिया का अविलंब प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना चाहिए।

6. उक्त आदेश के पैरा 4 के अनुसार बैंक खातों के रूप में रखी गयी निधियों, वित्तीय आस्तियों अथवा आर्थिक संसाधनों अथवा संबंधित सेवाओं के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक बैंकों को निर्दिष्ट सूचियाँ भेजेगा और उनसे अपेक्षा की जाएगी कि वे:

(i) अद्यतन निर्दिष्ट सूचियाँ इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखें तथा निश्चित मानदंडों के आधार पर नियमित रूप से इसकी जाँच करें कि क्या आदेश की अनुसूची में सूचीबद्ध व्यक्ति अथवा संस्थाएँ (जिन्हें निर्दिष्ट व्यक्ति/संस्थाएँ कहा गया है) उनके पास बैंक खातों के रूप में कोई निधि, वित्तीय आस्तियां या आर्थिक संसाधन या उससे जुड़ी सेवाएं रख रही हैं।

(ii) यदि किसी ग्राहक के ब्यौरे निर्दिष्ट व्यक्तियों/संस्थाओं के ब्यौरे से मिलते हों, तो बैंकों को चाहिए कि वे ऐसे ग्राहक का पता चलने के तुरंत बाद 24 घंटे के भीतर संयुक्त सचिव (आंतरिक सुरक्षा-I), गृह मंत्रालय को अपनी बहियों में ऐसे ग्राहक द्वारा रखे गये बैंक खाते के रूप में रखी गयी निधियों, वित्तीय आस्तियों या आर्थिक संसाधनों या आर्थिक सेवाओं के पूरे ब्यौरे फैक्स सं. 011-23092569 पर भेज दें। साथ ही, इसकी जानकारी टेलीफोन सं. 011-23092736 पर भी दें। ब्यौरे डाक से भेजने के अलावा अनिवार्य रूप से ई-मेल पर भेजे जाएं।

(iii) बैंक ऊपर (ii) में उल्लिखित सूचना की एक प्रतिलिपि भारतीय रिज़र्व बैंक के यूएपीए नोडल अधिकारी , मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, धन शोधन निवारण प्रभाग, विश्व व्यापार केद्र, सेंटर-1, 4थी मंजिल, कफ परेड, कोलाबा, मुम्बई-400005 को डाक से और फैक्स सं. 022-22185792 पर भेजेंगे। ब्यौरे डाक/फैक्स से भेजने के अलावा अनिवार्य रूप से ई-मेल पर भेजे जाएं।

(iv) बैंक ऊपर (ii) में उल्लिखित सूचना की एक प्रतिलिपि वित्तीय आसूचना एकक-भारत तथा उस राज्य/संघ शासित क्षेत्र के यूएपीए नोडल अधिकारी को भी भजेंगे, जहां खाता रखा गया है।

(v) यदि निर्दिष्ट व्यक्तियों/संस्थाओं के ब्यौरे से ग्राहक के ब्यौरे पूरी तरह मिलते हों और उसमें संदेह की कोई गुंजाइश न हो तो बैंक निर्दिष्ट व्यक्तियों को वित्तीय लेनदेन नहीं करने देंगे तथा इसकी सूचना संयुक्त सचिव (आंतरिक सुरक्षा _I), गृह मंत्रालय को फैक्स सं. 011-23092569 पर तथा टेलीफोन सं. 011-23092736 पर देंगे । ब्यौरे डाक से भेजने के अलावा अनिवार्य रूप से ई-मेल पर भेजे जाएं।

(vi) बैंक उपर्युक्त पैराग्राफ (ii) के अंतर्गत शामिल खातों में किए गए अथवा करने का प्रयास किए गए सभी लेनदेनों की संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) भी निर्धारित प्रारूप में वित्तीय आसूचना इकाई-भारत को प्रस्तुत करेंगे।

7. वित्तीय आस्तियों पर रोक लगाना

i) उपर्युक्त पैराग्राफ 6(ii) में उल्लिखित विवरण प्राप्त होने के बाद गृह मंत्रालय का आंतरिक सुरक्षा -I प्रभाग राज्य पुलिस तथा/अथवा केंद्रीय एजेंसियों द्वारा सत्यापन करवाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बैंकों द्वारा पहचान किए गए व्यक्ति/ संस्थाएं वही हैं जो निर्दिष्ट व्यक्तियों/संस्थाओं के रूप में सूचीबद्ध हैं और बैंकों ने जिन निधियों, वित्तीय आस्तियों अथवा आर्थिक संसाधनों अथवा संबंधित सेवाओं के बारे में जानकारी दी है वे इन्हीं निर्दिष्ट व्यक्तियों /संस्थाओं द्वारा धारित की गई हैं। यह सत्यापन ऐसे विवरण प्राप्त होने की तारीख से 5 कार्य दिवसों के भीतर पूरा किया जाएगा।

ii) यदि सत्यापन से यह पता चलता है कि सम्पत्ति पर निर्दिष्ट व्यक्तियों/ संस्थाओं का स्वामित्व है या उनके लाभ के लिए रखी गयी है तो ऐसे सत्यापन के 24 घंटे के भीतर यूएपीए की धारा 51क के अंतर्गत इन आस्तियों पर रोक लगाने का आदेश जारी किया जाएगा और भारतीय रिज़र्व बैंक और एफआइयू- आइएनडी को अवगत कराते हुए बैंक की संबंधित शाखा को इलेक्ट्रॉनिक रूप से सूचना भेजी जाएगी।

iii) निर्दिष्ट व्यक्तियों/संस्थाओं को पूर्व सूचना दिये बिना आदेश जारी होगा।

8. वर्ष 2001 के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 1373 के अंतर्गत विदेशों से प्राप्त अनुरोधों का कार्यान्वयन

i) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 1373 के अनुसार देशों के लिए यह बाध्यकारी है कि वे आतंकवादी कृत्य करनेवाले, करने का प्रयास करनेवाले अथवा आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने में शामिल या सहायता पहुंचाने वाले व्यक्तियों; ऐसे व्यक्तियों द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से संचालित संस्थाओं; तथा ऐसे व्यक्तियों तथा संस्थाओं की ओर से या उनके इशारे पर काम करनेवाले व्यक्तियों तथा संस्थाओं की निधियों अथवा अन्य आस्तियों पर रोक लगाएं । इनमें ऐसे व्यक्तियों तथा उनसे जुड़े व्यक्तियों तथा संस्थाओं द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से स्वाधिकृत या नियंत्रित संपत्ति से उपार्जित अथवा सृजित निधियां एवं अन्य आस्तियां भी शामिल हैं।

ii) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 1373 के अंतर्गत विदेशों से प्राप्त अनुरोधों पर कार्रवाई करने के लिए विदेश मंत्रालय विदेशों द्वारा किए गए अनुरोधों की जांच-पड़ताल करेगा और अपनी टिप्पणी के साथ निधियों अथवा अन्य आस्तियों पर रोक लगाने के लिए उन्हें आंतरिक सुरक्षा - I प्रभाग के यूएपीए नोडल अधिकारी को इलेट्रॉनिक रूप से भेजेगा।

iii) गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा - I प्रभाग के यूएपीए नोडल अधिकारी पांच कार्य दिवसों के भीतर अनुरोध की जांच करवाएगा ताकि वह संतुष्ट हो सके कि प्रयोज्य कानूनी सिद्धांतों के आधार पर अनुरोध में यह संदेह करने अथवा विश्वास करने के औचित्यपूर्ण कारण अथवा औचित्यपूर्ण आधार हैं कि प्रस्तावित निर्दिष्ट व्यक्ति/संस्था आतंकवादी है, जो आतंकवाद अथवा किसी आतंकवादी संगठन का वित्तपोषण करता है तथा स्वयं संतुष्ट हो जाने के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक के नोडल अधिकारियों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से ऐसे अनुरोध को अग्रेषित करेगा । प्रस्तावित निर्दिष्ट व्यक्ति/संस्था को,जैसा कि ऊपर वर्णित है, निर्दिष्ट व्यक्ति/संस्था माना जाएगा।

iv) आंतरिक सुरक्षा - I प्रभाग के यूएपीए नोडल अधिकारी से अनुरोध प्राप्त होने के बाद बैकों को सूची भेजी जाएगी तथा पैराग्राफ 5, 6 , तथा 7 के अंतर्गत वर्णित प्रक्रिया का अनुसरण किया जाएगा।

v) रोक लगाने के आदेश संबंधित निर्दिष्ट व्यक्तियों को पूर्व सूचना दिये बिना जारी होंगे।

9. सत्यापन के बाद यह पता चलने पर कि संबंधित व्यक्ति अथवा संस्था निर्दिष्ट व्यक्ति अथवा संस्था नहीं है, निधियों पर रोक लगाने से गलती से प्रभावित हुए व्यक्तियों/संस्थाओं की निधियों, वित्तीय आस्तियों अथवा आर्थिक संसाधनों अथवा संबंधित सेवाओं पर से रोक हटाने की प्रक्रिया।

ऐसा कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था जिसके पास इस बात का साक्ष्य हो कि उसके द्वारा धारित/ स्वाधिकृत निधियों, वित्तीय आस्तियों अथवा आर्थिक संसाधनों अथवा संबंधित सेवाओं पर गलती से रोक लगाई गई है, संबंधित बैंक को अपेक्षित साक्ष्य लिखित रूप में देते हुए एक आवेदन प्रस्तुत करेगा। बैंक किसी व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा प्रस्तुत किए गए आवेदन की सूचना और उसकी एक प्रति रोकी गई आस्ति के पूरे ब्यौरे सहित उपर्युक्त पैराग्राफ 6(ii) में दिए गए संपर्क सूत्र के अनुसार गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा -I प्रभाग के नोडल अधिकारी को दो कार्य दिवस के भीतर ही अग्रेषित करेंगे जिसके अंतर्गत संबंधित व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा यह सूचना दी गई हो कि उसकी निधियों, वित्तीय आस्तियों अथवा वित्तीय संसाधनों अथवा संबंधित सेवाओं पर गलती से रोक लगाई गई है। संयुक्त सचिव (आंतरिक सुरक्षा - I), गृह मंत्रालय, गृह मंत्रालय के (आंतरिक सुरक्षा-I)प्रभाग का नोडल अधिकारी होने के नाते व्यक्ति/संस्था द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर यदि ज़रूरी हुआ तो इस प्रकार का सत्यापन करवाएगा और संतुष्ट होने पर 15 कार्य दिवसों के भीतर ऐसे आवेदक द्वारा स्वाधिकृत/धारित निधियों, वित्तीय आस्तियों अथवा आर्थिक संसाधनों अथवा संबंधित सेवाओं पर से रोक हटाने के आदेश जारी करेगा और उसकी सूचना संबंधित बैंक को देगा । तथापि, यदि 15 कार्य दिवसों के भीतर आस्तियों पर से रोक हटाने के लिए किसी कारणवश आदेश जारी करना संभव न हो तो उसकी सूचना आंतरिक सुरक्षा-I का नोडल अधिकारी आवेदक को देगा।

10. विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम की धारा 51 क के अंतर्गत आदेशों की सूचना

विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम की धारा 51क के अंतर्गत निधियों, वित्तीय आस्तियों अथवा आर्थिक संसाधनों अथवा संबंधित सेवाओं से संबंधित सभी आदेश भारतीय रिज़र्व बैंक के माध्यम से सभी बैंकों को भेजे जाएंगे।

11. बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे यूएपीए के उपबंधों की जानकारी संबंधित स्टाफ के ध्यान में लाएं और उनका कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें ।

भवदीय

( आर.सी.षडंगी )
मुख्य महाप्रबंधक

अनुलग्नक : यथोक्त

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