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79221987

मुचुअल बेनीफिट फायनांसियल कंपनियों तथा

भारिबैं/2006-07/226
गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) कंपरि. सं. 88/03.02.21/2006-07

4 जनवरी 2007

मुचुअल बेनीफिट फायनांसियल कंपनियाँ(निधि) तथा
मुचुअल बेनीफिट कंपनियाँ(संभावित निधि)

प्रिय महोदय

मुचुअल बेनीफिट फायनांसियल कंपनियों तथा
मुचुअल बेनीफिट कंपनियों द्वारा विवरणियों का प्रस्तुतीकरण

जैसाकि आपको विदित है मुचुअल बेनीफिट फायनांसियल कंपनियों(निधि) तथा मुचुअल बेनीफिट कंपनियों(संभावित निधि) के विनियमन का पूरा कार्य कंपनी कार्य मंत्रालय ने संभाल लिया है। मुचुअल बेनीफिट फायनांसियल कंपनियों तथा मुचुअल बेनीफिट कंपनियों द्वारा वार्षिक विवरणियों के प्रस्तुतीकरण की स्थिति की इस विभाग द्वारा समीक्षा की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि धगैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ सार्वजनिक जमा स्वीकरण (रिज़र्व बैंक़) निदेश,1998 के पैरा 8 के अनुसार प्रस्तुत किए जाने के लिए अपेक्षित प्रथम अनुसूची, लेखापरीक्षित तुलन पत्र एवं लाभ-हानि लेखे, लेखापरीक्षक का प्रमाणपत्र और अन्य ब्योरे से संबंधित वार्षिक विवरणियाँ मंगाने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, मुचुअल बेनीफिट कंपनी(ंसंभावित निधि) द्वारा निधि के रूप में मान्यता देने के लिए प्रस्तुत आवेदन पत्र को कंपनी कार्य मंत्रालय द्वारा रद्द किए जाने पर उत्त निदेश के गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर लागू प्रावधान अमल में आ जाएंगे।

2. 4 जनवरी 2007 की संशोधकारी अधिसूचना सं. गैबैंपवि. 191 /मुमप्र(पीके)/2007और 31 जनवरी 1998 की अद्यतन की गई अधिसूचना सं. डीएफसी. 118/डीजी(एसपीटी)-98 की प्रतिलिपि आपकी सूचना एवं ध्यानपूर्वक अनुपालन के लिए संलग्न है।

3. इसकी पावती आप भारतीय रिज़र्व बैंक, गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को भेजें जिसके अधिकार क्षेत्र में आपकी कंपनी का पंजीकृत कार्यालय आता हो।

भवदीय

(पी. कृष्णमूर्ति)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

सं. यथोत्त


भारतीय रिज़र्व बैंक
गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग
केद्रीय कार्यालय
केंद्र - 1, विश्व व्यापार केंद्र
कफ परेड, कोलाबा
मुंबई - 400005

अधिसूचना सं. गैबैंपवि. 191 /मुमप्र(पीके)-2007, दिनांक 4 जनवरी 2007

भारतीय रिज़र्व बैंक , इस बात से संतुष्ट होने पर कि जनता के हित में और वित्तीय प्रणाली को देश के हित में विनियमित करने हेतु बैंक को समर्थ बनाने के लिए गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ सार्वजनिक जमा स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 को संशोधित करना आवश्यक है, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45-ञ, 45-ञक , 45-“ तथा 45-" द्वारा प्रदत्त शत्तियों का प्रयोग करते हुए और इस संबंध में उसे सक्षम बनाने वाली सभी शत्तियों का प्रयोग करते हुए निदेश देता है कि 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं. डीएफसी. 118/डीजी(एसपीटी)-98 में अंतर्विष्ट निदेश तत्काल प्रभाव से निम्नवत संशोधित होंगे अर्थात-

- पैराग्राफ 3 का उप पैराग्राफ (2) निम्नलिखित पैराग्राफ से प्रतिस्थापित होगा:

"उत्त निदेश के पैराग्राफ 4 में अंतर्विष्ट प्रावधान, उप पैराग्राफ (7), (15) तथा (16) को छोड़कर एवं पेराग्राफ 5, 6 एवं 8 मुचुअल बेनीफिट फायनांसियल कंपनी एवं मुचुअल बेनीफिट कंपनी पर लागू नहीं हेंगे।"

 

(पी. कृष्णमूर्ति)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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