अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/ धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/ आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/ धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व – विदेशी संविभाग निवेशकों (एफपीआई) के लिए केवाईसी मानदंडों का सामंजस्य - आरबीआई - Reserve Bank of India
अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/ धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/ आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/ धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व – विदेशी संविभाग निवेशकों (एफपीआई) के लिए केवाईसी मानदंडों का सामंजस्य
आरबीआई/2013-14/644 16 जून 2014 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया / महोदय, अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/ धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/ आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/ धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व – विदेशी संविभाग निवेशकों (एफपीआई) के लिए केवाईसी मानदंडों का सामंजस्य कृपया पहला द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2014-15 देखें, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ यह प्रस्ताव किया गया था कि एफपीआई द्वारा बैंक खाते खोलने के लिए केवाईसी संबंधी प्रक्रिया को सरल बनाया जाए। 2. वर्ष 2013-14 के बजट प्रस्तावों तथा धनशोधन निवारण (अभिलेखों का रखरखाव) नियमावली, 2005 (नियमावली) में हाल के संशोधनों के परिणामस्वरूप भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एफपीआई के प्रवेश हेतु केवाईसी मानदंडों को तर्कसंगत बनाया है (देखें 12 सितंबर 2013 का उनका परिपत्र एमआईआरएसडी/07/2013)। भारतीय रिज़र्व बैंक को भी सुझाव मिल रहे हैं कि एफपीआई द्वारा बैंक खाते खोलने के मामले में केवाईसी मानदंडों को भी उसी प्रकार तर्कसंगत बनाया जाए। सरकार के साथ परामर्श करके इस मामले की जांच की गई तथा यह निर्णय लिया गया है कि एफपीआई के मामले में केवाईसी मानदंडों को सरल बनाया जाए। 3. सेबी द्वारा एफपीआई को उनके आकलित जोखिम प्रोफाइल के आधार पर वर्गीकृत किया गया है, जिसका ब्योरा अनुबंध I में दिया गया है। नियमावली के नियम 9 (14)(i) के अनुसार सरलीकृत मानदंड ऐसे एफपीआई के लिए निर्धारित किए गए हैं, जो सेबी के दिशानिर्देशों के अनुसार विधिवत पंजीकृत हैं तथा सेबी द्वारा विनियमित अभिरक्षक/ मध्यस्थ के माध्यम से जिनका सेबी द्वारा निर्धारित अपेक्षित केवाईसी उचित सावधानी/ सत्यापन किया जा चुका है। संविभाग निवेश योजना (पीआईएस) के अंतर्गत निवेश करने के प्रयोजन हेतु बैंक खाता खोलने के लिए ऐसे पात्र/पंजीकृत एफपीआई किसी बैंक से संपर्क कर सकते हैं, जिसके लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित केवाईसी दस्तावेज (अनुबंध ॥ में दिए गए ब्योरों के अनुसार) आवश्यक होंगे। इस प्रयोजन से बैंक, नियमावली के नियम 9(2) [(ए) से (ई) तक] में दी गई शर्तों के अधीन किसी तीसरे पक्ष (अर्थात अभिरक्षक/ सेबी द्वारा विनियमित मध्यस्थ) द्वारा किए गए केवाईसी सत्यापन पर निर्भर रह सकते हैं। 4. इस संबंध में सेबी से अनुरोध किया गया है कि उनके द्वारा विनियमित अभिरक्षकों/ मध्यस्थों को सूचित किया जाए कि एफपीआई से लिखित प्राधिकार के आधार पर वे संबंधित बैंकों के साथ संगत केवाईसी दस्तावेजों का आदान-प्रदान करें। तदनुसार, एफपीआई द्वारा अभिरक्षकों/ विनियमित मध्यस्थों को प्रस्तुत संगत केवाईसी दस्तावेजों की हार्ड-कॉपी का एक सेट उनके प्राधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से संबंधित बैंक को अंतरित किया जाए। दस्तावेजों का अंतरण करते समय अभिरक्षक/ विनियमित मध्यस्थ यह प्रमाणित करेगा कि दस्तावेजों का मूल दस्तावेजों के साथ विधिवत सत्यापन किया गया है, अथवा जहां लागू हो, नोटरी द्वारा प्रमाणित दस्तावेज प्राप्त किए गए हैं। इस संबंध में अभिरक्षक/ विनियमित मध्यस्थ तथा बैंक, दोनों स्तरों पर अंतरणकर्ता तथा अंतरिती संस्थाओं के अधिकारियों के हस्ताक्षर के साथ दस्तावेजों के अंतरण का उचित अभिलेख रखा जाए। उपर्युक्त प्रक्रिया के अनुसार एफपीआई का बैंक खाता खोलते समय बैंकों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि तीसरे पक्ष (अर्थात अभिरक्षक/ विनियमित मध्यस्थ) द्वारा ग्राहकों के संबंध में बरती गयी समुचित सावधानी के लिए अंतिम रूप से बैंक उत्तरदायी हैं तथा यदि अपेक्षित हो, तो यथा लागू अतिरिक्त उचित सावधानी उपाय करना उनके लिए आवश्यक होगा। इसके अलावा, बैंकों से अपेक्षित है कि वे एफपीआई अथवा एफपीआई की ओर से कार्य करने वाले वैश्विक अभिरक्षक से इस आशय का वचनपत्र प्राप्त करें कि जब भी जरूरत होगी, अनुबंध ॥ में बताए गए छूट प्राप्त दस्तावेज प्रस्तुत किए जाएंगे। 5. आगे यह भी सूचित किया जाता है कि द्वितीयक बाजार लेनदेनों को आसान बनाने की दृष्टि से बैंक एफपीआई से प्राप्त केवाईसी दस्तावेज अथवा अभिरक्षक/ विनियमित मध्यस्थ से प्राप्त प्रमाणित प्रतिलिपियों का एफपीआई के द्वारा लिखित प्राधिकार के आधार पर अन्य बैंकों/ विनियमित बाजार मध्यस्थों के साथ आदान-प्रदान कर सकते हैं। 6. इस परिपत्र के प्रावधान नए और विद्यमान, दोनों एफपीआई ग्राहकों पर लागू होंगे। ये प्रावधान केवल एफपीआई की संविभागीय निवेश योजना के लिए ही लागू होंगे। यदि एफपीआई उपर्युक्त प्रक्रिया के अंतर्गत खोले गए बैंक खाते का प्रयोग किसी अन्य अनुमोदित कार्यकलाप (अर्थात पीआईएस से अन्य) के लिए करना चाहते हों, तो उन्हें दिनांक 18 फरवरी 2005 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि. आरसीबी. बीसी.सं. 80/07.40.00/2004-05 और 'अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/ धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/ आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/ पीएमएलए, 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व पर जारी अनुवर्ती परिपत्रों का पालन करना होगा। 7. राज्य सहकारी बैंक उपर्युक्त अनुदेशों को देखते हुए अपनी केवाईसी नीति में संशोधन करें तथा उसका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें। भवदीय ( ए. उदगाता )
पीआईएस के अधीन पात्र एफ़पीआई के लिए केवाईसी दस्तावेज़
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