RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S1

Notification Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

79145656

मौद्रिक नीति 2013-14 की तीसरी तिमाही समीक्षा

वर्तमान और उभरती समष्टि आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि :

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ़) के अंतर्गत नीतिगत रेपो रेट में तत्काल प्रभाव से 25 आधार अंकों की वृद्धि कर उसे 7.75 प्रतिशत से 8.0 प्रतिशत कर दिया जाए ; और

  • अनुसूचित बैंकों के आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) को निवल मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) के 4.0 प्रतिशत पर बनाए रखा जाए।

परिणामत: एलएएफ के तहत रिवर्स रिपो रेट तत्काल प्रभाव से 7.0 प्रतिशत पर एडजस्ट हो गया है और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) रेट एवं बैंक रेट 9.0 प्रतिशत पर।

आकलन

2. दिसंबर 2013 की मध्य तिमाही समीक्षा के समय से, मजबूत होती अमेरिकी अर्थव्यवस्था की अगुवाई में वैश्विक समुत्थान आगे बढ़ रहा है, पर यूरो क्षेत्र व जापान में समुत्थान अभी भी असमान और धीमा है और चीन में मंदी की शुरुआत के आभास मिल रहे हैं। बाह्य मांग के मज़बूत होते हुए भी, कुछ उभरती अर्थव्यवस्थाओं की संभावनाओं को अनिश्चितता ने घेर रखा है और घरेलू कमज़ोरियां गहरा रही हैं। वित्तीय बाजार का संक्रमण एक स्पष्ट संभावित जोख़िम है।

3. घरेलू स्तर पर 2013-14 की तीसरी तिमाही में वृद्धि की गति, रबी की बुवाई में बढ़िया उछाल के बावजूद, कुछ लड़खड़ा सकती है। औद्योगिक गतिविधि कमज़ोर बनी हुई है जिसका मुख्य कारण विनिर्माण है जिसमें तीसरी तिमाही में लगातार दूसरे महीने गिरावट आई है। खपत माँग में कमजोरी जारी है और पूँजीगत वस्तु उत्पादन में फीके प्रदर्शन से निवेश माँग के रुके होने का संकेत मिलता है। तीसरी और चौथी तिमाही में राजकोषीय कसाव के फलस्वरूप समग्र मांग में कमजोरी बढ़ सकती है। सेवा क्षेत्र के अग्रणी संकेतक बता रहे हैं कि परिवहन और संचार के क्षेत्रों में कुछ तेजी को छोड़कर परिदृश्य सुस्त है।

4. सब्जियों और फलों की कीमतों में प्रत्याशित अवस्फीति के कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) द्वारा मापी गई खुदरा मुद्रास्फीति काफी नीचे आने के बावजूद दुहरे अंकों के करीब बनी हुई है। यदि खाद्य और ईंधन को छोड़ दें तब भी मुद्रास्फीति अधिक बनी हुई है, विशेषत: सेवा क्षेत्र में जो मजदूरी/वेतन के दबावों और दूसरे दौर के अन्य प्रभावों का सूचक है। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के अनुसार सब्जियों और फलों की कीमतों में तेज गिरावट से शीर्ष (हेडलाइन) मुद्रास्फीति चार महीने में न्यूनतम स्तर पर आ गई। तथापि रसायनों, धातु से इतर खनिजों और कागज के उत्पादों की कीमतों में तेजी आने के कारण खाद्येतर विनिर्मित उत्पाद (एनएफएमपी) मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़ी। सेवाओं और प्रमुख मध्यस्थों की बढ़ती कीमतों व बढ़ते बैंक ऋण की पृष्ठभूमि में, आदेश बही (ऑर्डर बुक्स) में बढ़ोतरी, क्षमता उपयोग में वृद्धि तथा बिक्री की तुलना में कच्चे माल-सूची और तैयार माल में कमी से यह पता लगता है कि अभी भी समग्र मुद्रास्फीति को बढ़ाने में कुल मांग दबाव कार्य कर रहे हैं। बावजूद इसके कि अर्थव्यवस्था कमज़ोर है और चौथी तिमाही में अधिक राजकोषीय कसाव की संभावना है, मुद्रास्फीति के प्रति इन संभावित जोखिमों को दृढ़ता से दूर किए जाने की जरुरत है ताकि मुद्रास्फीतीय प्रत्याशाओं को स्थिर किया जा सके।

5. मध्य-दिसंबर अग्रिम कर के रूप में निकल जाने वाली राशि के कारण चलनिधि स्थितियां प्रभावित हुईं। एमएसएफ के जरिये होने वाली उगाही दिसंबर के पूर्वार्ध के औसत 27 बिलियन से बढ़कर उत्तरार्ध में 250 बिलियन हो गई और एलएएफ ओवरनाइट रिपो रेट स्तर के नीचे चल रही भारित औसत (वेटेड एवरेज) कॉल रेट बढ़कर 8.4 प्रतिशत हो गई। यद्यपि जनवरी 2014 के पहले सप्ताह में सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर रिडेम्पशन के कारण चलनिधि स्थितियां सुलभ हुई थीं, पर उसके बाद रिज़र्व बैंक के पास सरकारी कैश बैलेंस के बढ़ने के कारण स्थियां तंग होने लगीं। इन अवरोधी दबावों में चलनिधि स्थितियों को सामान्य करने के लिए, एक दिवसीय, 7-दिवसीय और 14-दिवसीय रिपो तथा निर्यात ऋण पुनर्वित्त के अंतर्गत कुल 1.4 ट्रिलियन की सामान्य चलनिधि व्यवस्था के अलावा रिज़र्व बैंक ने 10 जनवरी को 100 बिलियन के 7-दिवसीय सावधि रिपो और उसके बाद 17 और 21 जनवरी को कुल 300 बिलियन के 28-दिवसीय सावधि रिपो संचालित किए। सामान्य ऋण वृद्धि को बनाए रखने की जरूरत को देखते हुए और इस आकलन पर कि कुछ समय तक बाज़ार चलनिधि के तंग रहने की संभावना है और 22 जनवरी को 95 बिलियन के ओपन मार्केट ऑपरेशन्स किए गए ताकि अधिक टिकाऊ किस्म की चलनिधि (लिक्विडिटी) उपलब्ध हो। इन कार्रवाइयों से भारित औसत (वेटेड एवरेज) कॉल रेट कुछ नरम पड़ी है। अवरोधी व संरचनात्मक दबावों को प्रतिसंतुलित करने के लिए रिज़र्व बैंक चलनिधि का सक्रिय प्रबंधन कर रहा है ताकि अर्थव्यवस्था के आपूर्ति पक्ष को पर्याप्त ऋण प्रवाह मिल सके।

6. वर्ष-दर-वर्ष आधार पर दिसंबर में लगातार छठे महीने पण्य निर्यात के बढ़ने और तेल से इतर आयात में लगातार कमी आने से अप्रैल-दिसंबर 2013 की अवधि में, व्यापार घाटे में एक वर्ष पहले की अवधि की तुलना में 25 प्रतिशत कमी आई है। तदनुसार ऐसी प्रत्याशा है कि चालू खाता घाटा (सीएडी), जो 2012-13 में जीडीपी का 4.8 प्रतिशत था, 2013-14 में 2.5 प्रतिशत से कम रहेगा। हाल में इक्विटी व ऋण दोनों प्रकार के पोर्टफोलिओ प्रवाह की फिर से शुरूआत के साथ विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) ब बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) में तेजी से, चालू खाता घाटे (सीएडी) को आसानी से वित्तपोषित (फाइनैंस) करने में सहायता मिलेगी। सितंबर के बाद से विदेशी मुद्रा भंडार (रिज़र्व्स) फिर से बढ़ाए गए हैं और तेल कंपनियां, अपने स्वैप के देय होने पर, बाज़ार में विदेशी मुद्रा खरीद रही हैं। 2013 की गर्मियों की तुलना में बाह्य क्षेत्र की काफी अधिक आरामदायक स्थिति के बावजूद, मौद्रिक व राजकोषीय दोनों प्राधिकारियों को समष्टि आर्थिक स्थिरता के अपने प्रयास जारी रखने होंगे।

नीतिगत रुख़ और औचित्य

7. 18 दिसंबर 2013 की मध्य तिमाही समीक्षा में, नीतिगत निर्णय यह था कि कोई कार्रवाई करने से पहले और अधिक आँकड़ों की प्रतीक्षा की जाए। उसके बाद खाद्य, विशेषत: सब्जियों की कीमतों में भारी कमी से, हेडलाइन मुद्रास्फीति काफी घटी है। इनमें से कुछ प्रभाव अगले दौर के आँकड़ों के आने के बाद सामने आएंगे। तथापि, खाद्य व ईंधन को छोड़कर देखें तो, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति सपाट रही है तथा खाद्य व ईंधन को छोड़कर थोक मूल्य सूचकांक (डबल्यूपीआई) मुद्रास्फीति बढ़ी है।

8. डॉ उर्जित पटेल समिति ने अवस्फीति के लिए एक “ग्लाइड पाथ” बताया है जिसमें जनवरी 2015 तक 8 प्रतिशत से कम उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति (सीपीआई इनफ्लेशन) और जनवरी 2016 तक 6 प्रतिशत से कम सीपीआई मुद्रास्फीति का लक्ष्य तय किया गया है। इस समीक्षा के साथ जारी 2013-14 की तीसरी तिमाही की समष्टि आर्थिक और मौद्रिक गतिविधियों की समीक्षा में उल्लिखित आधारस्तरीय पूर्वानुमान (बेसलाइन प्रोजेक्शन) के अनुसार आगामी 12-महीनों की अवधि में और वर्तमान नीतिगत रुख से, 8 प्रतिशत के केंद्रीय पूर्वानुमान के ऊपर जाने का अंदेशा है। नीतिगत दर में वृद्धि न केवल मध्य-तिमाही समीक्षा में दिए गए मार्गदर्शन के अनुरूप होगी बल्कि अर्थव्यवस्था को उस अवस्फीतीय पथ पर दृढ़ता से स्थापित करेगी जिसकी अनुशंसा (रिकमेंडेशन) की गई है। आगे की नीतिगत कार्रवाइयों की व्यापकता और दिशा आँकड़ों पर निर्भर होगी, तथापि अवस्फीतीय प्रक्रिया यदि इस बेसलाइन प्रोजेक्शन के अनुसार आगे बढ़ती है, तो इस मोड़ पर निकट भविष्य में और अधिक नीतिगत कसाव की उम्मीद नहीं है।

01

9. यदि नीतिगत कार्रवाइयों से वांछित मुद्रास्फीति परिणाम निकलते हैं, तो वास्तविक जीडीपी वृद्धि के 2013-14 के 5 प्रतिशत से कुछ कम के स्तर से बढ़कर 2014-15 में 5 से 6 प्रतिशत तक जाने की संभावना है, जिसका केंद्रीय अनुमान 5.5 प्रतिशत के आस-पास संतुलित रहेगा। बाहरी मांग से निर्यात को सहयोग मिलने वाले वातावरण के साथ निवेश में वृद्धि इस पूर्वानुमान को और ऊँचा ले जा सकती है।

02

10. अब से, डॉ उर्जित पटेल समिति की अनुशंसा को देखते हुए मौद्रिक नीति समीक्षाएं सामान्यत: दो महीनों के चक्र पर, प्रमुख समष्टि आर्थिक व वित्तीय आँकड़ों की उपलब्धता के अनुरूप की जाएंगी। तदनुसार अगली नीतिगत समीक्षा मंगलवार 1 अप्रैल 2014 को की जाएगी।

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?