अपने ग्राहक को जानिए मानदंड /धन शोधन निवारण मानक / आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व - आरबीआई - Reserve Bank of India
अपने ग्राहक को जानिए मानदंड /धन शोधन निवारण मानक / आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व
आरबीआइ/2009-10/506 25 जून 2010 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय अपने ग्राहक को जानिए मानदंड /धन शोधन निवारण मानक / कृपया अपने ग्राहक को जानिए मानदंड /धन शोधन निवारण मानक / आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) / धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व पर 18 फरवरी 2005 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि. एएमएल. बीसी. सं. 80/07.40.00/ 2004-05 तथा 30 सितंबर 2009 का परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरएफ. एएमएल. बीसी. सं.28/ 07.40.00/2009-10 देखें । धनशोधन/आतंकवादी वित्तपोषण की आशंका 2. आपराधिक तत्वों द्वारा इरादतन अथवा अनजाने में धनशोधन अथवा आतंकवादी वित्तपोषण के लिए बैंकों का उपयोग रोकने की दृष्टि से यह स्पष्ट किया जाता है कि जहां कहीं धनशोधन अथवा आतंकवादी वित्तपोषण की आशंका हो अथवा जब अन्य बातों के कारण ऐसा विश्वास उत्पन्न हो कि कोई ग्राहक असल में कम जोखिम वाला नहीं है तो बैंकों को खाता खोलने से पहले ग्राहक के संबंध में पूरी तरह से समुचित सावधानी बरतनी चाहिए । संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट फाइल करना 3. 18 फरवरी 2005 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.एएमएल.बीसी.सं.80/07.40.00/2004-05 के साथ संलग्न "अपने ग्राहक को जानिए" मानदंड तथा धनशोधन निवारण उपायों पर दिशा-निर्देशों के पैरा 2(iv) तथा पैरा 8 में भी निहित अनुदेशों की ओर आपका ध्यान आकर्षित किया जाता है जिनके अनुसार जब कोई बैंक ग्राहक के संबंध में समुचित सावधानी के उपाय लागू नहीं कर पाता है तो उसे खाता नहीं खोलना चाहिए (या किसी मौजूदा खाते को बंद करने पर विचार करना चाहिए)। यह स्पष्ट किया जाता है कि उन परिस्थितियों में जहां बैंक को यह विश्वास हो गया है कि वह खाता धारक की सही पहचान के संबंध में संतुष्ट नहीं हो सकेगा तो उसे एफआइयू-आइएनडी के पास एक संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट भी फाइल करनी चाहिए । पोलिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन (पीईपी) 4. इस विषय पर 30 सितंबर 2009 के परिपत्र के पैरा 5 में निहित अनुदेशों के अनुसार किसी विद्यमान खाते का विद्यमान ग्राहक अथवा लाभार्थी स्वामी बाद में पीईपी हो जाए तो बैंकों को उक्त ग्राहक के साथ व्यावसायिक संबंध जारी रखने के लिए वरिष्ठ प्रबंध तंत्र का अनुमोदन प्राप्त करना चाहिए तथा पीईपी श्रेणी के ग्राहकों पर यथालागू ग्राहक संबंधी समुचित सावधानी उपाय उक्त खाते पर लागू करने चाहिए और खाते की निरंतर आधार पर अधिक मॉनिटरिंग भी करनी चाहिए । यह स्पष्ट किया जाता है कि 30 सितंबर 2009 के परिपत्र के पैरा 5 में निहित अनुदेश उन खातों पर भी लागू होते हैं जहां कोई पीईपी अंतिम लाभार्थी स्वामी है । साथ ही यह दोहराया जाता है कि पीईपी खातों के संबंध में बैंकों के पास पीईपी, ऐसे ग्राहक जो पीईपी के परिवार के सदस्य हैं तथा ऐसे खाते जिनमें पीईपी अंतिम लाभार्थी स्वामी है, को पहचानने तथा उनके संबंध में ग्राहक संबंधी समुचित सावधानी उपाय लागू करने के लिए उपयुक्त और निरंतर जोखिम प्रबंधन प्रक्रियाएँ होनी चाहिए । प्रधान अधिकारी 5. प्रधान अधिकारी की नियुक्ति तथा उसके दायित्व के संबंध में उपर्युक्त संदर्भित 18 फरवरी 2005 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.एएमएल.बीसी.सं.80/07.40.00/2004-05 के साथ संलग्न "अपने ग्राहक को जानिए" मानदंड तथा धनशोधन निवारण उपायों पर दिशा-निर्देशों के पैरा 9 के संदर्भ में यह स्पष्ट किया जाता है कि प्रधान अधिकारी की भूमिका तथा दायित्वों में अपने ग्राहक को जानिए/धनशोधन निवारण/आंतकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध पर समय-समय पर जारी विनियामक दिशानिर्देशों तथा धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002 तथा उसके अंतर्गत बनाए गए तथा समय-समय पर संशोधित नियमों तथा विनियमों के अंतर्गत दायित्वों का पर्यवेक्षण तथा उनका समग्र अनुपालन सुनिश्चित करना शामिल होना चाहिए । 6. ये दिशानिर्देश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 35क के अंतर्गत जारी किए गए हैं । इनका कोई भी उल्लंघन होने पर अथवा अनुपालन न करने पर उक्त अधिनियम के अंतर्गत दंड दिया जा सकता है । 7. कृपया हमारे संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्राप्ति-सूचना दें। भवदीय (बी.पी.विजयेन्द्र) |