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प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों के लिए पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचा

भारिबैं/2019-20/135
डीओआर (पीसीबी). बीपीडी. परि. सं. 9/12.05.001/2019-20

जनवरी 6, 2020

मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

महोदया / प्रिय महोदय

प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों के लिए पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचा

कृपया उपर्युक्त विषय पर दिनांक 27 नवंबर 2014 के हमारे परिपत्र सबैंपवि.बीपीडी.(पीसीबी).परि.सं.3/12.05.001/2014-15, जिसमें शहरी सहकारी बैंकों के लिए पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचा सन्निहित था, का संदर्भ लें। इस संबंध में हुए अनुभव को देखते हुए, शहरी सहकारी बैंकों में वांछित सुधार लाने तथा वित्तीय तनाव का अनुभव कर रहे बैंकों के जल्द समाधान के उद्देश्य से पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए इसमें युक्ति संगत परिवर्तन लाने का निर्णय लिया गया है। पुनरीक्षित पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे के तहत रिज़र्व बैंक शहरी सहकारी बैंकों के परिसंपत्ति की गुणवत्ता, लाभप्रदता और पूंजी / नेट वर्थ जैसे मापदंडों की निगरानी करना जारी रखेगा। पुनरीक्षित पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

2. निर्दिष्ट सीमाएँ / ट्रिगर्स तथा पर्यवेक्षी कार्रवाई

पुनरीक्षित पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे में निर्दिष्ट वित्तीय मानदंडों / संकेतकों से संबन्धित निर्दिष्ट सीमाएँ / ट्रिगर्स के उल्लंघन होने पर शहरी सहकारी बैंक द्वारा स्व-सुधारात्मक कार्रवाई शुरू करने तथा/अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा पर्यवेक्षी कार्रवाई करने का प्रावधान किया गया है। विनिर्दिष्ट निर्धारित सीमाओ के उल्लंघन होने पर निम्नलिखित अनुच्छेदों में वर्णित कार्रवाई की जा सकती है:

2.1 परिसंपत्ति की गुणवत्ता: किसी शहरी सहकारी बैंक की निवल गैर-निष्पादक आस्तियाँ उसके निवल उधारों के 6 प्रतिशत से अधिक होने पर उसे पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे के अंतर्गत लाया जा सकता है। तनाव की गंभीरता के आधार पर रिज़र्व बैंक निम्नलिखित में से कोई एक या अधिक कार्रवाई कर सकता है:

अ) शहरी सहकारी बैंक को उनके निवल गैर-निष्पादक आस्तियों को 6 प्रतिशत से नीचे लाने हेतु संचालक मण्डल द्वारा अनुमोदित कार्ययोजना प्रस्तुत करने के लिए कहना

आ) शहरी सहकारी बैंक के संचालक मण्डल को कार्ययोजना के अंतर्गत हुई प्रगति की तिमाही/मासिक आधार पर समीक्षा करने के लिए कहना

इ) शहरी सहकारी बैंक को समीक्षोपरांत प्रगति रिपोर्ट भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करने के लिए कहना

ई) रिजर्व बैंक की पूर्वानुमति के बिना लाभांश/दान/चन्दा की घोषणा/भुगतान पर प्रतिबंध

उ) अधिक एनपीए/डिफाल्ट वाले क्षेत्रों/खंडों को ऋण सुविधाएँ स्वीकृत/नवीनीकरण करने में कटौती

ऊ) नए ऋणों/उधारों हेतु ऋण जोखिम सीमाओं में कमी

ए) 100% से अधिक रिस्क-वेट रखने वाले ऋणों/उधारों पर प्रतिबंध

2.2 लाभप्रदता: किसी शहरी सहकारी बैंक को लगातार दो वित्तीय वर्षों में हानि होने अथवा उसके तुलन पत्र पर संचित हानि होने पर उसे पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे के अंतर्गत लाया जा सकता है। तनाव की गंभीरता के आधार पर रिज़र्व बैंक निम्नलिखित में से कोई एक या अधिक कार्रवाई कर सकता है:

अ) शहरी सहकारी बैंक को लाभप्रदता बहाल करने तथा/अथवा संचित हानि को समाप्त करने हेतु संचालक मण्डल द्वारा अनुमोदित कार्ययोजना प्रस्तुत करने के लिए कहना

आ) शहरी सहकारी बैंक के संचालक मण्डल को कार्ययोजना के अंतर्गत दुई प्रगति की तिमाही आधार पर (या और अधिक बार) समीक्षा करने के लिए कहना

इ) लाभांश/दान/चन्दा की घोषणा/भुगतान पर प्रतिबंध

ई) रिजर्व बैंक की पूर्वानुमति के बिना एक निर्दिष्ट सीमा से अधिक पूंजीगत व्यय करने पर प्रतिबंध

उ) ब्याज तथा परिचालन/प्रशासनिक व्यय में कमी करने के उपाय

2.3 पूंजी से रिस्क-वेटेड परिसंपत्तियों का अनुपात (सीआरएआर): किसी शहरी सहकारी बैंक का सीआरएआर 9 प्रतिशत से कम होने पर उसे पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे के अंतर्गत लाया जा सकता है। तनाव की गंभीरता के आधार पर रिज़र्व बैंक निम्नलिखित में से कोई एक या अधिक कार्रवाई कर सकता है:

अ) शहरी सहकारी बैंक को उसके सीआरएआर को 12 महीनों के अंदर 9% या उससे अधिक करने हेतु संचालक मण्डल द्वारा अनुमोदित कार्ययोजना प्रस्तुत करने के लिए कहना

आ) शहरी सहकारी बैंक के संचालक मण्डल को कार्ययोजना के अंतर्गत दुई प्रगति की तिमाही/मासिक आधार पर समीक्षा करने तथा समीक्षोपरांत प्रगति रिपोर्ट भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करने के लिए कहना

इ) शहरी सहकारी बैंक को किसी दूसरे बैंक में विलय करने अथवा उसे एक ऋण समिति के रूप में परिवर्तित करने हेतु संचालक मण्डल द्वारा अनुमोदित प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए कहना

ई) लाभांश/दान/चन्दा की घोषणा/भुगतान पर प्रतिबंध

उ) रिजर्व बैंक की पूर्वानुमति के बिना एक निर्दिष्ट सीमा से अधिक पूंजीगत व्यय करने पर प्रतिबंध

ऊ) ब्याज तथा परिचालन/प्रशासनिक व्यय में कमी करने के उपाय

ए) नए ऋणों/उधारों हेतु ऋण जोखिम सीमाओं में कमी

ऐ) निर्दिष्ट सीमा से अधिक रिस्क-वेट रखने वाले ऋणों/उधारों पर प्रतिबंध

ओ) तुलन पत्र के आकार में वृद्धि पर प्रतिबंध

औ) अल्पकालिक तरलता असंतुलन को ठीक करने के सिवाय अन्य कर्जों पर प्रतिबंध

क) मियादी जमाओं / राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्रों / किसान विकास पत्रों / बीमा पॉलिसियों की प्रतिभूति सुरक्षा के एवज में ऋणों के सिवाय नए ऋणों/उधारों की स्वीकृति/वितरण पर प्रतिबंध

ख) जमाओं के आकार में वृद्धि पर प्रतिबंध

2.4 जब शहरी सहकारी बैंक द्वारा सामान्य कामकाज को जारी रखने को जमाकर्ताओं / आम जनता के हित में नही समझा जाएगा तो रिज़र्व बैंक द्वारा बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 35-ए के अंतर्गत सर्व-समावेशी निदेश जारी करने तथा बैंकिंग लाइसेन्स को निरस्त करने हेतु कारण बताओ नोटिस जारी करने जैसी कार्रवाइयों पर विचार किया जा सकता है।

3. पुनरीक्षित पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचा का कार्यान्वयन

3.1 शहरी सहकारी बैंकों के खिलाफ पर्यवेक्षी कार्रवाई सामान्यतया सांविधिक निरीक्षण के दौरान निर्धारित उसकी वित्तीय स्थिति के आधार पर की जाएगी। तथापि, उनकी रिपोर्ट की गई / लेखा परीक्षित वित्तीय स्थिति के आधार पर भी कार्रवाई की जा सकती है जिसकी बाद में, यदि आवश्यक हो तो, सांविधिक निरीक्षण के निष्कर्षों के आधार पर समीक्षा की जा सकती है।

3.2 हालांकि पर्यवेक्षी कार्रवाई मुख्यतः पुनरीक्षित पर्यवेक्षी कार्रवाई ढ़ाचे में निहित मानदंडों पर आधारित होगी, किसी अन्य प्रमुख संकेतक/पैरामीटर में तनाव परिलक्षित होने पर अथवा गवर्नेंस संबन्धित गंभीर मामलों में रिजर्व बैंक द्वारा समुचित पर्यवेक्षी कार्रवाई करने पर कोई रोक नहीं होगी। मामला विशेष के गुणदोषों के आधार पर रिज़र्व बैंक द्वारा इस परिपत्र में इंगित कार्रवाईयों के अतिरिक्त कोई अन्य पर्यवेक्षी कार्रवाई करने पर भी कोई रोक नहीं होगी।

3.3 संशोधित पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा। पूर्ववर्ती पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे के तहत पहले की जा चुकी पर्यवेक्षी कार्रवाईयों की समीक्षा की जाएगी और संबंधित शहरी सहकारी बैंक को संशोधित निर्देश, यदि कोई हो तो, जारी किया जाएगा।

4. इस परिपत्र की एक प्रति अगली बैठक में आपके बैंक के निदेशक मंडल के समक्ष रखी जाए और इसकी पुष्टि भारतीय रिजर्व बैंक के पर्यवेक्षण विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्रेषित की जाए।

भवदीय,

(नीरज निगम)
मुख्य महाप्रबंधक

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