वर्ष 2007-08 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य - सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित वित्तीय समावेशन - आरबीआई - Reserve Bank of India
वर्ष 2007-08 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य - सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित वित्तीय समावेशन
आरबीआई/2007/80
शबैंवि.केंका.बीपीडी.(पीसीबी).सं.02/09.18.300/2007-08
04 जुलाई 2007
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
महोदय/महोदया
वर्ष 2007-08 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य - सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित वित्तीय समावेशन
कृपया वर्ष 2007-08 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य का पैराग्राफ 163 (प्रति संलग्न) देखें।
2. अधिकाधिक वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए 24 नवंबर 2005 के हमारे परिपत्र शबैंवि.बीपीडी.परि.सं.19/13.01.000/2005-06 के माध्यम से सभी शहरी सहकारी बैंकों को सूचित किया गया था कि वे "शून्य" या बहुत कम शेष तथा प्रभारों वाले मूल बैंकिंग "नो-फ्रिल्स" खाते उपलब्ध कराएं जिससे उनका इस्तेमाल आबादी का एक बड़ा हिस्सा कर सके। इस दिशा में बैंकों के प्रयासों के फलस्वरूप जनसाधारण खाता खोलने के प्रति उत्साहित हुआ है। इसके बावज़ूद यदि बैंक देश के दूर-दराज के हिस्सों तक बैंकिंग की पहुंच नहीं बढ़ाते हैं तो वित्तीय समावेशन के लक्ष्य पूरे नहीं हो पाएंगे। यह उद्देश्य यथोचित प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए यथासंभव व्यावहारिक आधारभूत संरचना तथा लेनदेन की सस्ती कीमतों के साथ पूरा किया जाना है। इससे बैंक लेनदेन की कीमतें कम कर सकेंगे जिससे छोटे टिकट लेनदेन व्यावहारिक हो जाएंगे।
3. इसलिए बैंकों से आग्रह किया जाता है कि वे यथोचित प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए वित्तीय समावेशन की दिशा में अपने प्रयासों को तेज करें। इस बात पर ध्यान देना अनिवार्य है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जो समाधान निकाले गए हैं :
भवदीय
(एन.एस.विश्वनाथन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
वर्ष 2007-08 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य का पैराग्राफ 163
(v) सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित वित्तीय समावेशन
163. ‘शून्य राशि’ से अथवा ‘नो-फ्रिल्स’(सादा खाता) की शुरूआत करने से आम आदमियों के लिए खाता खोलना आसान हो गया है। किंतु, ग्राहकों को समीप में बैंकिंग सुविधाएं मुहैया कराना, विशेष रूप से दूर-दराज तथा बैंकरहित क्षेत्रों में उपलब्ध कराना, साथ ही लेनदेन लागत न्यूनतम रखना एक चुनौती बनी हुई है। यह मानते हुए कि इस चुनौती का सामना प्रभावी ढंग से करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाओं में अत्यधिक क्षमता है, बैंकों ने अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए स्मार्ट कार्ड/मोबाइल तकनीकी का प्रयोगिक उपयोग करने की श्जरूआत कर दी है। खास निर्दिष्ट ग्राहकों के लिए बायोमैट्रिक प्रणाली का इस्तेमाल भी अधिक से अधिक किया जा रहा है।