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बैंकों द्वारा सुरक्षा जमा लॉकर/वस्तुओं के लिए सुरक्षित अभिरक्षा सुविधा प्रदान करना तथा सुरक्षा जमा लॉकरों तक पहुंच/ सुरक्षित अभिरक्षा से वस्तुं लौटाना

आरबीआइ/2006-2007/400
ग्राआऋवि.केंका.आरएफ. बीसी. 95 /07.38.01/2006-07

18 मई 2007

सभी राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंक

महोदय

बैंकों द्वारा सुरक्षा जमा लॉकर/वस्तुओं के लिए सुरक्षित अभिरक्षा सुविधा प्रदान करना तथा सुरक्षा जमा लॉकरों
तक पहुंच/ सुरक्षित अभिरक्षा से वस्तुं लौटाना

सार्वजनिक सेवाओं से संबंधित क्रियाविधि और कार्यनिष्पादन मूल्यांकन संबंधी समिति (सीपीपीएपीएस) ने लॉकरों के आसान परिचालन के लिए कुछ सिफारिशें की हैं । हमने सुरक्षा जमा लॉकरों/वस्तुओं के लिए सुरक्षित अभिरक्षा सुविधा संबंधी विभिन्न मामलों पर जो भी दिशानिर्देश जारी किए थे उन सबकी समीक्षा की है । हम इसके पहले जारी सभी दिशानिर्देशों का अधिक्रमण करते हुए निम्नलिखित दिशानिर्देश जारी कर रहे हैं ।

1. लॉकरों का आबंटन

1.1 सावधि जमाराशियां रखने पर लॉकरों के आबंटन की संबद्धता

सार्वजनिक सेवाओं से संबंधित क्रियाविधि और कार्यनिष्पादन मूल्यांकन संबंधी समिति (सीपीपीएपीएस) ने यह टिप्पणी की है कि लॉकर सुविधा को ऐसी सावधि या कोई अन्य जमाराशि रखे जाने से संबद्ध करना जो विशेष रूप से अनुमत राशि के अतिरिक्त है, एक अवरोधक प्रणाली है जिसे तत्काल बंद किया जाना चाहिए । हम उक्त समिति की टिप्पणी से सहमत हैं और बैंकों को यह सूचित करते हैं कि वे इस तरह की अवरोध पैदा करनेवाली प्रणालियां न अपनाएं ।

1.2 लॉकरों की सुरक्षा के रूप में सावधि जमा

बैंकों को ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है जहां लॉकर किराये पर लेने वाले न तो लॉकर परिचालित करते हैं और न ही किराया अदा करते हैं । लॉकर के किराये का तत्पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए बैंक, लॉकर आबंटित करते समय एक सावधि जमाराशि प्राप्त करें जो लॉकर का 3 वर्ष का किराया तथा आवश्यकता पड़ने पर लॉकर तोड़कर खुलवाने के प्रभारों को कवर करती हो । तथापि, बैंक विद्यमान लॉकर-किरायेदारों को ऐसी सावधि जमाराशि के लिए आग्रह न करें ।

1.3 लॉकरों की प्रतीक्षा सूची

शाखाओं को चाहिए कि वे लॉकरों के आबंटन के प्रयोजन के लिए एक प्रतीक्षा सूची तैयार करें और लॉकरों के आबंटन में पारदर्शिता सुनिश्चित करें । लॉकर आबंटित किए जाने के लिए प्राप्त सभी आवेदनपत्रों को प्राप्ति सूचना भेजी जानी चाहिए और प्रतीक्षा सूची संख्या दी जानी चाहिए ।

1.4 बैंकों को यह भी सूचित किया जाता है कि वे लॉकर आबंटित करते समय लॉकर के किरायेदार को लॉकर के परिचालन से संबंधित करार की एक प्रति दें ।

2. सुरक्षा जमा लॉकरों से संबंधित सुरक्षा पहलू
2.1 सुरक्षा जमा कोष्ठों/लॉकरों के परिचालन

बैंकों को चाहिए कि वे ग्राहकों को प्रदान किए गए लॉकरों की सुरक्षा के लिए उचित सावधानी तथा आवश्यक एहतियात बरतें । बैंकों को अपनी शाखाओं में स्थित सुरक्षा जमा कोष्ठों/लॉकरों के परिचालन के लिए लागू प्रणालियों की निरंतर समीक्षा करनी चाहिए और आवश्यक कदम उठाने चाहिए । सुरक्षा प्रक्रिया लिखित रूप में होनी चाहिए और संबंधित स्टाफ को उक्त प्रक्रिया संबंधी उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए । आंतरिक लेखा-परीक्षकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन किया जाता है ।

2.2 लॉकर के आबंटन हेतु ग्राहक संबंधी उचित सतर्कता/ परिचालन में न रहे लॉकरों के संबंध में उपाय

हाल ही के एक प्रसंग में, एक बैंक की शाखा में किसी लॉकर में विस्फोटक तथा हथियार पाये गये । इससे इस बात का महत्व रेखांकित होता है कि बैंकों को सुरक्षा जमा लॉकर किराये पर देने में निहित जोखिमों से वाकिफ होना चाहिए । इस संबंध में बैंकों को निम्नलिखित उपाय करने चाहिए :

  1. बैंकों को चाहिए कि वे नए और विद्यमान दोनों ग्राहकों के लिए कम-से-कम मध्यम जोखिम के रूप में वर्गीकृत ग्राहकों के लिए विनिर्दिष्ट स्तरों तक ग्राहक संबंधी उचित सतर्कता बरतें। यदि ग्राहक उच्चतर जोखिम श्रेणी में वर्गीकृत है तो ऐसी श्रेणी के लिए लागू केवाइसी मानदंडों के अनुसार, ग्राहक संबंधी उचित सतर्कता बरती जानी चाहिए ।
  2. जहां मध्यम जोखिम श्रेणी के लिए तीन वर्ष से अधिक अवधि के लिए या उच्चतर जोखिम श्रेणी के लिए एक वर्ष से अधिक अवधि के लिए लॉकर का परिचालन नहीं किया जाता है, वहां बैंकों को चाहिए कि वे लॉकर के किरायेदार से तत्काल संपर्क करें और उन्हें सूचित करें कि वे या तो लॉकर परिचालित करें या लॉकर वापस कर दें । यदि लॉकर का किरायेदार नियमित रूप से किराया अदा करता हो तो भी ये कदम उठाए जाने चाहिए । साथ ही, बैंकों को लॉकर के किरायेदार से लिखित रूप में कारण देने के लिए कहना चाहिए कि उन्होंने संबंधित लॉकर का परिचालन क्यों नहीं किया । यदि लॉकर के किरायेदार के पास कोई सच्चे कारण हैं जैसे अनिवासी भारतीयों के मामले में या स्थानांतरणीय नौकरी आदि के कारण शहर के बाहर गये व्यक्तियों के मामले में तो उस स्थिति में बैंक लॉकर के किरायेदार को लॉकर जारी रखने की अनुमति दे सकते हैं । यदि लॉकर का किरायेदार कोई प्रत्युत्तर नहीं देता और लॉकर भी परिचालित नहीं करता तो बैंक उसे उचित नोटिस देकर लॉकर खोलने पर विचार करें । इस संदर्भ में बैंकों को चाहिए कि वे लॉकर संबंधी करार में एक खंड शामिल करें कि यदि एक वर्ष से अधिक अवधि के लिए लॉकर परिचालित नहीं किया गया तो लॉकर के आबंटन को रद्द करने और लॉकर खोलने के अधिकार बैंक के पास होंगे, भले ही लॉकर का किराया नियमित रूप से भरा जाता रहा हो ।
  3. बैंकों को चाहिए कि वे लॉकरों को तोड़कर खुलवाने और संपत्ति सूची की गणना के लिए अपने विधिक परामर्शदाताओं के साथ परामर्श कर सुस्पष्ट क्रियाविधि तैयार करें ।

3. सुरक्षा जमा लॉकरों तक पहुंच/उत्तरजीवी (उत्तरजीवियों)/नामिती (नामितियों)/ विधिक: वारिस (वारिसों) को सुरक्षित अभिरक्षा में रखी वस्तुं लौटाना

3.1 हम आपका ध्यान 12 जुलाई 2005 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरएफ. बीसी. सं. 12/07.38.01/2005-06 की ओर आकृष्ट करते हैं, जिसमें हमने बैंकों को जमा खातों की आगम राशियों की सुपुर्दगी के संबंध में निर्देश किया था । लॉकरों कीर् द्म्ख्र्व्र्ेख्र्ड्ड*ह्य्/सुरक्षित अभिरक्षा में रखी वस्तुं उत्तरजीवी/ नामिती/दृद्म्ख्र्दृझ़्ख्र्i िंवारिसों को लौटाने के लिए उसी प्रकार की क्रियाविधि अपनायी जानी चाहिए ।

3.2 सुरक्षित जमा लॉकर तक पहुंच/सुरक्षित अभिरक्षा वस्तुओंको लौटाना (उत्तरजीवी/नामिती खंड सहित)

यदि एकल लॉकर किरायेदार किसी व्यक्ति को नामांकित करता है तो बैंकों को एकल किरायेदार की मृत्यु होने की स्थिति में ऐसे नामिती को लॉकर तक पहुंच तथा लॉकर की वस्तुओं को निकालने की स्वतंत्रता प्रदान करनी चाहिए । यदि संयुक्त हस्ताक्षरों के अतर्गत लॉकर के परिचालन के अनुदेशों के साथ लॉकर को संयुक्त रूप से किराये पर लिया गया था तथा लॉकर के किरायेदार (किरायेदारों) ने किसी व्यक्ति (व्यक्तियों) को नामांकित किया है तो लॉकर के किसी एक किरायेदार की मृत्यु होने की स्थिति में बैंक को उत्तरजीवी (उत्तरजीवियों) तथा नामिती (नामितियों) को संयुक्त रूप से लॉकर तक पहुंच तथा लॉकर की वस्तुओं को निकालने की स्वतंत्रता प्रदान करनी चाहिए । यदि लॉकर को उत्तरजीविता खंड के साथ संयुक्त रूप से किराये पर लिया गया था तथा किरायेदारों ने अनुदेश दिया था कि "दो में से किसी एक या उत्तरजीवी", "कोई एक या उत्तरजीवी" अथवा "पहला अथवा उत्तरजीवी" अथवा किसी अन्य उत्तरजीविता खंड के अनुसार लॉकर तक पहुंच दी जाए तो लॉकर के एक अथवा अधिक किरायेदारों की मृत्यु होने की स्थिति में बैंक को संबंधित अधिदेश का पालन करना चाहिए । तथापि लॉकर की वस्तुओं को लौटाने के पूर्व बैंकों को निम्नलिखित सावधानी बरतनी चाहिए :

क. बैंक को उत्तरजीवी (उत्तरजीवियों)/नामिती (नामितियों) की पहचान स्थापित करने में तथा लॉकर के किरायेदार की मृत्यु के तथ्य को समुचित दस्तावेजी साक्ष्य प्राप्त करके सत्यापित करने के लिए उचित सावधानी तथा सतर्कता बरतनी चाहिए ;

ख. बैंक को यह जानने के लिए गंभीर प्रयास करना चाहिए कि क्या मृत व्यक्ति के लॉकर तक पहुंच देने से बैंक को रोकने वाला किसी सक्षम न्यायालय का कोई आदेश है ;और

ग. बैंकों को उत्तरजीवी (उत्तरजीवियों)/नामिती (नामितियों) को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उन्हें केवल लॉकर के मृत किरायेदार के विधि वारिसों के न्यासी के रूप में लॉकर/सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गई वस्तुओं तक पहुंच दी गयी है अर्थात् उन्हें इस तरह प्रदान की गयी पहुंच से उक्त उत्तरजीवी (उत्तरजीवियों)/नामिती (नामितियों) के विरुद्ध किसी व्यक्ति के अधिकार अथवा दावे पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।

बैंक की सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गयी वस्तुओं की वापसी के लिए इसी तरह की क्रियाविधि का पालन करना चाहिए । बैंक नोट करें कि एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा सुरक्षित अभिरक्षा में जमा की गयी वस्तुओं के मामले में नामांकन सुविधा उपलब्ध नहीं है ।

3.3 बैंकों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि चूंकि उपर्युक्त शर्तों के अधीन उत्तरजीवी (उत्तरजीवियों)/नामिती (नामितियों) को दी गयी पहुंच का अर्थ होगा बैंक की देयता की पूर्ण चुकौती, इसलिए विधिक अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का आग्रह करना अनावश्यक तथा अवांछित है और उससे उत्तरजीवी (उत्तरजीवियों)/नामिती (नामितियों) को असुविधा होती है जिसे टाला जा सकता है और इसलिए उसे पर्यवेक्षीय दृष्टि से अनुचित समझा जाएगा । अत: ऐसे मामले में लॉकर के मृत किरायेदार/सुरक्षित अभिरक्षा में रखी वस्तुओं के जमाकर्ता के उत्तरजीवी (उत्तरजीवियों)/नामिती (नामितियों) को पहुंच देते समय बैंकों को उत्तराधिकार प्रमाणपत्र, प्रशासन पत्र अथवा प्रोबेट आदि प्रस्तुत करने का आग्रह करने अथवा उत्तरजीवी (उत्तरजीवियों)/नामिती (नामितियों) से कोई क्षतिपूर्ति बांड अथवा जमानत प्राप्त करने से बचना चाहिए ।

3.4 सुरक्षित जमा लॉकर तक पहुंच/सुरक्षित अभिरक्षा में रखी वस्तुओं को लौटाना (उत्तरजीवी/नामिती खंड के बिना)

यह अत्यधिक ज़रूरी है कि लॉकर के किरायेदार (किरायेदारों) के विधिक वारिस (वारिसों) को असुविधा तथा अनावश्यक कठिनाई न हो । उस मामले में जहां लॉकर के मृत किरायेदार ने नामांकन नहीं किया है अथवा जहां संयुक्त किरायेदारों ने कोई ऐसे अधिदेश नहीं दिये हैं जिससे एक स्पष्ट उत्तरजीविता खंड द्वारा एक अथवा अधिक उत्तरजीवियों को पहुंच दी जा सके, वहां बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे लॉकर के मृत किरायेदार के विधिक वारिस (वारिसों)/विधिक प्रतिनिधियों को पहुंच प्रदान करने के लिए अपने विधि परामर्शदाताओं के साथ विचार-विमर्श कर तैयार की गई एक ग्राहक सहायक क्रियाविधि अपनाएं । बैंक की सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गयी वस्तुओं के मामले में भी समान क्रियाविधि का पालन किया जाए ।

3.5 बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे इस मामले में बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949(सहकारी सोसायटियों पर यथा लागू ) की धारा 45 जेडसी से 45 जेडएफ तथा सहकारी बैंक (नामांकन) नियमावली, 1985 के उपबंधों और भारतीय संविदा अधिनियम तथा भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के संबंधित उपबंधों से भी मार्गदर्शन प्राप्त करें ।

3.6 बैंकों को 29 मार्च 1985 की अधिसूचना शबैंवि.बीआर. 764/बी.1-84/85 में सूचित किए गए अनुसार सुरक्षित अभिरक्षा में रखी हुई वस्तुओं को वापस करने से पूर्व/सुरक्षित जमा लॉकर की वस्तुओं को निकालने की अनुमति देने से पूर्व एक वस्तु सूची तैयार करनी चाहिए । यह सूची उपर्युक्त अधिसूचना से संलग्न उपयुक्त फॉर्म में अथवा परिस्थिति के अनुसार यथासंभव मिलते-जुलते फॉर्म के अनुसार होगी । उपर्युक्त अधिसूचना की एक प्रतिलिपि इस परिपत्र के अनुबंध I के रूप में दर्शाई गई है ।

3.7 इसके अलावा, यदि नामिति/उत्तरजीवी/विधिक वारिस लॉकर का उपयोग जारी रखना चाहता/चाहते हैं तो बैंक नामिती (नामितियों)/उत्तरजीवी (उत्तरजीवियों)/विधिक वारिस (वारिसों) के साथ एक नयी संविदा कर सकते हैं तथा नामिती (नामितियों)/विधिक वारिस (वारिसों) के संबंध में अपने ग्राहक को जानिए मानदंडों का भी अनुपालन करें । बैंकों को लॉकर के किरायेदार / सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गई वस्तु के जमाकर्ता के नामिती (नामितियों) तथा उत्तरजीवियों को वापस करते समय उनके पास सुरक्षित अभिरक्षा में रखे गये अथवा लॉकर में मिले हुए सील बंद/बंद पैकेटों को खोलने की आवश्यकता नहीं है ।
3.8 सरलीकृत परिचालन प्रणालियां/क्रियाविधियां

हमने नाबार्ड को सूचित किया है कि वे विभिन्न परिस्थितियों में लॉकर तक पहुंच प्रदान करने/सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गयी वस्तुओं की वापसी के लिए एक आदर्श परिचालन क्रियाविधि (एमओपी) तैयार करें । हम बैंकों को भी सूचित करते हैं कि वे उक्त प्रयोजन के लिए एक सरल नीति/क्रियाविधियां तैयार करने की दृष्टि से अपने मृत ग्राहकों (लॉकर के किरायेदार/सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गयी वस्तुओं के जमाकर्ता) के दावों के निपटान से संबंधित अपनी वर्तमान प्रणालियों तथा क्रियाविधियों की व्यापक समीक्षा करें । यह समीक्षा उनके बोर्ड के अनुमोदन से की जाए तथा उसे करते समय प्रयोज्य सांविधिक उपबंधों, पूर्वगामी अनुदेश तथा नाबार्ड द्वारा तैयार की गयी एमओपी को ध्यान में लिया जाए ।

4. ग्राहक मार्गदर्शन तथा प्रचार-प्रसार
4.1 नामांकन/उत्तरजीविता खंड के लाभ

बैंकों को नामांकन सुविधा तथा उत्तरजीविता खंड के लाभों का व्यापक प्रचार करना चाहिए तथा लॉकर के किरायेदारों/सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गयी वस्तुओं के जमाकर्ताओं को उसके संबंध में मार्गदर्शन देना चाहिए । उदाहरण के लिए, प्रचार सामग्री में इस बात को विशेष रूप से स्पष्ट किया जाए कि लॉकर के संयुक्त किरायेदारों/सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गयी वस्तुओं के जमाकर्ताओं में से एक की मृत्यु होने पर, लॉकर में रखी वस्तुओं अथवा सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गयी वस्तुओं पर अधिकार जब तक कि उत्तरजीविता खंड न हो तब तक अपने आप उत्तरजीवी लॉकर के संयुक्त किरायेदार/सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गयी वस्तुओं के जमाकर्ता को अंतरित नहीं होता है ।

4.2 बैंकों को लॉकर के मृत किरायेदार/सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गयी वस्तुओं के जमाकर्ता के नामिती (नामितियों)/उत्तरजीवी (उत्तरजीवियों)/विधिक वारिस (वारिसों) को लॉकर तक पहुंच/सुरक्षित अभिरक्षा में रखी वस्तु प्रदान करने के लिए स्थापित नीतियों/क्रियाविधियों के साथ इन अनुदेशों को भी वेबसाइट पर रखना चाहिए । साथ ही, नामिती (नामितियों)/ उत्तरजीवी (उत्तरजीवियों)/विधिक वारिस (वारिसों) से दावा प्राप्त होने पर उक्त की एक मुद्रित प्रतिलिपि भी उनको दी जाए ।

5. हम बैंकों को यह भी सूचित करते हैं कि प्राधिकारियों को लॉकर की चाबियों के स्वामित्व को पहचानने में सुविधा हो इस दृष्टि से वे इस बात को सुनिश्चित करें कि सभी लॉकर की चाबियों पर बैंक/शाखा की पहचान कूट संख्या एम्बॉस की जाती है ।

6. कृपया प्राप्ति सूचना हमारे संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को दें ।

भवदीय

( के.भट्टाचार्य )
महाप्रबंधक


अनुबंध -I

यूबीडी.बीआर. 764/बी.1-84/85

अधिसूचना

विषय : बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (जैसाकि सहकारी सोसाइटियों पर लागू है) - धारा 45 जेड सी (3) और जेड इ (4)

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 45 जेड सी (3) और धारा जेड इ (4) द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतदद्वारा निदेश देता है कि सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गई वस्तुओं को लौटाने के पहले तैयार की जानेवाली सूची और सुरक्षा-लॉकर की वस्तुओं को हटाने की अनुमति देने के पहले तैयार की जानेवाली सूची क्रमश: संलग्न किये गये अनुसार निर्धारित उचित फार्मो या परिस्थितियों के अनुसार अपेक्षित उनसे मिलते जुलते फार्मो में होनी चाहिए ।


(पी.डी.ओझा)
कार्यपालक निदेशक
29 मार्च 1985

सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गई वस्तुओं को लौटाते समय तथा सुरक्षा - लॉकर की वस्तुओं को हटाने की अनुमति देते समय सहकारी बैंकों द्वारा तैयार की जानेवाली सूची का फार्म

सहकारी बैंक के पास सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गई वस्तुओं की सूची का फार्म (बैंकिग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 45 जेडसी (3)

दिनांक ____________________ के करार/की रसीद के अनुसार श्री/श्रीमती _____________________________________________

_______________ द्वारा ___________________(बैंक) की ______________________________________________________

शाखा के पास सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गई निम्नलिखित की सूची के अनुसार वस्तुं वर्ष ______________ के _______________ के दिन निकाली गई थीं ।

क्रमांक

सुरक्षा अभिरक्षा
में रखी वस्तु का
वर्णन

यदि पहचान का
कोई और ब्यौरा
हो तो वह

     
     

 

उपर्युक्त सूची की वस्तुं निम्नलिखित व्यक्तियों की उपस्थिति में निकाली गई :

श्री/श्रीमती ________________________ (नामित व्यक्ति)

श्री/श्रीमती __________________________________________________

(नाबालिग की ओर से नियुक्त नामित व्यक्ति)

पता _______________________________________

पता________________________________________ या

हस्ताक्षर ___________________________________________

हस्ताक्षर __________________________________

मैं, श्री/श्रीमती ___________________________________ (नामित व्यक्ति /नाबालिग की ओर से नियुक्त नामित व्यक्ति) एतदद्वारा उपर्युक्त सूची में शामिल की गई और उल्लिखित वस्तुओं की उक्त सूची और उसकी एक प्रति के मिलने की रसीद देता/देती हूं —

श्री/श्रीमती__________________( नामित व्यक्ति)
हस्ताक्षर_______________________________________

दिनांक और स्थान : _______________________________________

श्री/श्रीमती __________________________________________________________

(नाबालिग नामित व्यक्ति की ओर से नियुक्त)

हस्ताक्षर --------------------

दिनांक और स्थान : ---------------------

सहकारी बैंक से किराये पर लिये गये सुरक्षा लॉकरों की वस्तुओं की सूची का फार्म (बैंकिग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 45 जेडई (4)

_________(बैंक) की ______________________________________शाखा में स्थित सुरक्षा जमा कक्ष का जो सुरक्षा लॉकर सं.

___________________________________________________________________________

* श्री/श्रीमती ________________________ (मृत) द्वारा केवल अपने नाम पर किराये पर लिया गया था ।

* श्री/श्रीमती (i)________________________ (मृत)

(ii)__________________________________संयुक्त

(iii)__________________________________

द्वारा संयुक्त रूप से किराये पर लिया गया था उसमें निम्नलिखित सूची में दी गई वस्तुं तारीख _______________________________

____________________________________________________________________ (माह) 20 को निकाली गई ।

क्रम सं.

सुरक्षा लॉकर
में रखी गयी
वस्तुओं का वर्णन

यदि पहचान का
कोई और ब्यौरा
हो तो वह

 

 

 

 

 

 


सूची की वस्तुओं के प्रयोजन के लिए उस नामित व्यक्ति/और उन जीवित किरायेदारों को लॉकर खोलने की अनुमति दी गयी थी ।

* जिसने लॉकर की चाबी प्रस्तुत की

* उनके अनुदेशों के मुताबिक लॉकर को तोड़ कर खोला गया ।

उपर्युक्त सूची की वस्तुं निम्नलिखित की उपस्थिति में निकाली गयीं :

  1. श्री/श्रीमती ----------------------------------------------(नामित व्यक्ति)

पता---------------------------------- हस्ताक्षर

या

1. श्री/श्रीमती (नामित व्यक्ति) ---------------------------------

--------------------

पता ---------------------- या

1. श्री / श्रीमती ------------------(नामित व्यक्ति)

पता --------------------------------------- (हस्ताक्षर)

और

श्री / श्रीमती --------------------------------------------------------------------

पता ----------------------------- (हस्ताक्षर) ----------------------

श्री/श्रीमती ------------------------------------ हस्ताक्षर

-------------------------------------------के उत्तरजीवी व्यक्ति

हस्ताक्षर----------------------------

पता --------------------------

(हस्ताक्षर) संयुक्त उत्तरजीवी व्यक्ति

2. गवाह और उसका/उनके नाम, पता (ते) और हस्ताक्षर

___________________________________________________________________________ मैं, श्री/श्रीमती _____________________________________________________________________ (नामित व्यक्ति)

* हम, श्री/श्रीमती _____________________________________________________________________ (नामित व्यक्ति),

श्री/श्रीमती _____________________________________ और श्री/श्रीमती _____________________________________

इसके द्वारा संयुक्त किरायेदारों के (की) उत्तरजीवी व्यक्ति इसके द्वारा उपर्युक्त वस्तु सूची में सम्मिलित और उल्लिखित जो वस्तुं सुरक्षा लॉकर में रखी गई थीं उनके और उक्त सूची की एक प्रति मिलने की रसीद देते हैं ।

श्री/श्रीमती _____________________________________ (नामित व्यक्ति) श्री/श्रीमती__________________________(उत्तरजीवी)

हस्ताक्षर ___________________________________ हस्ताक्षर _____________________________________

तारीख और स्थान ______________________________

श्री/श्रीमती _____________________________________

हस्ताक्षर _____________________________________

तारीख और स्थान _________________________________

(जो लागू न हो उसे काट दें ।)

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