स्वयं सहायता समूहों का कुल वित्तीय समावेशन और ऋण आवश्यकता - आरबीआई - Reserve Bank of India
स्वयं सहायता समूहों का कुल वित्तीय समावेशन और ऋण आवश्यकता
आरबीआइ / 2007-08 / 282
आरपीसीडी.एमएफएफआइ.बीसी.सं. 56 / 12.01.001/2007-08
15 अप्रैल 2008
अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक /मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
महोदय,
स्वयं सहायता समूहों का कुल वित्तीय समावेशन और ऋण आवश्यकता
कृपया माइक्रो ऋण पर दिनांक 2 जुलाई 2007 का हमारा मास्टर परिपत्र आरपीसीडी.एमएफएफआइ. बीसी.सं. 08 / 12.01.001/2007-08 देखें जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि अन्य बातों के साथ-साथ ऐसे ऋण में न केवल गरीबों के विभिन्न कृषि और गैर-कृषि गतिविधियों के लिए उपभोग और उत्पादन ऋण ही शामिल किए जांए बल्कि उनके अन्य ऋण आवश्यकताओं जैसे आवास और आवास सुधार जैसी आवश्यकताओं को भी सम्मिलित किया जाए । इस संबंध में हम वर्ष 2008-09 के लिए माननीय वित्त मंत्री द्वारा की गई यूनियन बजट की घोषणा के पैराग्राफ 93 (प्रतिलिपि संलग्न) की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं तथा सूचित करते हैं कि कृपया आप उसमें दिए अनुसार स्वयं सहायता समूह के सदस्यों की समग्र ऋण आवश्यकताओं को पूरा करें।
कृपया प्राप्ति सूचना दें ।
भवदीय
( ए.के.पांडेय )
महाप्रबंधक
पैरा सं. 93 :
बैंकों को समग्र वित्तीय समावेशन की अवधारणा अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा । सरकार सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों से कुछ सरकारी क्षेत्र बैंकों के नक्शे कदम पर चलने और स्व - सहायता समूह के सदस्यों की सभी ऋण संबंधी आवश्यकताएं अर्थात (क) आय उपार्जक क्रियाकलाप, (ख) सामाजिक आवश्यकताएं जैसे आवास, शिक्षा, विवाह आदि, और (ग) ऋण अदला-बदली की आवश्यकताओं को पूरा करने का अनुरोध करेगी ।