अपने ग्राहक को जानिए’ संबंधी मानदंड / धन शोधन निवारण मानक / आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध /पीएमएलए , 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व - आरबीआई - Reserve Bank of India
अपने ग्राहक को जानिए’ संबंधी मानदंड / धन शोधन निवारण मानक / आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध /पीएमएलए , 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व
आरबीआइ/2009-10/174 30 सितंबर 2009 सभी राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंक प्रिय महोदय, अपने ग्राहक को जानिए’ संबंधी मानदंड / धन शोधन कृपया उपर्युक्त विषय पर 18 फरवरी 2005 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि.एएमएल. बीसी.सं. 80/07.40.00/2004-05 तथा 3 मार्च 2006 का परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.एएमएल.बीसी. 65/07.02.12/2005-06 देखें। अभिलेखों की परिरक्षण अवधि 3. तदनुसार, हमारे दिनांक 3 मार्च 2006 के परिपत्र के पैरा 5 को संशोधित करते हुए बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे बैंक तथा ग्राहक के बीच लेनदेन की तारीख से, धन शोधन निवारण (लेनदेन के स्वरुप एवं मूल्य का अनुरक्षण, अनुरक्षण की प्रक्रिया तथा विधि और सूचना प्रस्तुत करने की समय-सीमा, बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं तथा मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के रिकार्डों का अनुरक्षण) 2005 की नियमावली (पीएमएलए नियमावली ) के नियम 3 के अंतर्गत उल्लिखित घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों प्रकार के लेनदेन के सभी आवश्यक रिकार्डों का कम-से-कम 10 वर्ष तक अनुरक्षण करें जिससे अलग-अलग लेनदेन के पुनर्निर्माण (इसमें शामिल मुद्राओं की राशि तथा उनके प्रकार, यदि कोई हों, सहित) में मदद मिलेगी ताकि यदि जरुरत पड़े तो आपराधिक व्यक्तियों के अभियोजन के लिए साक्ष्य प्रस्तुत किया जा सके । 4. तथापि, 3 मार्च 2006 के उपर्युक्त परिपत्र के पैराग्राफ 5 के अनुसार ग्राहक द्वारा खाता खोलते समय तथा कारोबारी संबंध बने रहने के दौरान उसकी पहचान और पते के संबध में प्राप्त अभिलेख (जैसे पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, उपभोक्ता बिल आदि की प्रतिलिपियां) कारोबारी संबंध के समाप्त हो जाने के बाद कम-से-कम दस वर्ष तक परिरक्षित किए जाएं जो उक्त धन शोधन निवारण नियमावली, 2005 के नियम 10 के अनुसार अपेक्षित है। पोलिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन के खाते 5. पोलिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन (पीईपी) तथा उसके पारिवारिक सदस्यों अथवा नजदीकी रिश्तेदारों पर लागू किए जाने वाले ग्राहक समुचित सावधानी (सीडीडी) उपायों से संबंधित विस्तृत दिशानिर्देश हमारे दिनांक 18 फरवरी 2005 के परिपत्र के अनुबंध - I में दिए गए हैं। यह भी सूचित किया जाता है कि यदि कोई मौजूदा ग्राहक अथवा किसी मौजूदा खाते का लाभार्थी मालिक बाद में पीईपी बन जाता है तो बैंक को उसके साथ कारोबारी संबंध बनाए रखने के लिए वरिष्ठ प्रबंध तंत्र का अनुमोदन प्राप्त करना चाहिए और उसके खाते को पीईपी श्रेणी के ग्राहकों पर लागू होने वाले सीडीडी उपायों के अधीन रखना चाहिए । साथ ही, ऐसे ग्राहक और उसके खाते पर सतत आधार पर निगरानी बढ़ानी चाहिए। प्रधान अधिकारी 6. बैंकों को "अपने ग्राहकों को जानिए " संबंधी मानदंडों पर दिशानिर्देशों के पैरा 9 तथा ऊपर बताए गए दिनांक 18 फरवरी 2005 के परिपत्र के साथ संलग्न धन शोधन निवारण उपायों के अंतर्गत यह सूचित किया गया है कि वे वरिष्ठ प्रबंधतंत्र के किसी अधिकारी को प्रधान अधिकारी के रूप में पदनामित करें। प्रधान अधिकारी की भूमिका और जिम्मेदारियों का विस्तृत उल्लेख उक्त पैराग्राफ में किया गया है। इस उद्देश्य से कि प्रधान अधिकारी अपनी जिम्मेदारियां निभा सकें यह सूचित किया जाता है कि ग्राहकों की पहचान से संबंधित आंकड़ों तथा अन्य सीडीडी सूचना, लेनदेन रिकार्डों एवं अन्य संबंधित सूचनाओं तक प्रधान अधिकारी तथा अन्य समुचित स्टाफ की समय पर पहुँच होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, बैंकों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रधान अधिकारी अपना कार्य स्वतंत्रतापूर्वक कर सकेधं और सीधे वरिष्ठ प्रबंध तंत्र या निदेशक मंडल को रिपोर्ट करें। भवदीय (आर.सी.षडंगी ) |