छोटे और मध्यम उद्यमों को ऋण उपलब्ध कराने के लिए नीतिगत पैकेज - केंद्रीय वित्त मंत्री मबेदय द्वारा की गयी घोषणा - आरबीआई - Reserve Bank of India
छोटे और मध्यम उद्यमों को ऋण उपलब्ध कराने के लिए नीतिगत पैकेज - केंद्रीय वित्त मंत्री मबेदय द्वारा की गयी घोषणा
भारिबैं /2005-06 /140
ग्राआऋवि. पीएलएनएफएस.बीसी.सं. 35 /06.02.31/2005-06
अगस्त 25 , 2005
अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक /मुख्य कार्यपालक अधिकारी
निजी क्षेत्र के सभी बैंक
सभी विदेशी बैंक
सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक / स्थानीय क्षेत्र बैंक
मबेदय ,
छोटे और मध्यम उद्यमों को ऋण उपलब्ध कराने के लिए नीतिगत पैकेज - केंद्रीय वित्त मंत्री मबेदय द्वारा की गयी घोषणा
माननीय वित्त मंत्री, भारत सरकार ने छोटे और मध्यम उद्यमों को ऋण उपलब्ध कराने के लिए 10 अगस्त 2005 को संसद में कतिपय उपायों की घोषणा की (नीतिगत पैकेज की प्रतिलिपि संलग्न है ), जिसका कार्यान्वयन सभी बैंकों द्वारा किया जाना आवश्यक है । तदनुसार, बैंक निम्नानुसार कार्रवाई कर सकते हैं :-
उक्त क्षेत्र को ऋण उपलब्ध कराने में सुधार लाने के उपाय
2.वर्तमान में बेसयरी, बथ के औज़ार, दवा और फार्मास्यूटिकल्स, लेखन सामग्री और खेल-कूद के सामान के अंतर्गत कुछ विशेष वस्तओं के संबंध में, जबँ निवेश की सीमा 5 करोड़ रुपए तक बढ़ा दी गई बे, को छोड़कर लघु उद्योग इकाई वह औद्योगिक उपक्रम है, जिसका संयंत्र और मशीनरी में निवेश 1 करोड़ रु. से अधिक न बें । एक व्यापक विधिव्यवस्था संसद में विचाराधीन है, जिससे लघु उद्योगों का छोटे और मध्यम उद्यमों में आमूल-चूल परिवर्तन सुलभ बे सकेगा । उपर्युक्त विधिव्यवस्था का अधिनियम बेने तक वर्तमान लघु उद्योगों / अत्यंत लघु उद्योगों की परिभाषा वही रहेगी । संयंत्र और मशीनरी में लघु उद्योग सीमा से अधिक तथा 10 करोड़ रु. तक निवेश वाली इकाइयां मध्यम उद्यम मानी जाएंगी । प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र में केवल लघु उद्योग वित्तपोषण ही सम्मिलित किया जाएगा । बैंक मध्यम उद्यमों को ऋण उपलब्धि बढ़ाने के लिए नीति की रुपरेखा बनाएं, जो बैंकों की छोटे और मध्यम उद्यमों को ऋण नीति के समग्र ढांचे में भी सम्मिलित बेती बे ।
3.सभी बैंक छोटे और मध्यम उद्यम क्षेत्र को वित्तपोषण हेतु स्वयं के लक्ष्य निर्धारित करें ताकि पहले के वर्ष से अधिक संवितरण परिलक्षित बे सके तथा अत्यंत लघु इकाइयों और अपेक्षा से छोटी इकाइयों के लिए वित्तपोषण हेतु क्रमश: 40% और 20% की सीमा तक उप-लक्ष्य वही रहेंगे । बैंक नई परिभाषा के अनुसार 31 मार्च 2005 को छोटे और मध्यम उद्यम क्षेत्र को बकाया ऋण का ब्योरा एकत्र करने तथा अत्यंत लघु, छोटे और मध्यम उद्यमों को अलग-अलग दर्शाने की व्यवस्था करें ।
4.बैंक उधार की लागत की पारदर्शक रेटिंग प्रणाली जो उद्यम के क्रेडिट रेटिंग से सहलग्न बे, अपनाकर छोटे और मध्यम उद्यम क्षेत्र के लिए ऋणों की लागत को युक्तिसंगत बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाएं ।
सिडबी ने छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए उधार मूल्यांकन और रेटिंग साधन (सीएआरटी) साथ ही साथ जोखिम मूल्यांकन मॉडल (आरएएम) और जोखिम मूल्यांकन प्रस्तावों के लिए व्यापक रेटिंग मॉडल विकसित किये हैं । बैंक इन मॉडलों का उचित लाभ उठाकर अपनी लेन-देन लागत कम करने पर विचार कर सकते हैं ।
राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम ने बल ही में लघु उद्योग इकाइयों का प्रसिध्द क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा उनका क्रेडिट रेटिंग करवाने के लिए प्रोत्साहन देने हेतु एक क्रेडिट रेटिंग योजना आरंभ की है । बैंक उपलब्धता और जबं कहीं छोटे और मध्यम उद्यम उधारकर्ता इकाइयों को दिये गये रेटिंग के आधार पर उनकी ब्याज दरों के उचित पध्दति के अनुसार इन रेटिंग पर विचार कर सकते हैं ।
सिडबी, क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लि. के साथ मिलकर क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के शीघ्र गठन के लिए आवश्यक कदम उठा रही है ।
5.छोटे और मध्यम उद्यम क्षेत्र को औपचारिक ऋण की पहुंच बढ़ाने की दृष्टि से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी बैंक प्रति वर्ष अपनी प्रत्येक अर्धशहरी / शहरी शाखा में औसत कम से कम 5 नये छोटे / मध्यम उद्यमों को क्रेडिट कवर देने के सधन प्रयास करें ।
6.भारतीय रिज़र्व बैंक ने लघु उद्योग अग्रिमों के संबंध में दिनांक 1 जुलाई 2005 को एक विस्तफ्त मास्टर परिपत्र ग्राआऋवि.पीएलएनएफएस.बीसी.सं. 03/06.02.31/2005-06 जारी किया है जिसमें लघु उद्योग इकाइयों के ऋण आवेदन पत्रों के निपटान हेतु लिया जाने वाला समय, वह सीमा जबँ तक बैंक संपार्श्विक रहित ऋण प्रदान कर सकते हैं , इत्यादि के बारे में निर्दिष्ट किया गया है । उक्त दिशानिर्देशों के आधार पर बैंकों के बोड़ छोटे और मध्यम उद्यमी क्षेत्र को ऋणों के संबंध में वर्तमान नीतियों की तुलना में अधिक व्यापक तथा अधिक उदार नीतियाँ तैयार कर सकते हैं । बैंकों द्वारा इस प्रकार की नीतियाँ तैयार किए जाने तक लघु और मध्यम उद्यम इकाइयों को प्रदान किए जाने वाले ऋण के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के वर्तमान अनुदेश लागू रहेंगे ।
7.छोटे तथा मध्यम उद्यम क्षेत्र को सामूहिक आधार पर वित्तपोषण से लेन-देन लागत में कमी, जोखिम कम करने की संभावना बेती है तथा इससे मूलभूत ढाँचे में सुधार के लिए उचित स्तर उपलब्ध बेता है । अभी तक 388 समूबें की पहचान कर ली गई है । छोटे तथा मध्यम उद्यम क्षेत्र के वित्तपोषण हेतु समूह आधारित दृष्टिकोण से बेने वाले लाभों के मेनिज़र बैंक इसे एक महत्चपूर्ण क्षेत्र मान सकते हैं तथा छोटे और मध्यम उद्यम वित्तपोषण हेतु इसे अपनाने को बढ़ावा दे सकते हैं । भारतीय बैंक संघ के सहयोग से सिडबी प्रत्येक पहचान किए गए समूह में जोखिम पर सामान्य आँकड़े इकठ्ठे करने के लिए आवश्यक उपाय कर सकता है तथा छोटे (अत्यन्त छोटे सहित) उद्यमों के लिए सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित आवेदन पत्र, मूल्यांकन और निगरानी प्रणाली विकसित कर सकता है । यह आशा है कि इस उपाय से लेन-देन लागत में कमी आएगी तथा छोटे तथा अत्यन्त लघु उद्यमियों को समूह में ऋण उपलब्ध कराने में सुधार बेगा ।
सरकारी निजी भागीदारी के माध्यम से समूह में मूलभूत सुविधाओं के विकास हेतु वित्तपोषण विकल्पों को व्यापक बनाने के लिए सिडबी, जोखिम उठाने वालों के परामर्श से एक योजना तैयार करेगा ।
इस बीच, सिडबी ने चयनित समूबें में लघु उद्यम वित्तीय केन्द्र (एस ई एफ सी) स्थापित करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है । प्रत्येक समूह के जोखिम प्रोफाइल का अध्ययन व्यावसायिक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी द्वारा किया जाएगा तथा ऐसी जोखिम प्रोफाइल रिपोर्टें वाणिज्य बैंकों को उपलब्ध करा दी जाएंगी । जिले का प्रत्येक अग्रणी बैंक कम से कम एक समूह को अपनाने पर विचार कर सकता है ।
8. निगरानी और समीक्षा तंत्र
क)लघु उद्योग क्षेत्र को ऋण की समीक्षा के लिए वर्तमान संस्थागत व्यवस्था यथा रिज़र्व बैंक में स्थायी परामर्शदात्री समिति तथा बैंक के प्रधान कार्यालय स्तर पर कक्ष तथा महत्वपूर्ण क्षेत्रीय केन्द्र समग्र रूप से अत्यंत लघु क्षेत्र सहित छोटे तथा मध्यम उद्यम क्षेत्र को ऋण उपलब्ध कराए जाने की समय-समय पर समीक्षा करेंगें ।
ख)क्षेत्रीय कार्यालयों में रिज्!र्व बैंक, रुग्ण लघु उद्योग और मध्यम उद्यम इकाइयों के पुनर्वास तथा छोटे एवं मध्यम उद्यम के वित्तपोषण में हुई प्रगति की समीक्षा करने और क्षेत्र में सहज ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु तथा अन्य बैंकों/वित्तीय संस्थानों और राज्य सरकार के साथ बााधाओं, यदि कोई बें, के निवारण हेतु समन्वय करने के लिए अधिकार प्राप्त समितियों का गठन कर रब है जिनके अध्यक्ष रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक बेंगे । ये क्षेत्र स्तरीय समितियाँ समूह/जिला स्तर पर ऐसी ही समितियां गठित करने की आश्यकता का निर्णय लेगी ।
ग)व्यापक प्रसार और सुलभ पहुँच के लिए बैकों के बोड़ द्वारा तैयार किए गए नीति संबंधी दिशा-निर्देश तथा रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेश/दिशा-निर्देश संबंधित बैंकों के वेब साइट और सिडबी के वब साइट पर प्रदर्शित किए जाएं । बैंक छोटे उद्यमियों को उनके द्वारा प्रदान की जा रही सभी सुविधाओं/योजनाओं को उनकी प्रत्येक शाखा में भी मुख्य रूप से प्रदर्शित करें ।
9.आपके निदेशक मंडल द्वारा तैयार किए जानेवाले उपर्युक्त अनुदेशें और दिशा-निर्देशों की सूचना तत्काल कार्यान्वयन हेतु आपके नियंत्रक कार्यालय और शाखाओं को दे दी जाए । केंद्रीय वित्त मंत्री मबेदय द्वारा घोषित "छोटे और मध्यम उद्यमों को ऋण उपलब्ध कराने के लिए नीतिगत पैकेज" की प्रतिलिपि सूचनार्थ संलग्न है ।
10.बैंक के बोड़ स्व-निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति तथा छोटे और मध्यम उद्यम खातों के पुनर्वास और पुनर्गठन में हुई प्रगति की समीक्षा त्रैमासिक आधार पर करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस क्षेत्र को बैंकों के उच्चतम मंच पर आवश्यक महत्व दिया जा रब है ।
11.वफ्पया प्राप्ति - सूचना दें ।
भवदीय
(जी. श्रीनिवासन)
मुख्य मबप्रबंधक