एनईएफटी / एनईसीएस / ईसीएस लेनदेन राशि की जमा / वापसी में देरी की वजह से बैंकों द्वारा देय दंडस्वरूप ब्याज में एकरूपता लाया जाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
एनईएफटी / एनईसीएस / ईसीएस लेनदेन राशि की जमा / वापसी में देरी की वजह से बैंकों द्वारा देय दंडस्वरूप ब्याज में एकरूपता लाया जाना
वापस लिया गया w.e.f. 18/02/2022
भारिबैं / 2010-11/188 1 सितंबर 2010 एनईएफटी / एनईसीएस / ईसीएस में सहभागी सदस्य बैंकों के महोदया/प्रिय महोदय, एनईएफटी / एनईसीएस / ईसीएस लेनदेन राशिकी जमा / वापसी में देरी की वजह से बैंकों द्वारा देय दंडस्वरूप ब्याज में एकरूपता लाया जाना जैसा कि आपको विदित है विगत दिनों से खुदरा इलैक्ट्रानिक भुगतान उत्पादों में पहुँच और मात्रा की दृष्टि से काफी वृद्धि हो रही है। देशभर में लगभग 70,000 बैंक शाखाओं द्वारा एनईएफटी सेवा उपलब्ध कराई जाती है और 89 केंद्रों में ईसीएस उपलब्ध है। केवल जुलाई 2010 में ही 90 लाख एनईएफटी लेनदेनों और 250 लाख एनईसीएस/ईसीएसलेनदेनोंकी प्रोसेसिंगकी गयी। जबकि यह भुगतानसंबंधी लेनदेनोके इलैक्ट्रानिक माध्यम की तरफ रुझान के अच्छे संकेत है, ऐसी स्थिति में सदस्या बैंकोंद्वारा भी ग्राहक सेवा और कार्यकुशलता संबंधी मानदंडों को प्रभावी ढंग से पालन किया जाना ज़रूरी हो जाता है। समय-समय पर हमारे द्वारा जारी किए गए एनईएफटी / एनईसीएस / ईसीएस की प्रक्रिया संबंधी दिशा-निर्देशों और संबंधित परिपत्रों/ अनुदेशों के अनुसार सदस्य बैंकों को निर्धारित समय-सीमा के अंदर लाभार्थियों के खातों में धन-राशि जमा कर देनी चाहिए या प्रवर्तक/प्रायोजक बैंक को उन लेनदेनों (जमा न किए जाने का कारण कुछ भी क्यों न हो) को वापिस कर देनी चाहिए। इसमें किसी प्रकार की देरी होने पर उस पर दंडस्वरूप ब्याज लगेगा। इन खुदरा इलैक्ट्रानिक भुगतान प्रणालियों से संबंधित दंडस्वरूप ब्याज के प्रावधानों में एकरूपता मौजूद नहीं है। बैंकों को एनईसीएस (प्रक्रियात्मक दिशा-निर्देश का पैरा 15.4) और ईसीएस-जमा (प्रक्रियात्मक दिशा-निर्देश का पैरा 29) के संबंध में चालू बैंक दर + दो प्रतिशत की दर पर दंडस्वरूप ब्याज अदा करना पड़ता है, वहीं, एनईएफटी (प्रक्रियात्मक दिशा-निर्देश का पैरा 6.7) के लिए बैंक दर के हिसाब से दंडस्वरूप ब्याज अदा करना होता है। विभिन्न रिटेल भुगतान उत्पादों के संबंध में प्रयुक्त बेंचमार्क दर के मानकीकरण और उन पर लगने वाले दंडस्वरूप ब्याज संबंधी प्रावधानों में एकरूपता लाने की दृष्टि से निम्नलिखित आशोधन किए गये हैं: एनईसीएस/ईसीएस-जमा ".........लाभार्थियों के खातों में देरी से की गई जमा के लिए गंतव्य बैंक जमा की नियत तारीख से वास्तविक जमा की तारीख तक की अवधि के लिए रिज़र्व बैंक एलएएफ की वर्तमान रेपो दर + दो प्रतिशत के हिसाब से दंडस्वरूप ब्याज अदा करने के लिए जि़म्मेदार होगा। कोई मांग न किए जाने पर भी लाभार्थी के खाते में दंडस्वरूप ब्याज जमाकर देना चाहिए ।" एनईएफटीपैरा 6.7 - "गंतव्य बैंक को प्राप्त भुगतान अनुदेश के अनुसरण में निधि अंतरण को पूरा करने के संदर्भ में गंतव्य बैंक के किसी कर्मचारी की भूल, लापरवाही या कपट की वजह से हुई देरी या हानि के कारण लाभार्थी के खाते में देरी से भुगतान किए जाने की स्थिति में गंतव्य बैंक देरी की अवधि के लिए रिज़र्व बैंक एलएएफ की वर्तमान रेपो दर + दो प्रतिशत की दर पर क्षतिपूर्ति अदा करेगा। यदि किसी कारणवश निधि अंतरण अनुदेश की वापसी में कोई देरी होती हो तो गंतव्य बैंक उस राशि को धन-वापसी की तारीख तक रिज़र्व बैंक एलएएफ की वर्तमान रेपो दर + दो प्रतिशत की दर पर ब्याज सहित अदा करेगा।" पैरा 6.8 को निम्नानुसार परिवर्तित किया गया है - "प्रवर्तक बैंकों द्वारा एनईएफटी परिचालन समय के दौरान प्राप्त, ऑन-लाइन या काउंटर के माध्यम से, एनईएफटी लेनदेनों से संबंधित अनुरोधों को आगामी उपलब्ध परवर्ती बेच में प्रोसेस करना तो श्रेयस्कर होगा, किंतु किसी भी स्थिति में उन्हें अनुरोध के प्राप्ति-समय से दो घंटे के अंदर यह कार्य पूरा कर देना चाहिए। यदि ऐसी अपेक्षा को पूरा करने में किसी प्रकार की देरी की संभावना प्रतीत होती हो तो प्रवर्तकों/ग्राहकों को उसकी सूचना कारण सहित दे देनी चाहिए।" सदस्य बैंक प्रक्रियात्मक दिशा-निर्देशों में किए गए उपर्युक्त परिवर्तनों को नोट करें। ये परिवर्तन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। भवदीय (जी. पद्मनाभन) |