अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व – अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा सहकारी बैंकों को ‘सममूल्य’ चेक सुविधा प्रदान किया ज - आरबीआई - Reserve Bank of India
अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व – अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा सहकारी बैंकों को ‘सममूल्य’ चेक सुविधा प्रदान किया जाना
आरबीआई/2013-14/332 22 अक्तूबर 2013 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया/ महोदय, अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व – अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा सहकारी बैंकों को ‘सममूल्य’ चेक सुविधा प्रदान किया जाना यह देखा गया है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा दी जाने वाली ‘सममूल्य’ चेक सुविधा का उपयोग शहरी सहकारी बैंक न केवल अपने लिए कर रहे हैं बल्कि अपने ग्राहकों जिनमें आकस्मिक ग्राहक (walk-in customers) भी शामिल हैं, के लिए भी कर रहे हैं। 2. इस व्यवस्था से पैदा होने वाली प्रणालीगत व पर्यवेक्षी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए शहरी सहकारी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे ‘सममूल्य’ चेक सुविधा मात्र निम्नलिखित प्रयोजनों के लिए करें:
3. उपर्युक्त तरीके से ‘सममूल्य’ चेक सुविधा का उपयोग करने के लिए शहरी सहकारी बैंक निम्नलिखित मदों का अभिलेख बनाए रखें:
शहरी सहकारी बैंक यह सुनिश्चित करें कि उनके द्वारा जारी सभी ‘सममूल्य’ चेकों पर रेखांकित करके ‘केवल आदाता के खाते में’ का उल्लेख किया जाना चाहिए, चाहे राशि कुछ भी हो। 4. शहरी सहकारी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रेषण के प्रभावी साधन जैसे एनईएफटी या आरटीजीएस का उपयोग करके ग्राहकों के लिए सेवाएं प्रदान करें या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर इस संबंध में जारी किए गए विनियमनों के अनुसार ऐसी सुविधा प्रदान करने वाले बैंकों के उप-सदस्य बनकर उक्त सेवाएं प्रदान करें। भवदीय, (पी.के.अरोड़ा) |