मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 तथा स्वपरायणता(आटिज्म), मस्तिष्क पक्षाघात, मानसिक मन्दन तथा बहुविध अक्षमता वाले व्यक्तियों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, 1999 के अंतर्गत जारी कानूनी अभिभावक प्रमाणपत्र - आरबीआई - Reserve Bank of India
मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 तथा स्वपरायणता(आटिज्म), मस्तिष्क पक्षाघात, मानसिक मन्दन तथा बहुविध अक्षमता वाले व्यक्तियों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, 1999 के अंतर्गत जारी कानूनी अभिभावक प्रमाणपत्र
आरबीआई/2013-14/456 21 जनवरी 2014 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया/ महोदय, मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 तथा स्वपरायणता(आटिज्म), मस्तिष्क कृपया 4 दिसंबर 2007 का हमारा परिपत्र शबैंवि.केंका.बीपीडी.सं.27/12.05.001/2007-08 देखें जिसमें शहरी सहकारी बैंकों को, अन्य बातों के साथ-साथ यह सूचित किया गया था कि वे स्वपरायणता, मस्तिष्क पक्षाघात, मानसिक मन्दन तथा बहुविध अक्षमता वाले अपंग व्यक्तियों द्वारा बैंक खाते खोलने/परिचालन करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 1987 के अंतर्गत जिला न्यायालय द्वारा जारी अभिभावक प्रमाण पत्र अथवा स्वपरायणता, मस्तिष्क पक्षाघात, मानसिक मन्दन तथा बहुविध अक्षमता वाले व्यक्तियों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, 1999 के अंतर्गत स्थानीय स्तर की समिति द्वारा जारी अभिभावक प्रमाण पत्र को स्वीकार्य मान सकते हैं। 2. उक्त परिपत्र में उल्लिखित अनुदेशों का अधिक्रमण करते हुए, बैंक खातों के खोलने/परिचालन के लिए निम्नलिखित दिशानिर्देश लागू होंगे: (i) मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 में एक ऐसे कानून का प्रावधान किया गया है जो मानसिक रूप से रुग्ण व्यक्तियों के उपचार और देखभाल करने तथा उनकी संपत्तियों व अन्य मामलों के संबंध में बेहतर प्रावधान करने से संबंधित है। उक्त अधिनियम के अंतर्गत, "मानसिक रूप से रुग्ण व्यक्ति" का तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है जिसे मानसिक मन्दन को छोड़कर किसी अन्य मानसिक रुग्णता के लिए उपचार की आवश्यकता है। इस अधिनियम की धारा 53 और 54 में मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए अभिभावकों तथा कतिपय मामलों में उनकी संपत्ति के लिए प्रबंधकों की नियुक्ति करने का प्रावधान है। मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 1987 के अंतर्गत निर्धारित नियोक्ता प्राधिकारी जिला न्यायालय और जिलाधिकारी हैं। (ii) स्वपरायणता, मस्तिष्क पक्षाघात, मानसिक मन्दन तथा बहुविध अक्षमता वाले व्यक्तियों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, 1999 में कतिपय विनिर्दिष्ट विकलांगताओं से संबंधित कानून का प्रावधान है। उस अधिनियम की धारा 2 के खंड (जे) में "विकलांग व्यक्ति" की परिभाषा ऐसे व्यक्ति के रूप में दी गई है जो स्वपरायणता, मस्तिष्क पक्षाघात, मानसिक मन्दन या किन्हीं ऐसे दो या अधिक रुग्णताओं से पीडित है और इसमें बहुविध अक्षमता से पीडित व्यक्ति भी शामिल है। यह अधिनियम एक स्थानीय स्तर समिति को शक्ति प्रदान करता है कि वह विकलांग व्यक्ति के लिए ऐसे अभिभावक की नियुक्ति कर सके जो उस अक्षमता वाले व्यक्ति और उसकी संपत्तियों की देखभाल कर सकेगा। 3. शहरी सहकारी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे उक्त विधिक स्थिति को नोट करें और बैंक खाते खोलने/पारिचालित करने हेतु अभिभावकों / प्रबंधकों की नियुक्ति करने वाले सक्षम प्राधिकारियों द्वारा संबंधित अधिनियमों में जारी अनुदेशों/ प्रमाण पत्रों से मार्गदर्शन प्राप्त करें। संदेह की स्थिति में उचित विधिक परामर्श अवश्य प्राप्त करें। 4. शहरी सहकारी बैंक यह भी सुनिश्चित करें कि उनकी शाखाएं ग्राहकों को समुचित मार्गदर्शन प्रदान करती हैं, ताकि विकलांग व्यक्तियों के अभिभावकों/ प्रबंधकों को इस संबंध में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े। भवदीय (ए.के.बेरा) |