अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) मानदण्ड/काला धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/ आतंकवद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों का दायित्व - आरबीआई - Reserve Bank of India
अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) मानदण्ड/काला धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/ आतंकवद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों का दायित्व
आरबीआइ/2010-11/396 2 फरवरी 2011 मुख्य कार्यपालक महोदय अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) मानदण्ड/काला धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/ आतंकवद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों का दायित्व कृपया अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) मानदण्ड - धनशोधन निवारण मानक/आतंकवद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों का दायित्व विषय पर 18 फरवरी 2005 और 28 फरवरी 2008 के हमारे परिपत्र क्रमश: ग्राआऋवि.एएमएल. बीसी.सं.80/ 07.40.00/2004-05 और ग्राआऋवि.केंका.आरएफ. बीसी. सं.51/07.40.00/2007-08 देखें । 2. 18 फरवरी 2005 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.एएमएल.बीसी. सं. 80 /07.40.00/2004-05 के `अपने ग्राहक को जानें' (केवाईसी) मानदण्ड और धनशोधन निवारण उपायों के संबंध में दिशा-निर्देशों के पैरा 2(vi) के अनुसार बैंकों से अपेक्षा है कि वे अधिक जोखिम वाले ग्राहकों के संबंध में वृद् धिमान उचित अध्यवसाय एवं सावधानी उपाय अपनाएं । उन ग्राहकों के विस्तृत उदाहरण भी, जिनके संबंध में उच्चतर अध्यवसाय एवं सावधानी उपाय अपनाने की आवश्यकता है, संदर्भाधीन उक्त पैराग्राफ में दिए हुए हैं । आगे यह भी सूचित किया जाता है कि नकदी आधारित व्यवसायों में निहित जोखिम को ध्यान में रखते हुए बैंकों द् वारा सोने-चॉंदी के डीलरों (उप डीलरों सहित) को वृद् धिमान अध्यवसाय एवं सावधानी की अपेक्षा वाले `उच्च जोखिम' ग्राहकों के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए । 3. तदनुसार `अपने ग्राहक को जानें' (केवाईसी) मानदण्ड और धनशोधन निवारण उपायों के संबंध में 18 फरवरी 2005 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.एएमएल.बीसी. सं. 80 /07.40.00/2004-05 के साथ संलग्न दिशा-निर्देशों के पैराग्राफ 4 के अनुसार बैंकों से यह भी अपेक्षा है कि वे इन `उच्च जोखिम खातों' को गहन लेन-देन निगरानी के अंतर्गत भी शामिल करें । बैंकों को, ऐसे खातों से जुड़ी हुई ऊँची जोखिम को वित्तीय आसूचना इकाई –भारत (एफआईयू-इंड) को संदेहास्पद लेन-देन रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु संदेहास्पद लेन-देनों की पहचान करने के लिए हिसाब में लेना चाहिए । 4. ये दिशा-निर्देश, धनशोधन निवारण (लेन-देनों के स्वरूप और मूल्य के अभिलेखों का रखरखाव, सूचना प्रस्तुत करने की समय सीमा और उसके रखरखाव की क्रियाविधि और पद् धति तथा बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं और मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन और रखरखाव) नियमावली, 2005 के नियम 7 के साथ पठित, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी संस्थाओं को यथा लागू) की धारा 35क के अंतर्गत जारी किये जा रहे हैं। इनका उल्लंघन या अननुपालन संगत अधिनियम/नियमों के अंतर्गत दंडनीय है। भवदीय मुख्य महाप्रबंधक |