संपत्ति का मूल्यन - मूल्यनकर्ताओं का पैनल - आरबीआई - Reserve Bank of India
संपत्ति का मूल्यन - मूल्यनकर्ताओं का पैनल
आरबीआई/2008 - 2009/490 3 जून 2009 सभी राज्य सहकारी बैंक और महोदय, संपत्ति का मूल्यन - मूल्यनकर्ताओं का पैनल यह पाया गया है कि भिन्न - भिन्न बैंक संपत्तियों के मूल्यन तथा इस प्रयोजन से मूल्यनकर्ताओं की नियुक्ति के लिए अलग-अलग नीतियों का प्रयोग करते हैं । बैंकों द्वारा स्वाधिकृत निर्धारित आस्तियों तथा अपने अग्रिम संविभाग के एक बड़े हिस्से के लिए संपार्श्विक के रूप में स्वीकृत आस्तियों के सही और वास्तविक मूल्यन का मुद्दा बैंकों की पूंजी पर्याप्तता की स्थिति की सही गणना पर उसके प्रभावों के मद्देनजर महत्वपूर्ण हो गया है। इस संदर्भ में निर्धारित आस्तियों के वास्तविक मूल्यन तथा मूल्यनकर्ताओं का पैनल बनाने के लिए भी एक प्रणाली / प्रक्रिया स्थापित करने की जरुरत है। 2. संपत्तियों के मूल्यन तथा मूल्यनकर्ताओं की नियुक्ति पर नीति बनाते समय बैंक निम्नलिखित पहलुओंज को ध्यान में रखें : (क) संपत्तियों के मूल्यन के लिए नीति i) बैंकों के पास अपने ऋण जोखिमों के लिए स्वीकृत संपार्श्विक सहित संपत्तियों के मूल्यन के लिए निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित नीति होनी चाहिए। ii) संपत्तियों का मूल्यन व्यावसायिक रूप से योग्यताप्राप्त स्वतंत्र मूल्यनकर्ताओं द्वारा किया जाना चाहिए अर्थात मूल्यनकर्ता का इससे कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हित नहीं जुड़ा होना चाहिए। iii) बैंकों द्वारा 50 करोड़ रुपये या उससे अधिक मूल्य की संपत्तियों के लिए कम से कम दो स्वतंत्र मूल्यन रिपोर्टें प्राप्त की जानी चाहिए। (ख) बैंक की निजी संपत्तियों का पुनर्मूल्यन i) उपर्युक्त के अलावा बैंक अपनी निजी संपत्तियों के पुनर्मूल्यन के लिए नीति बनाते समय निम्नलिखित पहलुओं को भी ध्यान में रखें । ii) पूंजी पर्याप्तता संबंधी मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार बैंक टियर II पूंजी के एक हिस्से के रूप में 55% के बट्टे पर पुनर्मूल्यन आरक्षित निधि शामिल कर सकते हैं । इसे ध्यान में रखते हुए , यह आवश्यक है कि पुनर्मूल्यन आरक्षित निधि से संपत्तियों के बाजार मूल्य में वास्तविक मूल्यवृद्धि प्रकट हो और बैंकों के पास अपनी स्वाधिकृत निर्धारित आस्तियों के पुनर्मूल्यन के लिए धएक विस्तृत नीति हो। इस नीति के अंतर्गत अन्य बातों के साथ पुनर्मूल्यन के लिए आस्तियों के पहचान की प्रक्रिया, इस प्रकार की आस्तियों के लिए अभिलेखों का अलग समूह बनाए रखने, पुंनर्मूल्यन की बारंबारता, इन आस्तियों के लिए मूल्यह्रास नीति, इस प्रकार की पुनर्मूल्यित आस्तियों की बिक्री की नीति आदि शामिल होनी चाहिए। ii) चूंकि पुनर्मूल्यन से निर्धारित आस्तियों के उचित मूल्य में परिवर्तन प्रदर्शित होना चाहिए इसलिए पुनर्मूल्यन की बारंबारता का निर्धारण विगत में देखी गई आस्तियों की अस्थिर कीमतों के आधार पर किया जाना चाहिए। इसके अलावा, मूल्यह्रास की विधि से किसी भी प्रकार के परिवर्तन से उन आस्तियों के भावी आर्थिक लाभों के उपभोग के संभावित तौर-तरीके में परिवर्तन की झलक मिलनी चाहिए। पुनर्मूल्यन की बारंबारता /उसके मूल्यह्रास की विधि में परिवर्तन करते समय बैंकों को इन सिद्धांतों का सावधानीपूर्वक पालन करना चाहिए। (ग) स्वतंत्र मूल्यनकर्ताओं का पैनल बनाने की नीति i) बैंकों के पास व्यावसायिक मूल्यनकर्ताओं का पैनल बनाने की एक निश्चित प्रक्रिया होनी चाहिए तथा उन्हें "मूल्यनकर्ताओं की अनुमोदित सूची" का एक रजिस्टर बनाकर रखना चाहिए। ii) बैंक मूल्यनकर्ताओं का पैनल बनाने के लिए एक न्यूनतम अर्हता निर्धारित करें। भिन्न-भिन्न प्रक ार की आस्तियों (उदाहरणार्थ भूमि और भवन, संयंत्र और मशीनरी, कृषि-भूमि आदि) के लिए अलग-अलग अर्हताएं तय करें। अर्हताएं निश्चित करते समय बैंक संपत्ति-कर अधिनियम, 1957 की धारा 34 एबी (नियम 8ए) के अंतर्गत निर्धारित अर्हताओं को ध्यान में रखें । 3. बैंक भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान द्वारा जारी संबंधित लेखाकरण मानक के दिशानिर्देशों का भी पालन करें। 4. कृपया प्राप्ति-सूचना भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को दें । भवदीय (बी.पी.विजयेद्र) |