बैंककारी विधि (संशोधन) अधिनियम 2012 – बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 18 और 24 में संशोधन – गैर-अनुसूचित शहरी सहकारी बैंकों के लिए आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) और शहरी सहकारी बैंकों के लिए सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंककारी विधि (संशोधन) अधिनियम 2012 – बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 18 और 24 में संशोधन – गैर-अनुसूचित शहरी सहकारी बैंकों के लिए आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) और शहरी सहकारी बैंकों के लिए सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) का अनुरक्षण
भारिबैं/2013-14/628 जून 5, 2014 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया/महोदय बैंककारी विधि (संशोधन) अधिनियम 2012 – बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 बैंककारी विधि (संशोधन) अधिनियम, 2012 बनने के क्रम में भारतीय रिज़र्व बैंक को गैर-अनुसूचित शहरी सहकारी बैंकों के लिए सीआरआर और एसएलआर के प्रतिशत के साथ-साथ सहकारी बैंकों के लिए एसएलआर संबंधी फार्म तथा उनके द्वारा एसएलआर रखने की रीति निर्धारित करने के लिए शक्तियां प्रदान की गई हैं। इसके आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि गैर-अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों के लिए सीआरआर अनुपात को उनकी कुल मांग और मीयादी देयताओं (डीटीएल) के 3.00 प्रतिशत से 100 आधार अंक बढ़ाकर 4.00 प्रतिशत कर दिया जाए। ये अंक अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों के मूल्य के बराबर होंगे तथा 12 जुलाई 2014 को आरंभ होने वाले पखवाड़े से लागू होंगे। 2. साथ ही, यह निर्णय लिया गया है कि सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों के लिए एसएलआर को उनकी कुल मांग और देयताओं के 25.00 प्रतिशत से 250 आधार अंक घटाकर 22.50 प्रतिशत कर दिया जाए। ये अंक 12 जुलाई 2014 के आरंभ होने वाले पखवाड़े से लागू होंगे। ऐसे प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक जो तीन रूपों में अर्थात् नकद, स्वर्ण और अनुमोदित प्रतिभूतियों में एसएलआर नहीं रखते हैं, के लिए अधिसूचना में बताए गए अनुदेशों के पालन के लिए 31 मार्च 2015 तक समय दिया गया है। इस अंतरिम अवधि में प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक दिनांक 22 अक्तूबर 2001 के परिपत्र सं. शबैंवि.बीआर.परि.19/16.26.00/2001-02 तथा 26 नवंबर 2008 के परिपत्र शबैंवि . (पीसीबी) . केंका. बीपीडी. परि. 28/16.26.00/2008-09 में बताए अनुसार एसएलआर बनाए रख सकते हैं। तथापि, 31 मार्च 2015 तक की अंतरिम अवधि में सार्वजनिक क्षेत्र में रखी गई मीयादी जमा राशि, एसएलआर में गिने जाने के लिए पात्र होंगी। 3. यह नोट किया जाए कि राज्य सहकारी बैंकों / जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों में रखी गई शेष राशि तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास रखी मीयादी जमाराशि 1 अप्रैल 2015 से एसएलआर में गिने जाने के लिए पात्र नहीं होंगी। 4. दिनांक 5 जून 2014 के शबैंवि. बीपीडी. (पीसीबी) अधि सं.1/16.26.000/2013-14 तथा 5 जून 2014 के शबैंवि.बीपडी.(पीसीबी).अधि.सं.2/16.26.000/2013-14 की संबंधित अधिसूचनाओं की प्रतिलिपियां संलग्न हैं। भवदीय, (ए.के.बेरा) संलग्नक: यथोक्त शबैंवि.बीपीडी(पीसीबी).अधि. सं. 1/16.26.000/2013-14 जून 5, 2014 अधिसूचना बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 56 के साथ पठित धारा 18 की उपधारा (1) के तहत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक भारत में मौद्रिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एतद्द्वारा यह अधिसूचित करता है कि 12 जुलाई 2014 से आरंभ होनेवाले पखवाड़े से प्रत्येक प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक चाहे अनुसूचित सहकारी बैंक हो या अन्य, द्वारा बनाये रखे जाने वाले आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) उनकी निवल मांग और मीयादी देयताओं का 4 प्रतिशत होगा। (एन.एस.विश्वनाथन) शबैंवि.बीपीडी(पीसीबी).अधि. सं. 2/16.26.000/2013-14 जून 5, 2014 अधिसूचना बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 24 की उप धारा (2क) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्द्वारा यह निर्दिष्ट करता है कि प्रत्येक प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक भारत में नीचे दिये गये विवरण के अनुसार अस्तियां रखना जारी रखेगा जिनका मूल्य भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट की गयी मूल्यांकन विधि के अनुसार 12 जुलाई 2014 से प्रारंभ होने वाले दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार को किसी भी दिन कारोबार की समप्ति पर भारत में कुल निवल मांग और मीयादी देयताओं के 22.5 प्रतिशत से कम नहीं होगा। (क) नकदी, अथवा 2. उपर्युक्त के अलावा किसी बात के होते हुए भी : (i) बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 56 के साथ पठित धारा 18 की उपधारा के अंतर्गत किसी प्राथमिक सहकारी बैंक द्वारा संबद्ध जिले के केंद्रीय सहकारी बैंक में या संबद्ध राज्य के राज्य सहकारी बैंक में रखे जाने के लिए अपेक्षित अति शेष, जो भार रहित शेष राशि हो; अथवा (ii) किसी प्राथमिक सहकारी बैंक द्वारा भारतीय स्टेट बैंक या समनुषंगी बैंक या तत्स्थानी नया बैंक या आईडीबीआई बैंक लिमिटेड में रखी गई भार रहित मीयादी जमा राशि ; उपर्युक्त मामलों में भी इस अधिसूचना में बताए गए प्रतिशत की गणना के प्रयोजनार्थ भार रहित मीयादी जमा रशि को 31 मार्च 2015 तक आस्यिों के रूप में माना जाएगा। स्पष्टीकरणः क. किसी प्राथमिक सहकारी बैंक के "भार रहित निवेश" में अग्रिम अथवा किसी ऋण व्यवस्था के लिए किसी अन्य संस्था के पास रखी गयी उपर्युक्त अनुमोदित प्रतिभूतियों में निवेश उस सीमा तक शामिल होगा जिस सीमा तक उन प्रतिभूतियों के बदले कोई आहरण न किया गया हो । ख. "मीयादी जमा" का अर्थ बैंक द्वारा एक विशिष्ट अवधि के लिए स्वीकार की गई वह जमा राशि है जो उस निर्धारित अवधि की समाप्ति पर आहरणीय होगी। इसमें आवर्ती/ संचयी/ वार्षिकी/ पुनर्निवेश जमाराशियां, नकदी प्रमाणपत्र और ऐसी ही जमाराशियां शामिल हैं। ग. उपर्युक्त प्रयोजन के लिए रशि की गणना हेतु निम्नलिखित को भारत में रखी गयी नकदी के रूप में माना जाएगा: (i) किसी प्राथमिक सहकारी बैंक, जो अनुसूचित हो, द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 42 के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक के पास रखे जाने के लिए अपेक्षित शेष से रखा गया अधिक शेष; तथा (ii) बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 56 के साथ पठित धारा 18 के अंतर्गत किसी प्राथमिक सहकारी बैंक, जो अनुसूचित न हो, द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक के पास रखे जाने के लिए अपेक्षित शेष से रखा गया अधिक शेष; (iii) बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 56 के साथ पठित धारा 18 की उप धारा (1) में यथा परिभाषित ''चालू खातों में निवल शेष'' उक्त धारा के अंतर्गत रखे जाने वाले अपेक्षित शेष से रखा गया अधिक शेष। (एन.एस.विश्वनाथन) |