दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए समय-सीमा - आरबीआई - Reserve Bank of India
दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए समय-सीमा
भा.रि.बैं./2016-17/299 5 मई, 2017 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/ मुख्य कार्यकारी अधिकारी महोदया/महोदय, दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए समय-सीमा कृपया “अर्थव्यवस्था में दबावग्रस्त आस्तियों को सशक्त करने के लिए ढांचा – संयुक्त ऋणदाता फोरम (जेएलएफ) तथा सुधारात्मक कार्रवाई योजना (सीएपी) के संबंध में दिशानिर्देश” पर 26 फरवरी 2014 का परिपत्र बैंपविवि.सं.बीपी.बीसी.97/21.04.132/2013-14 और इस संबंध में बाद के परिपत्र/ संशोधन देखें। 2. ढांचे का उद्देश्य दबावग्रस्त आस्तियों की आरंभिक स्तर पर पहचान करना और सुधारात्मक कार्रवाई योजना (सीएपी) को समय पर लागू करना है, ताकि दबावग्रस्त आस्तियों के आर्थिक मूल्य को सुरक्षित रखा जा सके। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सीएपी को शीघ्रता से अंतिम रूप देकर तैयार किया गया है, ढांचे में ऐसी विभिन्न समय-सीमाओं को विनिर्दिष्ट किया गया है, जिनके भीतर उधारदाता को सीएपी तय करना है और उसे लागू करना है। जहां उधारदाता ढांचे के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करता है तो इसके लिए ढांचे में आस्ति वर्गीकरण और त्वरित प्रावधान के रूप में दंडात्मक प्रावधान भी है। उक्त के बावजूद, सीएपी को अंतिम रूप देने और उसे लागू करने में विलम्ब देखा गया है, जिसके परिणामस्वरूप बैंकिंग प्रणाली में दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान में विलम्ब होता है। 3. यह एतदद्वारा स्पष्ट किया जाता है कि सीएपी में परियोजना ऋण की लचीली संरचना, कार्यनीतिक ऋण पुनर्रचना के अंतर्गत स्वामित्व में परिवर्तन, दबावग्रस्त आस्तियों की संवहनीय संरचना के लिए योजना (एस4ए), इत्यादि के द्वारा समाधान को भी शामिल किया जा सकता है। 4. इस संदर्भ में, यह दोहराया जाता है कि उधारदाता सीएपी को अंतिम रूप देने और उसे लागू करने के लिए ढांचे में निर्धारित समय-सीमाओं का सावधानीपूर्वक अनुपालन करें। समय पर निर्णय लेना सुविधाजनक बनाने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि आगे से, जेएलएफ में कम-से-कम 60 प्रतिशत लेनदारों द्वारा मूल्य के आधार पर और 50 प्रतिशत लेनदारों द्वारा संख्या के आधार पर लिए गए निर्णय को सीएपी को निर्धारित करने का आधार माना जाएगा, और यह ढांचे में उपलब्ध निकासी (स्थानापन्न द्वारा) विकल्प के अधीन सभी उधारदाताओं के लिए बाध्यकारी होगा। उधारदाता यह सुनिश्चित करेंगे कि जेएलएफ में उनके प्रतिनिधियों को उपयुक्त अधिदेश प्राप्त हैं, और ऋणदाताओं द्वारा जेएलएफ में लिए गए निर्णयों को निर्धारित समय-सीमा के भीतर लागू किया जाता है। 5. यह नोट किया जाए कि (i) जेएलएफ के समक्ष अंतिम प्रस्ताव पर मतदान के समय भाग लेने वाले बैंकों का रूख स्पष्ट और बिना शर्त होगा; (ii) कोई ऐसा बैंक जो सीएपी पर बहुमत निर्णय का समर्थन नहीं करता है, निर्धारित समय सीमा के भीतर स्थानापन्नता के अधीन बाहर निकल सकता है, ऐसा न करने पर वह जेएलएफ का निर्णय का पालन करेगा; (iii) बैंक किसी भी अतिरिक्त शर्त के बिना जेएलएफ के निर्णय को कार्यान्वित करेगा; और (iv) बोर्ड अपने कार्यकारियों को ऐसी शक्तियां प्रदान करेंगे कि वे बोर्ड से और आगे अनुमोदन मांगे बिना जेएलएफ के निर्णय को कार्यान्वित कर सकें। 6. ढांचे के अंतर्गत विनिर्दिष्ट की गई समय-सीमा और उक्त अनुदेशों का किसी प्रकार से गैर-अनुपालन की स्थिति में बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 के प्रावधानों के अधीन संबंधित बैंकों पर अर्थदंड लगाया जाएगा। 7. यह परिपत्र बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 21, 35क और 35कख द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किया गया है। भवदीय, (राजिंदर कुमार) |